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Unnao News: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर उन्नाव में संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह: लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया
Unnao News: मुख्य अतिथि एमएलसी अश्वनी त्यागी ने कहा कि देश की आज़ादी करोड़ों भारतीयों की कुर्बानी से मिली थी, लेकिन 1947 के बाद जिनके हाथ में सत्ता आई, उन्होंने लोकतंत्र के आदर्शों को दरकिनार कर दिया।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर उन्नाव में संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह (photo: social media )
Unnao News: 25 जून 1975 को देश के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है- जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की। इस आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर एसवीएम इंटर कॉलेज, पूरन नगर, उन्नाव में "आपातकाल संगोष्ठी एवं लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह" आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि एमएलसी अश्वनी त्यागी ने कहा कि देश की आज़ादी करोड़ों भारतीयों की कुर्बानी से मिली थी, लेकिन 1947 के बाद जिनके हाथ में सत्ता आई, उन्होंने लोकतंत्र के आदर्शों को दरकिनार कर दिया। उन्होंने धारा 370 लगाई, चुनावों में भ्रष्टाचार किया और सत्ता बचाने के लिए 1975 में आपातकाल थोप दिया।
आपातकाल के दौरान पत्रकारों की आज़ादी छीनी
त्यागी ने बताया कि आपातकाल के दौरान पत्रकारों की आज़ादी छीनी गई, समाचारों पर सेंसर लगा, और जो भी विरोध करता, उसे जेल में डाल दिया गया। यह तानाशाही का दौर था, जिसमें संविधान के तीनों स्तंभों- कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस- को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया था।
कार्यक्रम में एमएलसी अरुण पाठक ने भी तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह ‘संविधान हत्या दिवस’ है, जिसे आज की पीढ़ी को जानना और समझना जरूरी है। उस समय बिना केस दर्ज किए 18 साल से 98 साल तक के लोगों को जेल में डाला गया, नौजवानों की जबरन नसबंदी करवाई गई।
इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों- फूलचंद यादव, ठाकुर प्रसाद, शंकर दयाल, बजरंगी दादा, मुन्नू लाल, इंद्रधर द्विवेदी, उर्मिला यादव और सैनी को सम्मानित किया गया।
भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता, रिटायर्ड फौजी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता कार्यक्रम में मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा – "आपातकाल कभी नहीं भूलेंगे, ताकि लोकतंत्र की रक्षा सदैव होती रहे।"
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