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चीन के हाथ लगा ‘परमाणु बम का खजाना’! अब दुनिया में हो जाएगा सबसे ताकतवर देश, मचेगी तबाही?
China uranium discovery: चीन ने झिंजियांग के रेगिस्तान के नीचे से यूरेनियम का खजाना खोज निकाला है, जो उसे दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति बना सकता है। CNNC की इस खोज से न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि परमाणु हथियारों की होड़ में भी चीन का दबदबा बढ़ेगा।
China uranium discovery: चीन की धरती के नीचे कोई खजाना छुपा था और अब वो खजाना बाहर आ चुका है। एक ऐसा खजाना जो सिर्फ रोशनी नहीं देगा, बल्कि तबाही भी ला सकता है। एक ऐसा संसाधन जिसे अगर हथियार बना दिया गया, तो दुनिया की नींदें उड़ जाएंगी। और चीन ने वो ‘परमाणु सोना’ ढूंढ़ निकाला है यूरेनियम, और वो भी 6000 फीट नीचे से। लेकिन यह कोई साधारण यूरेनियम नहीं है, यह वो खास किस्म है जो चीन को ऊर्जा के साथ-साथ दुनिया की सबसे खतरनाक ताकत परमाणु बम में और आगे ले जाएगा।
जब धरती के नीचे से निकला परमाणु तबाही का रास्ता
झिंजियांग के तारिम बेसिन में, जहां अब तक सिर्फ रेत उड़ती थी, वहां अब परमाणु बमों का भविष्य आकार ले रहा है। चीन की सरकारी कंपनी नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन (CNNC) ने एक ऐसी खोज कर डाली है जिसने न सिर्फ वैज्ञानिकों को चौंका दिया, बल्कि दुनिया की तमाम खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है। 6000 फीट यानी करीब 1820 मीटर नीचे, एक विशेष किस्म का बलुआ पत्थर मिला है लेकिन ये पत्थर यूं ही किसी की दीवार सजाने के लिए नहीं, बल्कि चीन की परमाणु युद्ध नीति को मजबूत करने के लिए है। इस पत्थर के अंदर दबे हैं यूरेनियम के बड़े-बड़े भंडार। और यही यूरेनियम चीन को आत्मनिर्भर, और दुनिया को डरा देने वाली परमाणु शक्ति बना सकता है।
यूरेनियम: चीन का नया 'परमाणु हथियार'
यूरेनियम की अहमियत समझिए यही वह तत्व है जिससे परमाणु रिएक्टरों में बिजली पैदा होती है और यही वह जो परमाणु बमों का दिल है। अब तक चीन इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। पिछले साल उसने 1700 टन उत्पादन तो किया, लेकिन 13,000 टन का आयात भी करना पड़ा। और जब 2040 तक चीन को 40,000 टन यूरेनियम चाहिए होगा, तो क्या वो आयात पर ही रहेगा? नहीं। यहीं से शुरू होती है चीन की नई चाल और यही चाल दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकती है।
बलुआ पत्थर: जिसे सबने ठुकराया, चीन ने बना लिया अस्त्र
बलुआ पत्थर यानी Sandstone एक ऐसा खनिज जिसे पहले कोई खास नहीं मानता था, क्योंकि इससे यूरेनियम निकालना कठिन और खर्चीला माना जाता था। लेकिन अब CNNC ने इस पत्थर में छुपे यूरेनियम को निकालने का तरीका खोज निकाला है और इसे कहा जाता है In-Situ Leaching। इस प्रक्रिया में धरती के नीचे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन मिलाया जाता है, जो बलुआ पत्थर को घोलता है और यूरेनियम को सतह पर लाकर अलग कर देता है। न नालियों की जरूरत, न विस्फोटों की ये तरीका सस्ता है, तेज़ है और चीन के लिए बेहद मुफ़ीद।
CNNC का मिशन: सिर्फ ऊर्जा नहीं, सुरक्षा भी
चीन ने साफ कहा है ये खोज सिर्फ बिजली बनाने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी है। इसका मतलब साफ है: आने वाले वर्षों में चीन अब परमाणु हथियारों की संख्या भी तेजी से बढ़ाएगा। अभी चीन के पास हैं करीब 500 वॉरहेड्स। लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट कहती है कि 2035 तक ये संख्या 1000 के पार जा सकती है। और अब जब यूरेनियम की खुद की खदान मिल गई है, तो चीन को कोई रोक नहीं सकता।
परमाणु रिएक्टर और चीन का 2050 मिशन
फिलहाल चीन के पास 55 से ज्यादा परमाणु रिएक्टर हैं और 20 से ज्यादा निर्माणाधीन हैं। इनसे देश की केवल 5% बिजली मिलती है। लेकिन चीन चाहता है कि 2050 तक परमाणु बिजली की हिस्सेदारी 20% से ज़्यादा हो। इसका मतलब है आने वाले दशकों में सैकड़ों नए रिएक्टर लगेंगे, हजारों टन यूरेनियम की जरूरत होगी और इस खोज से चीन को अब किसी देश के आगे झुकने की जरूरत नहीं।
यूरेनियम की यह खोज, क्यों डरावनी है?
क्योंकि यह खोज सिर्फ ऊर्जा का सवाल नहीं है, बल्कि सत्ता और रणनीतिक वर्चस्व का मामला है। झिंजियांग, जहां यह खजाना मिला है वही क्षेत्र है जहां चीन उइगर मुस्लिमों पर दमन के लिए पहले से आलोचना झेल रहा है। अब उसी क्षेत्र में परमाणु खनन और सैन्यीकृत गतिविधियों का बढ़ना चीन के इरादों पर और बड़ा सवाल उठाता है। क्या यह सिर्फ यूरेनियम की खोज है? या इसके बहाने एक नया सैन्य बेस तैयार हो रहा है?
समुद्र से लेकर पत्थर तक: हर जगह से यूरेनियम चाहता है चीन
चीन की भूख सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं है। समुद्र के पानी से यूरेनियम निकालने की तकनीक भी उसने तैयार कर ली है। हालांकि यह अभी व्यावहारिक नहीं हुई है, लेकिन साफ है चीन अब किसी भी कीमत पर यूरेनियम पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है। चीन नहीं चाहता कि कोई और उसकी ऊर्जा या युद्ध नीति को बाधित कर सके। वो भविष्य की हर संभावना के लिए तैयार हो रहा है और यही बात दुनिया के लिए खतरनाक है।
क्या दुनिया तैयार है चीन के 'परमाणु स्वराज' के लिए?
जब एक महाशक्ति अपने दुश्मनों से निपटने के लिए हथियारों का ढेर लगाती है, तो ये सिर्फ उसकी मजबूती नहीं होती ये बाकी दुनिया के लिए खतरे की घंटी होती है। यूरेनियम की यह खोज चीन को एक नए युग में ले जा रही है, जहां वह ऊर्जा, विज्ञान और सैन्य शक्ति में पूर्ण आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। और जब एक सुपरपावर आत्मनिर्भर हो जाती है तो वह सिर्फ खड़ा नहीं होता, वह चलना शुरू करता है और बाकी दुनिया को रौंदने लगता है।
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