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Sonbhadra News: 450 बीघा फर्जी खतौनी दर्ज करने का आदेश हो निरस्त, धरने पर बैठे ग्रामीणों ने वार्ता में उठाई मांग, बोले एसडीएम-न्यायिक प्रक्रिया के तहत कराएं मसले का निराकरण
Sonbhadra News: एसडीएम की तरफ से कहा गया कि जो भी समस्याएं-शिकायत हैं, उसका समाधान न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही संभव है। इसलिए धरने की बजाय, न्यायिक प्रक्रिया की सहायता ली जाए।
450 बीघा फर्जी खतौनी दर्ज करने का आदेश हो निरस्त (photo: social media )
Sonbhadra News: भैंसवार गांव में चकबंदी प्रक्रिया में बरती गई कथित गड़बड़ी और 450 बीघा फर्जी दर्ज करने के दिए गए आदेश के मसले पर दो माह से धरनारत ग्रामीणों से बृहस्पतिवार को एसडीएम की अगुवाई में पहुंची टीम ने वार्ता की। ग्रामीणों ने गड़बड़ियां दुरूस्त करने के साथ ही फर्जी खतौनी दर्ज करने के दिए गए आदेश को निरस्त करने की मांग उठाई गई। वहीं, एसडीएम की तरफ से कहा गया कि जो भी समस्याएं-शिकायत हैं, उसका समाधान न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही संभव है। इसलिए धरने की बजाय, न्यायिक प्रक्रिया की सहायता ली जाए।
नाराजगी जता रहे किसानों ने इन मसलों पर उठाई आवाज:
ंएसडीएम प्रदीप कुमार यादव, सीओ राहुल पांडेय, एसओसी चकबंदी की मौजूदगी वाली टीम ने भैंसवार गांव जाकर, बछनार बीर बाबा नामक स्थल पर चकबंदी प्रकिया से असंतुष्ट होकर धरने पर बैठे ग्रामीणों-कृषकों से बातचीत की। अगुवाई कर रहे भारतीय किसान (लोक शक्ति) के जिलाध्यक्ष बिरजू कुशवाहा और पूर्व प्रधन संजय कुमार यादव ने कहा कि कृषको की मांग है कि चकबंदी प्रक्रिया में 31 मार्च 1992 को चकबंदी प्रक्रिया निरस्त कर नए सिरे से चकबंदी प्रक्रिया शुरू किए जाने के आदेश की अवहेलना की गई है। चकबंदी में बटा तरमीम, जोत कोड़, कब्जा के आधार पर भूचित्र अंकित नही किया गया है। साथ ही 450 बीघा फर्जी खतौनी के संबंध में चकबंदी अधिकारी संजीव राय के अनिमियत आदेश पारित किया गया है, जिसे निरस्त किया जाए और अन्य गड़बड़ियां दुरूस्त की जाएं।
एसओसी चकबंदी ने उठाए गए मसलों को कुछ यह दिया गया जवाबः
वहीं, किसानों की तरफ से उठाए गए मसले पर एसओसी चकबंदी की तरफ से कहा गया कि भैंसवार गांव में वर्ष 1986 से चकबंदी प्रक्रिया में है। यहां चकबंदी प्रक्रिया में धारा 10 के तक की कार्यवाही को 31 मार्च 1992 को जिलाधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया था। अब वह पुनः प्रारम्भिक स्थिति से शुरू होकर वर्तमान में गतिमान है। यहां की चकबन्दी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उच्च न्यायालय की तरफ से 18 फरवरी 2020 को आदेश पारित किया गया है। बिरजू कुशवाहा (अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति) की पत्नी और पूर्व प्रधान संजय कुमार यादव स्वयं चकबंदी समिति के अध्यक्ष रहे है। चकबंदी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में ग्राम प्रधान का महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन उनके द्वारा तत्समय चकबंदी का विरोध नही किया गया।
न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही समस्याओं का निराकरण संभव: एंसडीएम
एसडीएम ने कृषकों से कहा कि उनकी जो भी समस्याएं है उनका नियमानुसार निराकरण न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत संभव है। वह न्यायालय की शरण लेकर अनुतोष प्राप्त कर सकते है। को निरस्त किया जाय। इससे पहले गत पांच जुलाई 2025 को तहसील घोरावल में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में डीएम-एसपी ने भैंसवार के कृषको की समस्या सुनी थी। कहा गया कि समस्याओं के समाधान के लिए चकबंदी अधिकारी, बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी, उप संचालक चकबंदी के न्यायालय ग्रामवासियों के लिए उपलब्ध है, कृषक अपनी समस्या का निस्तारण न्यायालयों के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।
त्वरित कार्रवाई की मांग पर अडे़ हैं ग्रामीण-कृषक:
प्रशासनिक अमला जहां लगभग दो माह से धरने पर बैठो ग्रामीणों को शिकायतों-समस्याओं के समाधान के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लेने की सलाह दे रहा है। वहीं, ग्रामीण इस बात पर अड़े हुए हैं कि मामले की त्वरित कार्रवाई की जाए। सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात है कि जिस व्यक्ति/व्यक्तियों के नाम पर 450 बीघे जमीन दर्ज की गई, वह उतनी जमीन चकबंदी प्रक्रिया के दौरान बेच चुके हैं और अब उस 450 बीघे जमीन को ग्रामीणों के कब्जे-हक वाली जमीन पर तलाशा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि आखिर इस मसले पर अनियमित आदेश पारित करने वाले चकबंदी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने और गलत तरीके से दर्ज खतौनी को निरस्त करने में किस तरह की विधिक अड़चन आ रही है, यह वह समझ नहीं पा रहे हैं। फिलहाल प्रशासन इस मसले का समाधान निकालने में जुटा हुआ है। वहीं, ग्रामीण तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ऐसे में इस मसले का क्या समाधान सामने आता है, इस पर लोगों की निगाहंे टिकी हुई हैं।
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