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Sonbhadra News: बिजली संशोधन विधेयक के विरोध में देशव्यापी आंदोलन, 30 जनवरी को दिल्ली में विशाल रैली
Sonbhadra News: एनसीसीओईईई ने बिजली संशोधन विधेयक 2025 को बताया किसान, उपभोक्ता व कर्मचारी विरोधी, 30 जनवरी को दिल्ली में विशाल रैली का ऐलान।
बिजली संशोधन विधेयक के विरोध में देशव्यापी आंदोलन, 30 जनवरी को दिल्ली में विशाल रैली (Photo- Newstrack)
Sonbhadra News: सोनभद्र। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर बिजलीकर्मियों और इंजीनियरों में व्यापक रोष है। राष्ट्रीय समन्वय समिति ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉयीज़ एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) ने विधेयक को किसान, उपभोक्ता और कर्मचारी विरोधी बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। समिति ने घोषणा की है कि यदि सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 30 जनवरी 2026 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल रैली करेंगे।
मुंबई में आयोजित एनसीसीओईईई की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में एआईपीईएफ चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, महासचिव पी. रत्नाकर राव, मोहन शर्मा, सुदीप दत्ता, के. अशोक राव, कृष्णा भोयूर, लक्ष्मण राठौड़, संतोष खुमकर और संजय ठाकुर समेत कई प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में तय किया गया कि किसान और उपभोक्ता संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।
संयुक्त मोर्चे की पहली बैठक 14 दिसंबर को दिल्ली में होगी, जबकि 15 नवंबर से 25 जनवरी के बीच सभी राज्यों में बिजली कर्मचारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। आंदोलन के तहत 30 जनवरी को “दिल्ली चलो” का आह्वान किया गया है।
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि विधेयक 2025 के माध्यम से केंद्र सरकार ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण थोपना चाहती है, जिससे बिजली दरें आसमान छू जाएंगी। उन्होंने कहा कि धारा 14, 42 और 43 के तहत निजी कंपनियों को सरकारी नेटवर्क का उपयोग कर बिजली सप्लाई करने की छूट दी जा रही है, जबकि रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों पर होगी। इससे सरकारी डिस्कॉम पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और वे घाटे में चली जाएंगी।
दुबे ने आगे कहा कि धारा 61(जी) में संशोधन के जरिए क्रॉस-सब्सिडी खत्म करने और लागत-आधारित टैरिफ लागू करने का प्रस्ताव है, जिससे किसानों और गरीब उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ने विधेयक वापस नहीं लिया, तो देशभर के 2.7 मिलियन बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
एनसीसीओईईई का कहना है कि यह विधेयक न केवल आम जनता के हितों के खिलाफ है, बल्कि संघीय ढांचे पर भी प्रहार करता है, क्योंकि यह राज्यों के अधिकारों को सीमित करता है। समिति ने कहा कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है, इसलिए केंद्र सरकार को राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
देशभर में यह आंदोलन निजीकरण के खिलाफ एक बड़ा जन-आंदोलन बनने जा रहा है, जिसका अगला चरण 30 जनवरी को दिल्ली की धरती पर दिखेगा।
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