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प्रदेशभर मेें निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन, लखनऊ में ऊर्जा मंत्री के आवास का तीन घंटे तक घेराव

Electricity Privatization: ऊर्जा मंत्री एके शर्मा करीब 3 घंटे बाद पुलिस सुरक्षा के बीच हाथ जोड़कर घर से बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठ गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बिजली विभाग किसी के बाप का नहीं है। मंत्री ने कहा कि मैं कर्मचारियों का इंतजार कर रहा था, लेकिन कोई मिलने नहीं आया।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 22 July 2025 8:04 PM IST
Electricity workers protest in Lucknow
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Electricity workers protest in Lucknow (Photo: Network) 

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण और कर्मचारियों ने उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में सोमवार को सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, के आह्वान पर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया गया। राजधानी लखनऊ में बिजलीकर्मियों ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के कालिदास मार्ग स्थित आवास पर 3 घंटे तक प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जाहिर किया। ऊर्जा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन का नेतृत्व संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने किया।

आठ महीने से चल रहा है विरोध

इस दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक चले विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया। संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि पिछले आठ महीनों से बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री लगातार निजीकरण के फायदे गिना रहे हैं, जबकि उपभोक्ता परेशान और युवा बेरोजगार हो रहे हैं। प्रदेश के आउटसोर्स कर्मियों को 8,000 रुपये की अल्प वेतन में काम कराया जा रहा है। उसके बाद भी बड़ी संख्या में उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है।


ऊर्जा कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

-पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया रद्द की जाए।

-दिसंबर 2022 और मार्च 2023 के समझौतों का पालन किया जाए।

-हड़ताल के दौरान की गई सभी अनुशासनात्मक कार्यवाहियां रद्द कि जाएं।

-बिजली कर्मियों के घरों पर लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर का काम रोका जाए।

-सभी निकाले गए संविदा और अन्य कर्मचारियों को बहाल किया जाए।

-सभी स्टेट विजिलेंस की जांच और एफआईआर वापस ली जाए।

-फेसियल अटेंडेंस के नाम पर रोका गया वेतन जारी किया जाएं।

ऊर्जा मंत्री ने वार्ता से किया इनकार

मंत्री ने 3 दिसंबर 2022 और 19 मार्च 2023 को संघर्ष समिति और जूनियर इंजीनियर्स संगठन के पदाधिकारियों के साथ किए गए लिखित समझौतों को लागू नहीं किया है। मार्च 2023 की हड़ताल के दौरान की गई कार्रवाइयां भी अभी तक वापस नहीं ली गई हैं, उल्टा नई कार्रवाइयां शुरू हो गई हैं। इस दौरान बिजलीकर्मी ऊर्जा मंत्री से मिलकर बात रखना चाहते थे, लेकिन मिलने का समय नहीं दिया गया। इससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया। उसके बाद विरोध ओर तेज हो गया।


प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन

उन्होंने उत्पीड़न बंद करो, निजीकरण वापस लो, ऊर्जा मंत्री इस्तीफा दो, जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। वहां मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात रहा, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। लखनऊ के अलावा वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मथुरा, अलीगढ़, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, मुजफ्फरनगर, नोएडा, गाजियाबाद, ओबरा, अनपरा समेत तमाम जिलों में बिजलीकर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। बिजलीकर्मियों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा।

मैं अंदर मिलने का इंतजार कर रहा था

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा करीब 3 घंटे बाद पुलिस सुरक्षा के बीच हाथ जोड़कर घर से बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठ गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बिजली विभाग किसी के बाप का नहीं है। मंत्री ने कहा कि मैं कर्मचारियों का इंतजार कर रहा था, लेकिन कोई मिलने नहीं आया। कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि आएं, हम उनसे बातचीत करने के लिए तैयार हैं। लेकिन वह पिछले 3 घंटे से अनावश्यक नारेबाजी कर रहे हैं। हम इनसे मिलने के लिए तैयार हैं। यह जिस निजीकरण को लेकर विरोध कर रहे हैं, वह मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद लिया जा रहा है। हम जो काम करेंगे, वह राज्य की जनता के हित में होगा।

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