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इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 का विरोध हुआ तेज, बिजली कर्मियों की 3 नवंबर को मुंबई में होगी बैठक
Electricity Privatization: इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 के विरोध में बिजली कर्मियों की 3 नवंबर को मुंबई में बैठक, निजीकरण व बढ़ी दरों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी।
Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को वापस लेने की मांग की है। समिति ने बिल को किसान, उपभोक्ता और कर्मचारी विरोधी करार दिया है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा 9 अक्टूबर को जारी किए गए इस बिल के प्रारूप पर हितधारकों से एक महीने के भीतर टिप्पणी मांगी गई है।
राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बिल के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए 3 नवंबर को मुंबई में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स) की बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में किसान और आम उपभोक्ताओं के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का फैसला लिया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में भी देशव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा।
निजीकरण और बढ़ी हुई दरें
संघर्ष समिति ने बयान में कहा कि बिल केंद्र सरकार द्वारा देश के संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करने का प्रयास है। निजीकरण के बाद बिजली की दरें अधिक हो जाएंगी कि वे किसानों और आम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। समिति के अनुसार अमेंडमेंट बिल के सेक्शन 14, 42 और 43 के माध्यम से कंपनियों को सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल कर बिजली आपूर्ति करने का अधिकार दिया जा रहा है, जिसके एवज में वे नाम मात्र का व्हीलिंग चार्जेज देंगी। इससे सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण का अंत शुरू हो जाएगा।
क्रॉस सब्सिडी होगी पूरी समाप्त
नेटवर्क के मेंटेनेंस और सुदृढ़ीकरण का सारा वित्तीय भार सरकारी कंपनियों पर रहेगा। समिति ने बताया कि निजी कंपनियों को यूनिवर्सल पावर सप्लाई का दायित्व नहीं होगा। उसके परिणामस्वरूप निजी कंपनियां मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी, घाटे वाले किसान व गरीब घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने का दायित्व सरकारी निगमों पर होगा, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगे। अमेंडमेंट बिल के में संशोधन कर 5 वर्षों में क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने का प्रावधान है, जिसका अर्थ बिजली का टैरिफ 'कॉस्ट रिफ्लेक्टिव' होगा।
बिजली की दरें तेजी से बढ़ेंगी
इससे किसानों को 5 हॉर्स पावर के पंप के लिए प्रतिमाह लगभग 12,000 और गरीबी रेखा से नीचे के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें कम से कम 8 से 10 प्रति यूनिट तक हो सकती हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि यह बिल बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार छीन रहा है वितरण तथा टैरिफ निर्धारण में केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप संविधान की भावना के विपरीत है। इस कारण से केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर को इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को तुरंत वापस ले लेना चाहिए। अगर बिल वापस नहीं हुआ तो राष्ट्रीय स्तर का बड़ा आंदोलन किया जाएंगा।
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