TRENDING TAGS :
PGI में MRI के बाद दो महीने से ज़्यादा समय लेकर डॉक्टर कर रहे रिपोर्ट, VVIP और VIP कल्चर की भी भूमिका
Lucknow: इस मामले पर जब संस्थान के अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीजों के परामर्श से लेकर इलाज में किसी तरह का पक्षपात नहीं होता है।
Lucknow News: पीजीआई में गम्भीर बीमारी के लिए आ रहे मरीजों की एमआरईआई रिपोर्ट उन्हें दो-तीन महीने की देरी से मिल रही है। जिसके ज़िम्मेदार संस्थान के विभाग में काम करे डॉक्टर हैं। वहीं इसके अलावा इसका एक मुख्य कारण संस्थान में चल रहा वीवीआईपी और वीआईपी कल्चर भी है। जिसके जरिए कुछ मरीजों के इलाज में संस्थान विशेष दिलचस्पी दिखाता है। ऐसे में संस्थान में इलाज के लिए आने वाले सामान्य मरीजों के लिए एमआरआई जांच और रिपोर्ट मिलने की प्रक्रिया में समस्या बढ़ा दी है। रिपोर्ट के लिये दो महीने से भी अधिक समय का इंतज़ार करना पड़ रहा है, लेकिन जब बात किसी वीवीआईपी और वीआईपी की अति है तो ये देरी उनके लिए खत्म हो जाती है।
पूरे प्रदेश में एसजीपीजीआई द्वारा गम्भीर बीमारी के मिलने वाले इलाज की अहम भूमिका है। यह एक सबसे बड़ा कारण है, कि यहां इलाज कराने के लिए मरीज सैकड़ो किलोमीटर का सफर करके आते हैं। लेकिन, संस्थान में इलाज की शुरुआत से लेकर इलाज पूरा होने तक की प्रक्रिया उन्हें और उनके तीमारदारों को थका कर पस्त कर देती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण संस्थान की इलाज से लेकर जांच की प्रक्रिया का है। क्योंकि जब मरीज संस्थान की ओपीडी में पर्चा बनाकर डॉक्टर से परामर्श लेता है तो उसके बाद अक्सर डॉक्टर कई तरह की जांच लिखते हैं। इसमें सबसे ज़्यादा लिखी जानी वाली जांच में एक एमआरआई की जांच है। लेकिन जब मरीज जांच कराने पहुंचता है तो उसको कम से कम दो महीने बाद रिपोर्ट मिलती है क्योंकि जांच होने के बाद रिपोर्ट पर डॉक्टर कुंडली मार कर बैठ जाते हैं। ऐसे में अब मरीज इलाज के लिये रिपोर्ट के अभाव में बार-बार संस्थान के चक्कर काटते हुए मिलता है। लेकिन जांच के बाद समय पर रिपोर्ट उनके पास नहीं पहुंचती है। और बात जब ऊपर की कुर्सियों पर बैठे लोगों की अति है तो यह तरीका दो से तीन दिन में बदल जाता है।
दो मशीने कर रही काम
वर्तमान में पीजीआई की पुरानी बिल्डिंग में दो मशीनें लगाई गई हैं। जिसमे एक 24 घण्टे चलती है और करीब 140 मरीजों की जांच होती है। वहीं, दूसरी मशीन पर ओपीडी के समय में मात्र 40-50 जांच होती है।
वीआईपी के लिए : तुरन्त जांच और तुरन्त रिपोर्ट
यह बात किसी से छुपी नही है कि राजधानी यूपी का मुख्यालय होने के कारण सरकारी अस्पतालों और संस्थानों में वीवीआईपी और वीआईपी कल्चर ज़्यादा हावी है। यहां मरीजों को दिखाने से लेकर जांच और भर्ती से डिस्चार्ज तक में इसका फायदा उठाया जाता है। जिसमे संस्थान के डॉक्टर से लेकर कई कर्मियों को व्यस्त रखा जाता है। ऐसे में उनका समय रोज़मर्रा के मरीजों के इलाज,जांच के लिए समय देने का टाइम ही नही मिलता है। हालांकि इस मामले पर जब संस्थान के अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीजों के परामर्श से लेकर इलाज में किसी तरह का पक्षपात नहीं होता है। कुछ प्रोटोकॉल हैं जिन्हें देखना होता है, लेकिन इससे आम मरीजों को समस्या न आये इसका पूरा ध्यान रखा जाता है
इन बीमारियों में कराई जाती है एमआरआई जांच
मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियाँ,स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, मल्टिपल स्क्लेरोसिस ,एपिलेप्सी,ब्रेन हैमरेज या इन्फेक्शन,सिरदर्द या माइग्रेन के कारणों की जांच,हड्डियों और जोड़ों की समस्याएं, घुटने, कंधे, रीढ़ की चोटें,अर्थराइटिस, लिगामेंट की चोट, डिस्क प्रॉब्लम,हृदय की संरचना में गड़बड़ी,ब्लड वेसल्स की ब्लॉकेज , एन्यूरिज्म,कॉनजेनिटल हार्ट डिजीज (जन्मजात हृदय रोग),स्रावी अंगों और उदर (Abdominal) अंगों की समस्याएं,लिवर, किडनी, पैंक्रियास,ट्यूमर या कैंसर का पता लगाना, यकृत सिरोसिस, फैटी लिवर, गर्भाशय या अंडाशय की समस्याएं (जैसे फाइब्रॉइड, सिस्ट),पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या, इन्फर्टिलिटी की जांच
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge