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महराजगंज झाड़ियों में तड़पता मिला मासूम नवजात,सब्जी वाले ने फरिश्ता बनकर दी नई ज़िंदगी
Maharajganj News: महराजगंज में झाड़ियों से नवजात मिला, सब्जीवाले ने बचाई जान
Maharajganj Newborn News
Maharajganj News : उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज से इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली एक घटना सामने आई है, ज़रा सोचिए एक मासूम, जिसने अभी आंखें खोलकर दुनिया देखी भी नहीं, उसे झाड़ियों में तड़पता छोड़ दिया गया। लेकिन इसी अंधेरे में उम्मीद की एक किरण बनी इंसानियत, जब एक सब्जी बेचने वाले ने उस मासूम नवजात को गले से लगाया और उसकी जान बचा ली।
ये तस्वीरें हैं घुघली नगर के काली मंदिर के पास बैकुंठी नदी किनारे की, जहां बुधवार को एक नवजात बच्चा झाड़ियों में मिला। रोने की आवाज़ सुनकर रेलवे ढाला वार्ड नंबर 11 के सब्जी विक्रेता हरिश्चंद्र वहां पहुंचे। उन्होंने जब देखा कि मासूम कांप और रो रहा है, तो बिना देर किए उसे उठाया, पानी पिलाया और अपने घर ले आए। गर्म कपड़ों में लपेटकर उस नन्हे जान को सीने से चिपकाया, मानो कोई बाप अपने बेटे को बचा रहा हो।सूचना मिलते ही नगर चौकी इंचार्ज अशोक गिरी पहुंचे और नवजात को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा अब सुरक्षित है, हालत स्थिर है। आगे स्वास्थ्य जांच के बाद उसे चाइल्ड लाइन को सौंपा जाएगा।
झाड़ियों में तड़पते उस मासूम ने शायद इंसानियत को परखने के लिए ही जन्म लिया था और हरिश्चंद्र ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। आज हर कोई कह रहा है, सब्जी वाला नहीं, ये तो उस मासूम बच्चे के लिए भगवान का फरिश्ता बनकर आया। हरिश्चंद्र की इस मानवीय कार्य के लिए चारों ओर सराहना हो रही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। अधिकारी यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि शिशु को झाड़ियों में किसने और क्यों छोड़ा।
आज महराजगंज में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय गलियों तक हरिश्चंद्र को लोग भगवान का रूप बता रहे हैं। सचमुच, यह कहानी सिर्फ एक नवजात की नहीं बल्कि इंसानियत की जीत की कहानी है।नगर पंचायत घुघली के स्थानीय नागरिक हरिश्चंद्र बताया कि जब उन्होंने बच्चे की करुण पुकार सुनी तो दिल दहल गया। “एक पल को लगा कि ये आवाज़ किसी जानवर की है, लेकिन जब पास गया तो देखा कि एक नवजात बच्चा झाड़ियों में पड़ा है। वो ठंड और भूख से तड़प रहा था। उस मासूम को छोड़ना मेरे बस की बात नहीं थी, इसलिए मैंने उसे तुरंत उठा लिया। मुझे लगा कि भगवान ने इस बच्चे को मेरी गोद में भेजा है। हरिश्चंद्र ने यह भी कहा कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। “अगर मैं उसे वहीं छोड़ देता, तो शायद वह जिंदा नहीं बचता। मैंने वही किया जो मेरे दिल ने कहा। अब मैं यही चाहता हूं कि इस बच्चे की अच्छी परवरिश हो और उसे एक सुरक्षित जीवन मिले।”
स्थानीय लोग हरिश्चंद्र की इस मानवता से भावुक हो उठे। मोहल्ले के बुजुर्गों ने कहा कि आज के समय में जब लोग अपनों से भी मुंह फेर लेते हैं, तब हरिश्चंद्र ने यह साबित कर दिया कि सच्ची इंसानियत अभी जिंदा है। कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि यह बच्चा भाग्यशाली है, जिसे एक सब्जी बेचने वाले जैसे साधारण लेकिन नेकदिल इंसान ने जीवनदान दिया।पुलिस प्रशासन भी हरिश्चंद्र के इस साहसिक कदम की तारीफ कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद बच्चे को विधिक प्रक्रिया के तहत सुरक्षित हाथों में सौंपा जाएगा।फिलहाल, नवजात अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में है और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। इस घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर लोग हरिश्चंद्र को “फरिश्ता” और “भगवान का भेजा हुआ दूत” बता रहे हैं।
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