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Sonbhadra News: बंधकपत्र के बहाने बैनामा कराई जनजाति की जमीन, उपनिबंधक सहित चार पर FIR का आदेश
Sonbhadra News: आरोप है कि बातचीत तय होने के बाद 18 मार्च 2025 को जवाहरलाल अपनी पत्नी उर्मिला देवी, एक अन्य साथी जंग बहादुर सिंह के साथ पीड़ित को लेकर दुद्धी तहसील आए।
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Sonbhadra News: दुद्धी तहसील मुख्यालय स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बगैर किसी अनुमति, बगैर किसी प्रावधान के पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जनजाति के खाते वाली जमीन बैनामा कराने का मामला सामने आया है। आरोप है कि इस बैनामे के एवज में संबंधित खातेदार को कोई प्रतिफल भी नहीं दिया गया। प्रकरण से जुड़े तथ्यों का संज्ञान लेते हुए, विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट आबिद शमीम की अदालत ने पिपरी थानाध्यक्ष को उप निबंधक दुद्धी सहित चार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और इसकी विवेचना संबंधित क्षेत्राधिकारी से कराने का आदेश पारित किया है।
बताते चलें कि अयोध्या सिंह पुत्र स्व. दशरथ निवासी मुर्धवा रेणुकूट, थाना पिपरी ने अधिवक्ता विकास शाक्य के जरिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। आरोप लगाया था कि उसे दो लाख रुपये की आवश्यकता थी। इसके लिए उसने मूर्धवा रेणुकूट निवासी जवाहरलाल से संपर्क किया। इसके एवज में अपनी जमीन उनके यहां गिरवी रखने की बात कही। आरोप है कि इस पर उन्होंने दुद्धी तहसील चलकर इसके संबंध में लिखापढ़ी करने और इसके बाद पैसा देने की बात कही।
जमीन बंधक रखने की लिखापढ़ी के बहाने बैनामा कराई जमीन
आरोप है कि बातचीत तय होने के बाद 18 मार्च 2025 को जवाहरलाल अपनी पत्नी उर्मिला देवी, एक अन्य साथी जंग बहादुर सिंह के साथ पीड़ित को लेकर दुद्धी तहसील आए। वहां स्टांप पर लिखा पढ़ी करवाई गई और उस पर उससे हस्ताक्षर करवाए गए। इसके बाद दो लाख रुपये बैंक खाते में भेज देने का भरोसा देते हुए उसे दुद्धी उपनिबंधक कार्यालय में लेकर पहुंचे। वहां उनसे उप निबंधक पुष्पराज श्रीवास्तव ने जाति पूछी तो पीड़ित का दावा है कि उसने उनसे अपनी जाति खरवार बताया। इसके बावजूद उसकी जमीन का बैनामा पंजीकृत कर दिया।
दावाः जमीन पर कब्जा करने पहुंचे आरोपी तब हुई बैनामा की जानकारी
दावा किया जा रहा है कि हालांकि पीड़ित को यहीं समझ में आया है कि जमीन को बंधक रखने का मामला है लेकिन 27 मार्च 2025 को आरोपी उसकी जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचे, तब उसे पता चला कि उसकी जमीन का बैनामा करा लिया गया है। आरोप यह भी है कि जिस दो लाख के लिए उसने जमीन को बंधक रखने की बात तय की थी वह रकम भी उसके खाते में नहीं पहुंची। तब मामले में न्यायालय की शरण ली गई। वहां प्रथमदृष्ट्या संज्ञेय अपराध पाते हुए गत शुक्रवार को उक्त आदेश पारित किया गया।
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