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UP News: महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली को मिलेगा नया स्वरूप ! वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा दुर्वासा धाम
Maharshi Durvasa Ashram: महर्षि दुर्वासा सती अनुसुइया और अत्रि मुनि के पुत्र थे। उन्होंने महज 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से फूलपुर आकर तमसा और मंजूषा नदियों के संगम पर कठोर तपस्या की थी।
Photo-Social Media: Maharshi Durvasa Ashram
Maharshi Durvasa Ashram: प्रदेश के आजमगढ़ जिले में स्थित महर्षि दुर्वासा का आश्रम धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्थल ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध रहा है, और अब इसे और भी विकसित किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इस पवित्र स्थल के सौंदर्यीकरण और सुविधाओं के लिए 76.32 लाख रुपए की धनराशि खर्च करने की योजना बनाई है।
महर्षि दुर्वासा सती अनुसुइया और अत्रि मुनि के पुत्र थे। उन्होंने महज 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से फूलपुर आकर तमसा और मंजूषा नदियों के संगम पर कठोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह स्थल विभिन्न युगों में विशेष महत्व रखता है। और हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
आध्यात्मिक शांति और रमणीयता का संगम
महर्षि दुर्वासा आश्रम का यह क्षेत्र न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि एक अद्वितीय पर्यटन स्थल भी बन चुका है। श्रद्धालु यहां भगवान शिव और महर्षि दुर्वासा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। विशेष रूप से सावन और कार्तिक माह में यहां बड़े मेलों का आयोजन होता है, जो इस स्थल को और भी प्रमुख बनाता है।
पर्यटन विभाग का विकास और सौंदर्यीकरण की दिशा में कदम
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इस परियोजना के बारे में जानकारी दी और बताया कि महर्षि दुर्वासा का यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अब इसे और भी बेहतर बनाने के लिए सौंदर्यीकरण और मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। इस परियोजना के तहत महर्षि दुर्वासा धाम के आसपास के क्षेत्र को विकसित करने, सौंदर्यीकरण करने और पर्यटकों के लिए सुविधाओं की स्थापना पर ध्यान दिया जाएगा।
आध्यात्मिक परिक्रमा और पौराणिक स्थल
धार्मिक मान्यता के अनुसार महर्षि दुर्वासा धाम की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक श्रद्धालु पंचकोसी परिक्रमा पूरी न करें। यह परिक्रमा तमसा नदी के किनारे स्थित त्रिदेवों के अंश चंद्रमा मुनि आश्रम, दत्तात्रेय आश्रम और दुर्वासा धाम तक होती है। इन तीनों पवित्र स्थलों की परिक्रमा करके पांच कोस की दूरी तय की जाती है।
वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा दुर्वासा धाम
पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इस परियोजना के महत्व को बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि महर्षि दुर्वासा जैसे महान तपस्वी की तपोस्थली को वैश्विक धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलवाया जाए।
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