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Lucknow News: प्रदेश में स्थानांतरण व्यवस्था को लेकर राज्य कर्मचारी परिषद ने उठाए सवाल, शून्य घोषित हुआ स्थानांतरण सत्र
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जीएन तिवारी ने मुख्यमंत्री के ई-पोर्टल पर पत्र लिखकर स्थानांतरण में की गई गड़बड़ियों की जांच की मांग की है।
JN Tiwari, Rajya karmchari
Lucknow Today News: प्रदेश की स्थानांतरण व्यवस्था एक बार फिर विवादों में घिरी है। निबंधन, होम्योपैथी, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पशुधन, शिक्षा, स्टांप रजिस्ट्रेशन और कृषि जैसे प्रमुख विभागों में अब तक 1000 से अधिक स्थानांतरण निरस्त किए जा चुके हैं। इसके परिणामस्वरूप पूरे स्थानांतरण सत्र को शून्य घोषित कर दिया गया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जीएन तिवारी ने मुख्यमंत्री के ई-पोर्टल पर पत्र लिखकर स्थानांतरण में की गई गड़बड़ियों की जांच की मांग की है। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की है। परिषद ने अब तक स्थानांतरण मामलों में आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं किया था, लेकिन इस बार स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि परिषद को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।
मुख्य सचिव की पारदर्शिता की नीति में विसंगतियां
6 मई 2025 को प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा जारी की गई स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता को प्रमुखता दी गई थी। ऑनलाइन आधारित ट्रांसफर को पारदर्शिता का मानक बनाने का दावा करते हुए सभी स्थानांतरण 15 जून तक पारदर्शी तरीके से पूर्ण करने के निर्देश जारी किए गए थे। हालांकि, इन दावों के बावजूद अब कई विभागों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की खबरें सामने आ रही हैं, जिनसे स्थानांतरण नीति के वास्तविक उद्देश्य पर सवाल उठने लगे हैं।
वहीं सबसे बड़ा झटका निबंधन विभाग को लगा जो प्रमुख सचिव कार्मिक के अंतर्गत आता है। इस विभाग में स्थानांतरण प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी पाई गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने निबंधन विभाग के सभी स्थानांतरण को निरस्त कर दिया। इसके अलावा खाद्य रसद विभाग में भी पदाधिकारियों द्वारा मनमानी स्थानांतरण किए जाने के आरोप सामने आए हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में भी विरोधाभासी स्थिति
स्वास्थ्य, होम्योपैथी, बेसिक शिक्षा, आयुष, पशुधन, वन, शिक्षा, स्टांप रजिस्ट्रेशन और कृषि जैसे विभागों में स्थानांतरण प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी पाई गई। इन विभागों में 12 से 15 वर्षों से जमे कर्मचारियों को कोई बदलाव नहीं किया गया, जबकि कम वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को हटाया गया। इस असमानता से कर्मचारियों में गुस्सा और विरोध बढ़ गया है।
स्थानांतरण उद्योग बनता जा रहा है
प्रदेश में स्थानांतरण अब एक उद्योग का रूप लेता हुआ नजर आ रहा है, जिसमें उगाही और मनमानी की खबरें आम हो गई हैं। मुख्यमंत्री ने पहले पारदर्शी स्थानांतरण व्यवस्था का वादा किया था, लेकिन इस बार विभागों में जमकर भ्रष्टाचार और लेन-देन हो रहा है, जिससे कर्मचारियों का भरोसा टूटता जा रहा है।
प्रमुख सचिव पर भी सवाल
राज्य कर्मचारी परिषद ने प्रमुख सचिव कार्मिक की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यदि स्थानांतरण में गड़बड़ी नहीं रुकी तो यह प्रमुख सचिव कार्मिक की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाएगा। विभागों पर उनका नियंत्रण कमजोर होता हुआ नजर आ रहा है, और इसे सुधारने की आवश्यकता है।
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