Electricity Privatization किसानों के हित में नहीं! सब्सिडी समाप्ति और बिजली दरों में वृद्धि का खतरा

Electricity Privatization बिजली निजीकरण किसानों और उपभोक्ताओं के हित में नहीं। बढ़ती दरें, सब्सिडी खत्म होने और लालटेन युग में लौटने का खतरा। संघर्ष जारी है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 11 Oct 2025 6:02 PM IST (Updated on: 11 Oct 2025 6:21 PM IST)
Electricity Privatization किसानों के हित में नहीं! सब्सिडी समाप्ति और बिजली दरों में वृद्धि का खतरा
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Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली वितरण क्षेत्र में निजीकरण और केंद्र सरकार के नए मसौदा कानून (ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025) का विरोध कर रहे है। संघर्ष समिति ने देकर कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण तथा निजी कंपनियों को सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर इस्तेमाल करने की छूट देना, दोनों ही किसानों और आम उपभोक्ताओं के हित में नहीं हैं।

बिजली की दरें बेतहाशा बढ़ेंगी

इससे बिजली की दरें बेतहाशा बढ़ेंगी, जो उन्हें लालटेन युग में वापस ले जाएंगी। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण कर निजी कंपनियों की मनॉपली बनाने की तैयारी है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा 9 अक्टूबर को जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के प्रावधानों के तहत निजी कंपनियों को सरकारी बिजली कंपनियों का इन्फ्रास्ट्रक्चर इस्तेमाल करने की छूट देकर विद्युत वितरण का लाइसेंस देना भी आम जनता के हित में नहीं है।

लालटेन युग में ले जाने की तैयारी

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के जरिए बिजली महंगी कर किसानों और आम उपभोक्ताओं को 'लालटेन युग' में ले जाने की तैयारी है।जिसके विरोध में जल्द ही किसान संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रम बनाया जाएगा। इस संबंध में समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों डॉ. दर्शन पाल और हन्नान मूला से दूरभाष पर चर्चा की है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के खिलाफ 318 दिन से चल रहे आंदोलन के साथ ही ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के विरोध में भी आंदोलन चलाया जाएगा।

परिसंपत्तियों को बेचने की तैयारी

राष्ट्रीय समन्वय समिति (NCCEEE) की केंद्रीय कोर कमेटी की मीटिंग 4 एवं 5 नवम्बर को मुंबई में होगी, जिसमें उत्तर प्रदेश में हो रहे निजीकरण और ड्राफ्ट बिल के विरोध में आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि अवैध ढंग से नियुक्त ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाए गए दस्तावेज़ के अनुसार एक लाख करोड़ रुपये की पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की संपत्तियों को मात्र 6500 करोड़ रुपये में बेचने की तैयारी है। निजीकरण के बाद किसानों और घरेलू बिजली की दरों में वृद्धि होगी।

सब्सिडी समाप्ति का बड़ा खतरा

समिति ने मल्टीपल लाइसेंसी सिस्टम पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे किसानों और आम उपभोक्ताओं को बड़ा आघात पहुंचेगा। ड्राफ्ट बिल के अनुसार सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी, जिसके अनुसार किसानों को पांच हॉर्स पावर के पम्प को छह घंटे चलाने पर 12 हजार रुपये प्रति माह देने पड़ सकते हैं। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि वह निजीकरण के किसी भी स्वरूप को स्वीकार नहीं करती है, आंदोलन निजीकरण का निर्णय वापस नहीं होने तक जारी रखने की बात कहीं है। उससे पहले कर्मचारी पीछे नहीं हटेंगे।

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