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Mahoba News: दीपावली नजदीक आते ही महोबा में कुम्हारों के चाक फिर से लगे घूमने
Mahoba News: महोबा में दीपावली से पहले कुम्हार मिट्टी के दीये बनाने में जुटे, चाइनीज दीयों को मात देने की उम्मीद।
कुम्हार एक बार फिर अपने पारंपरिक हुनर में जुट गए (photo: social media )
Mahoba News: दीपावली का पर्व करीब आते ही महोबा के कुम्हारों के चाक फिर दिन-रात घूमने लगे हैं। पिछले चार महीनों से लगातार हुई बारिश के कारण कुम्हारों के काम पर ब्रेक लग गया था, लेकिन अब मौसम खुलते ही कुम्हार एक बार फिर अपने पारंपरिक हुनर में जुट गए हैं।
बुंदेलखंड के महोबा जिले में बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये तैयार किए जा रहे हैं। बदलते समय के साथ बाजारों में चाइनीज और डिजाइनर दीयों का चलन जरूर बढ़ा है, लेकिन इसके बावजूद कुम्हारों को उम्मीद है कि इस बार लोग पारंपरिक मिट्टी के दीपक खरीदकर उनके घरों की खुशियों को भी रोशन करेंगे। आगामी 20 अक्तूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। बाजारों में सजावटी सामग्रियों के साथ दीपकों की दुकानें भी सज चुकी हैं। कुम्हारों का कहना है कि इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है ताकि मौसम की मार से हुए नुकसान की भरपाई हो सके।
प्राचीन चाक को आज भी चला रहे
मुख्यालय के भटीपुरा निवासी हीरालाल बताते है कि प्राचीन चाक को वे आज भी चला रहे है । जबकि सरकार की ओर से बहुत से कामगारों को इलेक्ट्रानिक चाक मिला है जिससे वे और तेजी से काम करते है । हालांकि बहुत से लोगों ने अधिक मेहनत और ज़्यादा लागत आने के चलते इस काम को छोड़ दिया है लेकिन वे 72 साल की उम्र में अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अभी भी काम कर रहे है उन्हें उम्मीद है कि उनकी मेहनत से तैयार ये दीये न सिर्फ घरों को रोशन करेंगे बल्कि उन्हें भी मुनाफा होगा।
काम में बहुत मेहनत
दीपक बना रहे कुम्हार.....ने बताया कि इस काम में बहुत मेहनत है। मिट्टी के दिए बनाने के लिए मिट्टी को बहुत दूर से लाना पड़ता है । मिट्टी को छानकर मिट्टी को गिला करना पड़ता है इसके बाद दीपक और बर्तन बनाते है। इस काम के लिए दीपावली के महीनों पहले से जुटकर मेहनत करना पड़ती है लेकिन हमारे दिए चाइनीज दियो के आगे टिक नहीं पाते।
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