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Sonbhadra News: यूपी-झारखंड सीमा पर कब्जाई गई सैकड़ों बीघे जंगल की जमीन, काटे गए ढेरों इमारती पेड़, ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन
Sonbhadra News: यूपी-झारखंड सीमा पर वन क्षेत्र की सीमा की वास्तविक स्थिति को लेकर बने असमंजस भरे हालात का फायदा उठाकर सैकड़ों बीघे जमीन कब्जा ली गई है।
Sonbhadra News: यूपी-बिहार सीमा पर पीडब्ल्यूडी महकमे की तरफ से लगभग एक किमी पहले ही यूपी की सीमा समाप्ति के लगाए गए बोर्ड का मामला जहां अभी तक अनसुलझा पड़ा है। वहीं, अब यूपी-झारखंड सीमा पर भी इसी तरह की स्थिति सामने आने के बाद हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि यूपी-झारखंड सीमा पर वन क्षेत्र की सीमा की वास्तविक स्थिति को लेकर बने असमंजस भरे हालात का फायदा उठाकर सैकड़ों बीघे जमीन कब्जा ली गई है। आस-पास ग्रामीण कई बार मामले को लेकर आवाज उठा चुके हैं। वहीं, रविवार को दर्जनों ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन किया और वन विभाग के लोगों पर कथित असमंजस की आड़ में जमीन कब्जा कराने का आरोप लगाया।
सीमा क्षेत्र के पेंच का फायदा उठा इमारती लकड़ियों की भी हो रही कटान
बताया जा रहा है कि ओबरा वन प्रभाग के कोन वन रेज के तहत आने वाले इस एरिया में सिर्फ जमीनें ही नहीं कब्जाई जा रही हैं बल्कि इस कथित पेंच का फायदा उठाकर सैकड़ों इमारती पेड़ भी काट लिए गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन भूमि पर कब्जा और पेड़ों की कटान आगे भी लगातार जारी है। बताया जा रहा है कि बागेसोती बीट के पास यूपी-झारखंड सीमा पर यूपी की तरफ 70 मीटर तक अंदर आकर लोगों ने घर बना लिया है। खोहिया जंगल, ललुआखोह, बेवरा (बरवाहीखोली), अचरज( हड़वरिया), टेवना ( घटवारिया), भालुकूदर के धरनवा बॉर्डर, कोन क्षेत्र के मिश्री, डोमा, चांचीकला, नरहटी, हर्रा ग्राम पंचायत के पडछ आदि गांवों के पास स्थित जंगल की जमीन पर इमारती पेड़ों की कटान के साथ ही, वन भूमि कब्जाने का क्रम जारी है।
ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर उठाई आवाज, लगाए कई गंभीर आरोप
बरवाहीखोली, हड़वरिया, घटवारिया बस्ती के लोगों ने कैलाश राम भारती की अगुवाई में वन विभाग के लोगों के खिलाफ प्रदर्शन किया। दोनों राज्यों की सीमा पर वास्तविक स्थिति को लेकर बने कथित असमंजस भरे हालात की आड़ लेकर, जमीनों को कब्जा कराने का आरोप लगाया। पेड़ों के कटान पर रोक लगाते हुए जंगल की रक्षा करने, अवैध कब्जे से वन भूमि को मुक्त कराने की मांग करते हुए, वन महकमे के लोगों पर फ़र्जी रिपोर्ट लगाए जाने का भी आरोप लगाया। वन विभाग के लोगों की तरफ से अवैध खनन को शह दिए जाने का भी दावा किया। रामचंद्र सिंह, वन समिति अध्यक्ष कचनरवा बिहारी प्रसाद यादव ,भाजपा बूथ अध्यक्ष कचनरवा कैलास राम भारती , रघुवर पासवान, सुदर्शन पनिका, रामअधीन व राम खेलावन यादव , सतन खरवार, विजेंद्र भारती, अजय भारती, मैकू भारती आदि का कहना था कि स्थानीय वन चौकी लंबे समय से वीरान हालत में छोड़ दी गई है। जब कभी मामले को लेकर शिकायत की जाती है तो वन विभाग राजस्व विभाग को पत्र भेजकर चुप्पी साध लेता है।
यहां बना है असमंजस, इसका उठाया जा रहा फायदा
इस मसले पर संबंधित वन क्षेत्राधिकारी सतेंद्र सिंह से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि दोनों राज्यों की सीमा पर नाला स्थित है। व्यवहारिक तौर पर नाले के उस तरफ झारखंड और इस तरफ उत्तर प्रदेश के सीमा की मान्यता है। इसी हिसाब से पिछले कई वर्ष से दोनों राज्यों की वन सीमा का निर्धारण भी होता आ रहा था लेकिन अब जीपीएस मैप पर झारखंड की सीमा नाले के आगे बता रही है। इस कारण कार्रवाई संभव नहीं हो पाई है। इसको लेकर डीएफओ ओबरा के जरिए झारखंड के संबंधित वनाधिकारी से कई बार संपर्क साधा गया लेकिन अभी उसका कोई हल नहीं निकल पाया है। इस कारण कथित कब्जे पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही।
शासन-प्रशासन दिखाए संजीदगी, तभी निकल पाएगा प्रकरण का हल
वहीं, ग्रामीणों का कहना था कि जीपीएस मैप का फायदा उठाकर दोनों राज्यों के संबंधित वन विभाग के लोग जमीनों पर कब्जा कराने और पेड़ों की कटान में लगे हुए हैं। ऐसे में प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच के साथ ही, दोनों राज्यों के सीमा की वास्तविक स्थिति के निर्धारण के लिए शासन-प्रशासन स्तर से टीम गठित कर कार्रवाई की जाए, ताकि जिले की वन संपदा सुरक्षित रहे। इस बारे में जानकारी के लिए डीएफओ ओबरा से भी फोन पर संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।
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