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Former UP DGP Prashant Kumar: एक्स डीजीपी का अनूठा उपहार, LU कुलपति ने जताया आभार, शुरू हुआ प्रेरक अध्याय
Former UP DGP Prashant Kumar: यह पहल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण और प्रशासनिक दृष्टिकोण को नई दिशा देने वाली एक सकारात्मक पहल को उजागर करती है
Ex DGP Prashant Kumar News (Social Media image).
Former UP DGP Prashant Kumar: उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने सेवानिवृत्ति के बाद अपने जीवन का एक प्रेरक अध्याय शुरू किया है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित टैगोर पुस्तकालय को 227 मूल्यवान पुस्तकें उपहार में भेंट की हैं, जो विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होंगी।
इन पुस्तकों में वह दुर्लभ और प्रेरक सामग्री शामिल है, जिससे प्रशांत कुमार स्वयं अपने छात्र जीवन के दौरान लाभान्वित हुए थे। इनमें भारतीय इतिहास, साहित्य, जनजातीय संस्कृति, भारतीय सेना की वीरगाथाएं, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महापुरुषों के विचार और योगदान पर केंद्रित ग्रंथ शामिल हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र, हस्तरेखा विज्ञान, साइबर क्राइम, अपराध विधि, उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित महत्वपूर्ण पुस्तकें भी इस संग्रह का हिस्सा हैं।
प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों के अनुभवों, संचार सिद्धांतों, देश-विदेश के महान व्यक्तित्वों की जीवनी और हिंदी साहित्य के प्रमुख उपन्यासों से भी यह संकलन समृद्ध है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इस पहल को अत्यंत सराहनीय और प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि प्रशांत कुमार का यह योगदान न केवल विश्वविद्यालय के लिए एक अमूल्य उपहार है, बल्कि यह अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी एक आदर्श बनेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगे भी इस तरह की पहलें शिक्षा जगत को समृद्ध करने में मददगार साबित होंगी।
सेवानिवृत्ति के बाद बदला जीवनचर्या
पुलिस सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद प्रशांत कुमार अब सुकूनभरा जीवन जी रहे हैं। पहले जहां उनका दिन मुख्यमंत्री के साथ बैठकों और कानून व्यवस्था की समीक्षा में व्यस्त रहता था, वहीं अब वे प्रतिदिन सुबह लोहिया पार्क में सैर करते हैं और पुराने मित्रों के साथ समय बिताते हैं। उनकी छवि एक ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के रूप में रही है, और वे अपने पेशेवर अनुभवों को लेकर एक पुस्तक लिखने की योजना भी बना रहे हैं।
प्रशासनिक सेवा से साहित्यिक सेवा की ओर बढ़ते कदम
प्रशांत कुमार की यह पहल शिक्षा, ज्ञान और सेवा के बीच एक सेतु बनाती है। यह कदम इस ओर संकेत करता है कि सेवा निवृत्ति जीवन का अंत नहीं, बल्कि समाज के प्रति योगदान का नया आरंभ हो सकता है।
लविवि परिवार की ओर से सम्मान और आभार
लखनऊ विश्वविद्यालय ने प्रशांत कुमार के इस कार्य को अत्यंत सम्मान के साथ स्वीकार किया है और उम्मीद जताई है कि यह पहल दूसरों को भी प्रेरित करेगी। विश्वविद्यालय परिवार ने उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस योगदान को ‘ज्ञान का उपहार’ बताया है।
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