Lucknow News: सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन में, किये ये बड़े ऐलान!

लखनऊ में आयोजित न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन में सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका को राज्य के विकास और जनता के अटूट विश्वास से जोड़ते हुए कई अहम घोषणाएं कीं।

Priya Singh Bisen
Published on: 23 Aug 2025 1:28 PM IST (Updated on: 23 Aug 2025 4:19 PM IST)
Yogi Adityanath, Lucknow
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Yogi Adityanath, Lucknow

Lucknow News: उत्तरा प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन आयोजित गया जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले उन्होंने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका को राज्य के विकास और जनता के अटूट विश्वास से जोड़ते हुए कई अहम घोषणाएं कीं।

सीएम योगी आदित्यनाथ का संबोधन

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी राज्य की छवि और परसेप्शन बनाने में न्यायपालिका की सबसे अहम भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि साल 2024 में केवल जनपदीय ट्रायल कोर्ट्स में ही 72 लाख मामलों का निस्तारण हुआ है, हालांकि अब भी 1 करोड़ 15 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार न्यायपालिका को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए निरंतर ज़ोरों-शोरों से कोशिश कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज और लखनऊ में न्यायाधीशों के आवास निर्माण, कोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल कॉम्प्लेक्स, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और ऑडिटोरियम निर्माण के लिए तकरीबन करोड़ों की लागत की स्वीकृति पर मंजूरी मिल चुकी है।

सीएम योगी ने ऐलान किया कि प्रदेश के सभी न्यायालयों को वातानुकूलित (एयरकंडीशन) किया जाएगा, ताकि न्यायिक ज्यादातर सुविधाजनक माहौल में कार्य कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने न्यायिक सुरक्षा के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये का बड़ा फंड उपलब्ध कराने का भी ऐलान किया भी। उन्होंने ने कहा कि तीन नए कानून पिछले साल 1 जुलाई से लागू हुए हैं और यह सिर्फ दंड पर आधारित नहीं, बल्कि न्याय-निर्भर हैं। उन्होंने यह भरोसा जताया कि ये कानून लोकतंत्र को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होंगे।

सीएम ने नए आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लागू होने का उल्लेख किया, जो 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हुए। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक आशंकाओं के बावजूद, न्यायिक अधिकारियों ने इन्हें तत्परता से लागू किया, जिससे ये कानून दंड पर आधारित न होकर न्याय की सुदृढ़ व्यवस्था पर केंद्रित साबित हुए। सीएम योगी ने विश्वास जताते हुए कहा कि ये कानून भारत की न्यायपालिका और लोकतंत्र को और मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होंगे।

सीएम योगी ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए गए प्रयासों का किया उल्लेख

मुख्यमंत्री ने योगी सरकार द्वारा न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए गए प्रयासों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के लिए आवासीय और अन्य सुविधाओं के लिए व्यापक धनराशि स्वीकृत की है। इसमें प्रयागराज में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों के आवास के लिए निर्माण 62.41 करोड़ रुपये, लखनऊ बेंच के लिए 117 करोड़ रुपये। उच्च न्यायालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए: 99 करोड़ रुपये। प्रयागराज में 896 आवासीय इकाइयों के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति। वाणिज्यिक खंड के निर्माण के लिए 112.06 करोड़ रुपये। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हेरिटेज भवन के रखरखाव के लिए: 44.91 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति प्रमुख हैं। इसके अलावा, सरकार ने 10 जनपदों में इंटीग्रेटेड कोर्ट परिसर की स्थापना के लिए 1,645 करोड़ रुपये स्वीकृत किए, जिनमें से 6 जनपदों में कार्य शुरू हो चुका है। ये परिसर जनपद न्यायालयों, मोटर दुर्घटना दावों, परिवार न्यायालयों और वाणिज्यिक अदालतों को एकीकृत सुविधा प्रदान करेंगे।

महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों पर सख्ती

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि 381 पॉक्सो और फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार के सहयोग से कोर्ट रूम और आवासीय निर्माण के लिए 2023-24 में 148 करोड़, 2024-25 में 239 करोड़ और 2025-26 में 75 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी की गई है।

डिजिटल और आधुनिक तकनीक का उपयोग के लिए सरकार प्रयासरत- सीएम योगी

सीएम ने डिजिटल बुनियादी ढांचे और आधुनिक तकनीक को न्यायिक व्यवस्था में शामिल करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट, ई-पुलिसिंग, ई-प्रिजन, ई-प्रॉसीक्यूशन और ई-फोरेंसिक के एकीकरण के लिए इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर काम चल रहा है। डेटा-बेस्ड विश्लेषण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग से लंबित मामलों को कम करने और न्याय प्रक्रिया को तेज करने की योजना है।

न्यायिक अधिकारियों के लिए सुविधाएं और कल्याण के लिए सीएम योगी ने की कई घोषणाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक अधिकारियों की सुविधाओं और कल्याण के लिए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने बताया कि द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग को उत्तर प्रदेश ने पूर्ण रूप से लागू किया है, और इसके लिए 1,092.37 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसके अलावा, लखनऊ में न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान में 400 बेडेड हॉस्टल (54.28 करोड़ रुपये), स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (14.22 करोड़ रुपये), लेक्चर हॉल, प्रशासनिक भवन और ऑडिटोरियम के लिए 8.77 करोड़ और 2.36 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज के निर्माण के लिए भी 387 करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध करवाई गई है जिस पर निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा प्रदेश में 110 ग्राम न्यायालय क्रियाशील किया जा चुके हैं और अन्य जगह जहां से हमें प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं उसे प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई है।

सीएम ने न्यायिक सेवा संघ के लिए 50 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड देने की घोषणा की, जो 2018 में शुरू किए गए 10 करोड़ रुपये के फंड को और मजबूत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जनपद न्यायालयों में लंबित मामलों के निस्तारण के लिए डिस्पोजीशन क्लर्क की नियुक्ति के लिए आउटसोर्सिंग पर सैद्धांतिक सहमति दी गई है।

न्यायिक अधिकारियों के चैंबर को आधुनिक बनाने पर जोर

सीएम ने कहा कि गर्मी में न्यायिक अधिकारियों को बेहतर कार्य वातावरण देने के लिए सभी जनपद न्यायाधीशों के चैंबर में एयर कंडीशनर लगाने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है। इसके अलावा, सभी जनपद न्यायालयों में सीसीटीवी, फायर फाइटिंग उपकरण और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई है।

'विकसित भारत का सपना...' - सीएम योगी

इस अवसर पर सभागार में मौजूद न्यायिक अधिकारियों और अतिथियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणाओं का प्रसन्नतापूर्वक स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर न्यायपालिका और सरकार के बीच बेहतर सहयोग की बात दोहराते हुए कहा "विकसित भारत का सपना विकसित उत्तर प्रदेश से ही साकार होगा, और इसके लिए सुदृढ़ व त्वरित न्यायिक व्यवस्था बहुत आवश्यक है।"

न्यायिक सेवा संघ के अध्यक्ष ने पेश किये ये आंकड़े

कार्यक्रम की शुरुआत में न्यायिक सेवा संघ के अध्यक्ष ने कुछ आंकड़े पेश किये और कहा कि प्रदेश में आज प्रति न्यायाधीश तकरीबन 4,500 मामले लंबित हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर 10 लाख की आबादी पर केवल 10 न्यायाधीश ही हैं, जबकि हर एक न्यायाधीश पूरे साल में औसतन लगभग 2,350 मामलों का निस्तारण कर रहे हैं। अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक केस निस्तारण करने वाला राज्य है।

बता दे, अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जहां 163 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं, वहां केवल 83 न्यायाधीश काम करते हैं। उन्होंने साल 2005 के बाद नियुक्त न्यायिक अधिकारियों को पुरानी पेंशन बहाल करने, महिला अधिकारियों को ख़ास सुरक्षा उपलब्ध कराने और उमस भरी गर्मी में कार्यरत अधिकारियों के लिए एयरकंडीशन की व्यवस्था कराने की मांग रखी।

इस दौरान मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति राजन राय, न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के रणधीर सिंह, सभी जनपदों के न्यायाधीश समेत अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति गण व कई न्यायिक अधिकारी गण मौजूद रहे।

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