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LDA ने सहारा बाजार को रात के अंधेरे में किया सील, व्यापारियों ने जताया विरोध
Lucknow News: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर स्थित सहारा बाजार को टिन की चादरों से एक बार फिर सील कर दिया है। इससे नाराज व्यापारियों ने बाजार के बाहर प्रदर्शन किया।
Lucknow News: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर स्थित सहारा बाजार को टिन की चादरों से एक बार फिर सील कर दिया है। इससे नाराज व्यापारियों ने बाजार के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने व्यापारियोंको समझाया। प्राधिकरण की टीम मौके से वापस लौट गई। बता दे कि पहले कोर्ट ने प्राधिकरण पर जुर्माना लगाते हुए स्थिति को जस की तस बने रहने का आदेश दिया था। उसके बाद भी एलडीए ने रात के अंधेरे में कार्रवाई की है।
व्यापारियों का विरोध प्रदर्शन
एलडीए की इस कार्रवाई से नाराज व्यापारियों ने सहारा बाजार के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने कहा एलडीए न केवल हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था व कानून का मज़ाक बना रहा है। व्यापारी मोहम्मद जाइमुल इस्लाम ने बताया कि 25 साल से बाजार में दुकान है। और इसी दुकान से होने वाली कमाई से अपना परिवार पाल रहे हैं। पहले एलडीए बिना बताए आया और हम सब की दुकानें सील करके चला गया। जब इस मामले में हम लोग हाई कोर्ट पहुंचे तो हाई कोर्ट ने हमें स्टे दे दिया है।
सहारा की लीज कर दी समाप्त
हाई कोर्ट को मोहम्मद जाइमुल इस्लाम ने बताया था कि उन्होंने 22 नवंबर 2000 को सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड से पंजीकृत बिक्री विलेख के माध्यम से दुकान संख्या 112(a) को खरीदा था। यह दुकान सहारा को एलडीए से 30 साल की लीज पर मिली थी, उसमें स्पष्ट शर्त थी कि वह दुकान को ट्रांसफर कर सकता है, लेकिन तय ट्रांसफर चार्ज देना होगा। उन्होंने दुकान लेने के लिए सभी जरूरी चार्ज जमा कर वैध मालिकाना हक प्राप्त किया था। बता दे कि तीन मई 2025 को एलडीए ने सहारा की लीज समाप्त करने का आदेश पारित किया था।
एलडी पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना
उसके बाद 18 जून को नोटिस जारी कर दुकानों को खाली करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता को कोई व्यक्तिगत नोटिस या सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और सीधे दुकान सील कर दी गई थी। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पास वैध दस्तावेज हैं बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के दुकान से बेदखल करना संविधान का उल्लंघन है। कोर्ट ने एलडीए की कार्रवाई को कानून को ताक पर रखकर किया गया काम बताते हुए कब्जा लौटाने का निर्देश दिया था। एलडी पर साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था।
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