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Lucknow News: ATS चीफ बनकर रिटायर्ड बैंक कैशियर को किया 'Digital Arrest', देशद्रोह का डर दिखाकर ठगे 28.45 लाख, FIR दर्ज
Lucknow News: पीड़ित डर की वजह से किसी को कुछ नहीं बता सके। बाद में जब उन्हें ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने साइबर क्राइम थाने में FIR दर्ज कराई। इस पूरे मामले में अब IPC और IT एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
ATS चीफ बनकर रिटायर्ड बैंक कैशियर को किया 'Digital Arrest', देशद्रोह का डर दिखाकर ठगे 28.45 लाख (photo: social media )
Lucknow News: राजधानी लखनऊ में तेजी से सामने आ रहे साइबर ठगी के मामलों के बीच शनिवार को इसी से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां नरेंद्र मिश्रा नाम के रिटायर्ड बैंक कैशियर को व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए खुद को ATS चीफ बताने वाले जालसाजों ने 'डिजिटल अरेस्ट' कर लिया। आरोपियों ने कहा कि उनके मोबाइल से सेना के गुप्त दस्तावेज पाकिस्तान भेजे गए हैं और अब उन पर देशद्रोह का केस चलेगा। पीड़ित से समझौते के नाम पर पहले 10.99 लाख और फिर 17.45 लाख की ठगी की गई। पीड़ित डर की वजह से किसी को कुछ नहीं बता सके। बाद में जब उन्हें ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने साइबर क्राइम थाने में FIR दर्ज कराई। इस पूरे मामले में अब IPC और IT एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
व्हाट्सएप कॉल से शुरू हुई जालसाजी, ATS चीफ बनकर बनाया टारगेट
लखनऊ के विकास नगर के रहने वाले 63 वर्षीय नरेंद्र कुमार मिश्रा इंडियन ओवरसीज बैंक से 2022 में कैशियर पद से रिटायर हुए हैं। उन्होंने बताया कि बीते 28 जून को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को जम्मू-कश्मीर ATS ऑफिस से बताया और कहा कि उनके मोबाइल से देश विरोधी गतिविधियों के सबूत मिले हैं। कुछ ही देर बाद उन्हें एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने पुलिस यूनिफॉर्म पहन रखी थी और खुद को 'प्रेम कुमार गौतम ATS चीफ' बताया। आरोपी ने धमकी दी कि अब उन पर देशद्रोह का केस दर्ज होगा।
पहली किस्त: डर का फायदा उठाकर 10.99 लाख कराए ट्रांसफर
कॉलर ने बातचीत के दौरान कहा कि अगर वे इस केस में समझौता चाहते हैं तो उन्हें जांच के नाम पर कुछ रकम ट्रांसफर करनी होगी। डर से कांपते हुए रिटायर्ड कैशियर ने 1 जुलाई को अपने बैंक अकाउंट से 10,99,536/- HDFC बैंक के एक ट्रस्ट अकाउंट में RTGS के जरिए ट्रांसफर कर दिए। बैंक अकाउंट का नाम श्री दुर्गा माता मंदिर ट्रस्ट बताया गया और UTR नंबर समेत सारी जानकारी पीड़ित को दी गई।
दूसरी किस्त: सेना से जुड़े केस में और भी डराया, 17.45 लाख की हुई दोबारा ठगी
पहली रकम देने के बाद भी जब कॉल आना बंद नहीं हुआ, तो 4 जुलाई को पीड़ित को दोबारा कॉल आया। इस बार आरोप लगाया गया कि उनके मोबाइल से सेना की गोपनीय फोटोज़ पाकिस्तान भेजी गई हैं और वे आतंकियों से जुड़े हुए हैं। इस बार आरोपी ने 17,45,745 ट्रांसफर कराने को कहा। पीड़ित ने यह रकम भी फेडरल बैंक के एक खाते में ट्रांसफर कर दी, जिसका खाता धारक "रमेश चंद्र" बताया गया था।
पूरी निगरानी में रखा, किसी से बात करने तक नहीं दी
इन आठ दिनों (28 जून से 4 जुलाई) तक जालसाजों ने पीड़ित को लगातार व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के ज़रिए डराते रहे। यहां तक कि जब भी वह बैंक गए, उन्हें हिदायत दी जाती कि किसी बैंक कर्मचारी से कोई बात न करें। उनका हर मूवमेंट, हर डिटेल जालसाज व्हाट्सएप से मॉनिटर करते रहे।
समझ में आया ठगी का खेल, FIR के लिए पहुंचे साइबर क्राइम थाना
कुछ दिन बाद जब पीड़ित को ठगी का शक हुआ तो उन्होंने साहस जुटाकर साइबर क्राइम थाना, गोमतीनगर, लखनऊ में शिकायत दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि दोनों बैंक अकाउंट फर्जी दस्तावेजों से खोले गए थे। फिलहाल आरोपियों की तलाश जारी है। FIR में अज्ञात जालसाजों के खिलाफ IPC की धारा 318(4), 319(2), 351(4) और IT एक्ट की धारा 66D के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पेंशन की पूरी रकम गई, सदमे में हैं पीड़ित
नरेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह रकम उनकी पेंशन और रिटायरमेंट सेविंग्स से जुड़ी थी, जिसे वे अपने भविष्य के लिए सहेजकर रखे थे। इस घटना से वे मानसिक रूप से टूट चुके हैं और अब उन्हें न्याय की उम्मीद है।
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