संघर्ष समिति की सीएम योगी से सीबीआई जांच की मांग, बिजली निजीकरण में घोटाले की जताई आशंका

Electricity Privatization: संघर्ष समिति ने बताया कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया शुरू से भ्रष्ट है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 3 Sept 2025 8:29 PM IST
Electricity Privatization in UP
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Electricity Privatization in UP (Photo: Social Media)

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण प्रस्तावित है। जिसके विरोध में संघर्ष समिति लगभग एक साल से प्रदर्शन कर रही है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रक्रिया में बड़े घोटाले और कॉर्पोरेट घरानों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाएं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निर्णय को तुरंत रद्द करने और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

डिस्कॉम एसोसिएशन सेक्रेटरी पर विवाद

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि निजीकरण की प्रक्रिया में शुरू से अनियमितताएं दिख रही हैं। उनके अनुसार जिस तरह से अवैध रूप से ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई। उसी से भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई थी। संघर्ष समिति ने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के साथ मिल करके मुद्दे पर विचार-विमर्श किया है। जिसके बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

निजी घरानों की मिलीभगत: संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पिछले नवंबर में लखनऊ में विद्युत वितरण निगमों की एक बैठक में निजी घरानों ने बड़ी संख्या में भाग लिया था। इसी बैठक में निजीकरण की पृष्ठभूमि तैयार की गई। पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल को डिस्कॉम एसोसिएशन का जनरल सेक्रेटरी बना या गया है। जो देश के इतिहास में पहली बार हुआ है।

गुप्त बिडिंग डॉक्यूमेंट: संघर्ष समिति के अनुसार बिडिंग के लिए जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का उपयोग किया जा रहा है, अब तक पब्लिक डोमेन में नहीं है। इससे पहले 2020 में जारी डॉक्यूमेंट पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिनका कोई समाधान नहीं हुआ। यह सब गुपचुप तरीके से किया जा रहा है, जो मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

कॉर्पोरेट घरानों से साठगांठ: टाटा पावर के सीईओ प्रवीर सिन्हा ने हाल ही में बयान दिया कि पूर्वांचल-दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के दस्तावेज चर्चा के बाद तैयार किए गए हैं। संघर्ष समिति का अनुसार यह इस बात का सबूत है कि इस पूरी प्रक्रिया में कॉर्पोरेट घरानों को विश्वास में लेकर काम किया जा रहा है।

कंसल्टेंट की नियुक्ति में धांधली: समिति ने 'ग्रांट थॉर्नटन' नामक कंसल्टेंट पर झूठा शपथ पत्र देने का आरोप लगाया है। यह भी बताया कि अमेरिका में कंपनी पर जुर्माना लग चुका है, फिर भी इसे निजीकरण के दस्तावेज तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई।

इक्विटी के आधार पर बेचने की कोशिश

संघर्ष समिति ने दावा किया कि दोनों निगमों को 'इक्विटी' के आधार पर बेचने की कोशिश की जा रही है, जिससे 42 जिलों की बिजली व्यवस्था मनचाहे कॉर्पोरेट घरानों को बेहद सस्ते दामों में मिल जाएगी। इस मामले में मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने और लाखों करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को बड़े घोटाले से बचाने का आग्रह किया है। समिति ने कहा कि जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता है, तब तक संघर्ष और अभियान जारी रहेगा।

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