प्रदेश के 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट: टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ ज्ञापन-आंदोलन की तैयारी

उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल 3,38,590 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि उच्च प्राथमिक

Virat Sharma
Published on: 8 Sept 2025 8:43 PM IST
Lucknow News
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Lucknow News: Photo-Social Media

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत लगभग 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसका कारण सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि बिना टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास किए कोई भी शिक्षक पात्र नहीं माना जा सकता। इस फैसले ने प्रदेश के शिक्षकों में हड़कंप मचा दिया है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

बता दें कि यह आदेश 1 से 8 कक्षा तक के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए है, जिनमें उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक शामिल हैं। दरअसल, 2 अगस्त 2010 को राष्ट्रीय परिषद शिक्षक शिक्षा (एनसीटीई) ने एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि जिन शिक्षकों की भर्ती टीईटी पास किए बिना की गई थी, उन पर यह परीक्षा लागू नहीं होगी। लेकिन, 3 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने एक नया नियम जारी किया, जिसके तहत सभी शिक्षकों को 2019 तक टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया।

इस नियम के खिलाफ कुछ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और 1 सितंबर 2025 को कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि सभी शिक्षकों को अगले दो साल में टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। इससे प्रदेश भर में शिक्षकों के बीच चिंताएँ बढ़ गई हैं, खासकर उन शिक्षकों के लिए जिनकी सेवा वर्षों से चल रही है।

उत्तरी प्रदेश में लाखों शिक्षक होंगे प्रभावित

उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल 3,38,590 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में यह संख्या 1,20,860 है। इन आंकड़ों को जोड़ने पर कुल 4,59,450 शिक्षक प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, निकाय, निजी, और अन्य विभागों से जुड़ी शिक्षकों की संख्या को मिलाकर यह संख्या दोगुनी हो जाती है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि लगभग 1.80 लाख से 2 लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे हैं।

शिक्षक संघ का विरोध, आंदोलन की चेतावनी

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले का विरोध करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है। संघ ने अपील की है कि सेवारत शिक्षकों को टीईटी पास करने की अनिवार्यता से छूट दी जाए। संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती, तो वे आगे बड़े पैमाने पर आंदोलन कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के लखनऊ जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 10 सितंबर को जिला कलेक्ट्रेट कैसरबाग, लखनऊ में ढ़ाई बजे जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने प्रदेशभर के शिक्षकों से अपील की है कि वे इस ज्ञापन कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों। संघ ने यह भी निर्देश जारी किए हैं कि सभी जिलाध्यक्ष और पदाधिकारी स्थानीय स्तर पर शिक्षकों को जानकारी दें और ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करें।

शिक्षकों की चिंता और भविष्य की अनिश्चितता

प्रदेश के शिक्षक जिनमें से कई ने दो-दो दशकों तक सेवा दी है, इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इतने लंबे समय बाद परीक्षा अनिवार्य करना उनके लिए अस्वीकार्य है। कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। यदि सरकार ने शिक्षकों की बात नहीं मानी, तो प्रदेश भर में बड़े आंदोलन हो सकते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश प्रदेश के लाखों शिक्षकों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार को इस आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए और ऐसे शिक्षकों को छूट देनी चाहिए जिन्होंने वर्षों तक बिना टीईटी के सेवा दी है।

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