Sonbhadra: अंशकालिक व वित्तविहीन शिक्षकों को मतदाता बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

Sonbhadra News: सोनभद्र में अंशकालिक व वित्तविहीन शिक्षकों को मतदाता बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, शिक्षक नेता ने कहा “वोट घोटाला”, चुनाव आयोग को घेरा।

Mithilesh Dev Pandey
Published on: 3 Nov 2025 5:46 PM IST
Sonbhadra: अंशकालिक व वित्तविहीन शिक्षकों को मतदाता बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
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Sonbhadra News: विधान परिषद शिक्षक निर्वाचन वाराणसी खंड के मतदाता सूची में अंशकालिक व वित्तविहीन शिक्षकों को शामिल किए जाने के खिलाफ विवाद गहराता जा रहा है। इस मामले में शिक्षक नेता सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय में याचिका संख्या 37588/2025 दाखिल कर राज्य सरकार, भारत निर्वाचन आयोग, मुख्य निर्वाचन अधिकारी लखनऊ, वाराणसी मंडलायुक्त सहित 20 अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया है।श्री त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि भारत निर्वाचन आयोग के 05 सितंबर 2016 के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद अंशकालिक शिक्षकों को मतदाता बनाया जा रहा है।

दिशा-निर्देश के अनुच्छेद 2.3.4 के अनुसार अंशकालिक शिक्षक शिक्षक निर्वाचन में मतदाता बनने के पात्र नहीं हैं, इसके बावजूद जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा ऐसे शिक्षकों के फॉर्म-19 बिना नियुक्ति पत्र, कार्यभार ग्रहण पत्र और शैक्षिक अर्हता की जांच किए प्रतिहस्ताक्षरित कर दिए गए हैं।उन्होंने कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों की मान्यता माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 7-कक के तहत दी जाती है और 10 अगस्त 2001 के शासनादेश के अनुसार इन शिक्षकों को अंशकालिक माना गया है। ऐसे में किसी भी वित्तविहीन शिक्षक को “वास्तविक शिक्षक” प्रमाण पत्र देना शासनादेश का उल्लंघन है। बावजूद इसके, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों में एक भी वैध नियुक्ति पत्र या सेवा अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी इन शिक्षकों को मतदाता सूची में जोड़ा जा रहा है।

श्री त्रिपाठी ने इस प्रक्रिया को “वोट घोटाला” करार दिया है और आरोप लगाया कि सोनभद्र सहित वाराणसी खंड के कई जिलों में निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों की खुली अवहेलना हो रही है। उन्होंने मांग की है कि मतदाता बनाए जाने से पहले प्रत्येक शिक्षक से नियुक्ति पत्र, कार्यभार ग्रहण पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र तथा बैंक से वेतन भुगतान का प्रमाण अनिवार्य रूप से लिया जाए।उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण को गंभीर मानते हुए सभी प्रतिवादियों से 28 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। शिक्षा जगत में इस याचिका के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

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