TRENDING TAGS :
Lucknow news: ईद-ए-गदीर पर मस्जिद-ए-कूफा में शिया सुदाय ने अदा की विशेष नमाज
ईद ए गदीर इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 18 जिलहिज्जा के याद करके क लिए किया जाता है। इसे हजरत अली को पैगम्बर मोहम्मद ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की याद में मनाया जाता है। इस दिन को ईदों की सबसे बड़ी ईद भी कहा जाता है।
Lucknow news: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुराने इलाके सहादतगंज मस्तिद-ए-कूफा में ईद ए गजीर के अवसर पर शिया समुदाय के लोगोूुं ने विशेष तरह की नमाज अदा करके अदा की। यह नमाज शिया समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र ओर अहम माना जाता है। ईद-ए-गदीर इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 18 जिलहिज्जा के याद करके क लिए किया जाता है। इसे हजरत अली को पैगम्बर मोहम्मद ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की याद में मनाया जाता है। इस दिन को ईदों की सबसे बड़ी ईद भी कहा जाता है।
सुबह से लोग होते हैं मस्जिद में इकट्ठा
जानकारी के अनुसार इस दिन को खास बनाने के लिए शिया समुदाय के लोग सुबह से तैयार होकर मस्जिद ए कूफा में इकट्ठा होने लगते हैं। नमाज से पहले ही मौलाना ने गदीर के इतिहास और उनके महत्वों के बारे में बड़े ही विस्तार से बताते है। मस्जिद के मौलाना बताते है कि किस तरह पैगम्बर मोहम्मद ने अपने आखिरी हज के दौरान गदीर के मैदान में हजरत अली का उठाकर यह ऐलान किया था कि "जिसका मैं मौला हूँ, अली उसका मौला है।
एकजुट होकर नमाज की अदा
इसके बाद शिया समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर नमाज अदा की और अल्लाह से दुआएं मांगी। वहीं नमाज अदा करने के बाद मिठाइयां बांट कर भाईचारे का संदेश दिया। बच्चों और बुजुर्गों सभी ने इस मौके को बहुत उत्साह के साथ मनाया।
वफादारी की याद को किया ताजा
नमाज में आए लोगों ने कहा कि इस ईद ए गदीर का यह त्योहर लखनऊ के शिया समुदाय के लिए न सिर्फ एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि आपसी मोहब्बत, इमामत और वफादारी की याद को ताजा करने का दिन होता है। रविवार को हुए मस्जिद ए कूफा में हुए नमाज से यह संदेश गया कि धार्मिक त्योहार से समाज में एकता और आपस में भाईचारा को बढ़ावा मिलता है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!