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Sambhal News: तीज के दिन मातम,1400 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा
Sambhal News: संभल के हल्लू सराय मोहल्ले में तीज का पर्व नहीं मनाया जाता, बल्कि वीरों की स्मृति में शोक मनाया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह परंपरा 1400 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है।
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Sambhal News: जब पूरे देश में तीज का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जा रहा था, तब उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में मातम पसरा हुआ था। जहाँ पड़ोस की गलियों में लड़कियाँ सज-धजकर मेहंदी लगा रही थीं, वहीं हल्लू सराय की गलियाँ सूनी पड़ी थीं। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे मोहल्ले की जहाँ पिछले 1400 वर्षों से तीज के दिन शोक मनाया जाता है, ना कि त्यौहार।
कहा जाता है कि संभल जनपद के चंदन के बाग क्षेत्र में स्थित मनोकामना मंदिर के कुंड पर 1400 साल पहले पृथ्वीराज सिंह चौहान ने नहाने वालों पर कर (शुल्क) लगा दिया था। इस कर के विरोध में कन्नौज निवासी वीर योद्धा लाखन, मलखान और उदल ने देवी माँ काली से दर्शन प्राप्त करने के बाद कर मुक्त कराने का संकल्प लिया।
स्वप्नादेश मिलने के बाद वे अपनी सेना के साथ संभल पहुँचे और पृथ्वीराज सिंह चौहान से युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान पृथ्वीराज सिंह चौहान ने वीर लाखन की हत्या कर दी, जिसके चलते कन्नौज की समूची बिरादरी में शोक की लहर दौड़ गई।यह घटना तीज के दिन ही हुई थी। तभी से संभल के हल्लू सराय मोहल्ले में तीज का पर्व नहीं मनाया जाता, बल्कि वीरों की स्मृति में शोक मनाया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह परंपरा 1400 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है।
स्थानीय आस्था और भय
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कोई इस दिन तीज का पर्व मनाता है, तो दुर्भाग्य निश्चित होता है। कुछ वर्ष पहले एक युवती ने अपने हाथों में मेहंदी लगाई थी, उसी दिन उसके भाई की मृत्यु हो गई थी। एक अन्य घटना में एक लड़की ने मेहंदी लगाई तो उसकी अचानक तबीयत बिगड़ गई, जिसे इलाज के बाद बचाया जा सका।इस दिन न तो घरों में पकवान बनते हैं, न कोई हँसी-खुशी का माहौल होता है। पूरे मोहल्ले में सन्नाटा और मातम पसरा रहता है। लोग अपने वीर राजा को याद करते हैं और यह मानते हैं कि तीज उनके लिए शोक का दिन है, ना कि उत्सव का।
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