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RTI की 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस का भाजपा पर हमला, मोदी सरकार ने कानून को कमजोर कर...
Congress News: डॉ. सीपी राय ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और सोनिया गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व में आरटीआई अधिनियम अस्तित्व में आया था।
Congress News: सूचना का अधिकार (RTI) कानून की 20वीं वर्षगांठ पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेसवार्ता आयोजित हुई। उसको संबोधित करते हुए यूपी कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन सीपी राय ने भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों में लिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार 12 अक्टूबर 2005 को आरटीआई कानून लाई थी, जिसका उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, शासन व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था, लेकिन 2014 के बाद से कमजोर किया जा रहा है।
मनमोहन सिंह सरकार लाई थी अधिनियम
डॉ. सीपी राय ने आगे कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और सोनिया गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व में आरटीआई अधिनियम अस्तित्व में आया। यह अधिकार आधारित एजेंडा की पहली कड़ी थी, जिसमें मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानून शामिल थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि आरटीआई समाज के सबसे हाशिए पर बसे लोगों के लिए जीवनरेखा साबित हुई है, जिसने राशन, पेंशन और छात्रवृत्तियां दिलाने में मदद की है।उसको 2019 के संशोधन करके कमजोर कर दिया, जिससे कार्यकाल और सेवा शर्तें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को मिल गया और कार्यपालिका का प्रभाव बढ़ा है
11 में से 2 सूचना आयुक्त की कार्यरत
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (2023) ने आरटीआई की धारा 8(1)(ञ) में संशोधन कर जानकारी की परिभाषा का दायरा बढ़ा दिया गया। उससे जनहित में जानकारी का खुलासा रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे मतदाता सूची या सार्वजनिक धन के उपयोग जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रकटीकरण प्रभावित होगा, जिससे सार्वजनिक निगरानी कमजोर हो रही है। उन्होंने केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई। डॉ. राय ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग में 11 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल दो आयुक्त कार्यरत हैं, लगभग 4,05,000 अपीलें और शिकायतें लंबित हैं, जो 2019 की तुलना में लगभग दोगुनी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमला
आरटीआई कार्यकर्ताओं जैसे शहला मसूद और सतीश शेट्टी पर हुए हमलों की याद दिलाते हुए कहा कि प्रोटेक्शन अधिनियम पारित होने के बावजूद मोदी सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है, जिससे भ्रष्टाचार उजागर करने वाले असुरक्षित हैं। कांग्रेस ने आरटीआई कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के लिए छह सूत्रीय मांगें रखी हैं, जिनमें 2019 के संशोधनों को निरस्त करना, डीपीडीपी अधिनियम की समीक्षा, सभी रिक्तियों को तुरंत भरना, और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू करना शामिल है। इस अवसर पर मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष श्रीवास्तव हिंदवी, प्रवक्ता डॉ. उमाशंकर पाण्डेय, सचिन रावत सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
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