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डोनाल्ड ट्रंप का नया ड्रामा! इजराइल-ईरान युद्ध पर ‘सीजफायर’ का शोर — लेकिन असल में दुनिया को बना रहे हैं बेवकूफ?"

Donald Trump ceasefire drama: जिस दुनिया में आग लगी है, जहां बम, मिसाइलें और ड्रोन बरस रहे हैं, वहीं ट्रंप अचानक प्रकट होते हैं और ‘सीजफायर’ का नारा बुलंद कर देते हैं। जैसे पूरी दुनिया उनकी एक ट्वीट पर बंद हो जानी चाहिए।

Harsh Srivastava
Published on: 24 Jun 2025 4:39 PM IST
डोनाल्ड ट्रंप का नया ड्रामा! इजराइल-ईरान युद्ध पर ‘सीजफायर’ का शोर — लेकिन असल में दुनिया को बना रहे हैं बेवकूफ?
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Donald Trump ceasefire drama: बचपन में जब कोई बदमाश लड़का किसी खेल में हारने लगता था तो अचानक चीख पड़ता — "खेल बंद! मम्मी बुला रही है!" असल में मम्मी नहीं बुला रही होती थी, बल्कि हार का डर उसे अंदर से तोड़ देता था। कुछ ऐसा ही किरदार आज निभा रहे हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। जिस दुनिया में आग लगी है, जहां बम, मिसाइलें और ड्रोन बरस रहे हैं, वहीं ट्रंप अचानक प्रकट होते हैं और ‘सीजफायर’ का नारा बुलंद कर देते हैं। जैसे पूरी दुनिया उनकी एक ट्वीट पर बंद हो जानी चाहिए। लेकिन क्या वाकई दुनिया ट्रंप के कहे पर नाच रही है? या फिर ये ट्रंप का वही पुराना ड्रामा है, जिसे वे बार-बार दोहराते हैं? डोनाल्ड ट्रंप इस वक्त ठीक उसी अंदाज में ‘शांति दूत’ बनने का नाटक कर रहे हैं, जैसे कोई आगजनी करने वाला खुद ही पानी की बाल्टी लेकर खड़ा हो जाए। हाल ही में अमेरिका, पाकिस्तान को शह देकर भारत से युद्ध भड़काता है, फिर खुद ही बीच में आकर ‘मध्यस्थता’ का स्वांग रचता है। और अब वही कहानी इजराइल और ईरान के युद्ध में दोहराई जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार सारा खेल बहुत बड़ा है — इतना बड़ा कि अगर एक भी मिसाइल गलत जगह गिर गई तो तीसरे विश्व युद्ध का ट्रिगर दब सकता है।

ईरान-इजराइल युद्ध के बीच ट्रंप का ‘शांति ड्रामा’

22 अप्रैल को पाकिस्तान ने भारत के पहलगाम में हमला किया। भारत ने भी जवाब दिया, 7 मई को एयर स्ट्राइक कर दी। फिर 12 मई आते-आते अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप कूद पड़े — ‘सीजफायर!’ ऐसा लगा मानो ट्रंप कोई स्कूल प्रिंसिपल हों और पूरी दुनिया उनके इशारे पर क्लासरूम में खड़ी हो जाए। अब वही नाटक वे इजराइल और ईरान के युद्ध में कर रहे हैं। इजराइल ने युद्ध की शुरुआत कर ईरान के कई ठिकानों पर हमले किए। जवाब में ईरान ने कतर में मौजूद अमेरिकी बेस तक को तबाह कर डाला। और फिर डोनाल्ड ट्रंप ने 24 जून की सुबह-सुबह सोशल मीडिया पर लंबा चौड़ा पोस्ट डाल दिया — ‘ईरान और इजराइल सीजफायर पर राजी हो गए हैं।’ लेकिन जैसे ही ट्रंप की इस पोस्ट पर दुनिया ने सांस ली, उसी वक्त खबर आई कि ईरान ने ताबड़तोड़ मिसाइलें इजराइल पर दाग दी हैं। 6 लोग मारे गए। अब सवाल उठता है — कौन झूठ बोल रहा है? ट्रंप या ईरान?

क्या ट्रंप फिर दुनिया को बना रहे हैं बेवकूफ?

दरअसल, ट्रंप की यही राजनीति है। जब भी दुनिया में कोई बड़ा युद्ध या संघर्ष शुरू होता है, वे अचानक खुद को ‘दुनिया का तारणहार’ घोषित कर देते हैं। याद करिए, जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब भी ट्रंप ने कहा था कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो ये युद्ध होता ही नहीं। फिर गाजा युद्ध, फिर भारत-पाकिस्तान विवाद — हर बार ट्रंप आकर कहते हैं कि उन्होंने युद्ध रुकवा दिया। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और होती है। अब ईरान और इजराइल के मामले में भी ट्रंप वही पुरानी स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं। ईरान ने साफ कर दिया कि जब तक इजराइल हमारे नुकसान का पूरा हिसाब नहीं चुकता, तब तक जंग जारी रहेगी। और इजराइल? वो तो वही इजराइल है जिसने हर बार बदला लिया है, हर बार हमला किया है। क्या ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप की सीजफायर की घोषणा कोई मायने रखती है?

ईरान का ‘सुप्रीम गुस्सा’, अमेरिका के खिलाफ खुला ऐलान

ईरान की राजनीति समझिए तो साफ दिखेगा कि ट्रंप का सीजफायर सिर्फ एक बड़बोलापन है। अयातुल्ला खोमैनी से लेकर अली खामनेई तक, ईरान हमेशा से अमेरिका का दुश्मन रहा है। ये दुश्मनी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी है। अमेरिका और इजराइल के लिए ईरान हमेशा कांटे की तरह खड़ा रहा है। ट्रंप जैसे नेता भले ही खुद को महान मध्यस्थ समझें, लेकिन हकीकत ये है कि तेहरान की गलियों में उनका नाम गाली की तरह लिया जाता है। यही वजह है कि ट्रंप की घोषणा के महज घंटे भर बाद ईरान ने मिसाइलें इजराइल पर बरसा दीं। साफ संदेश — हमें तुम्हारे ‘सीजफायर ड्रामा’ से कोई मतलब नहीं।

ट्रंप का ‘मध्यस्थता’ फार्मूला अब एक्सपोज हो चुका है

डोनाल्ड ट्रंप एक समय अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए खुद को दुनिया का सबसे बड़ा नेता साबित करने में लगे रहे। भारत-पाक युद्ध के वक्त भी उन्होंने यही किया था। ट्रंप दावा करते रहे कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाया जबकि भारत का कहना था — पाकिस्तान खुद ही हथियार डाल चुका था। यानी ट्रंप ने जहां ‘शांति’ का तमगा पहन लिया, वहीं असलियत में उनके पास कोई भूमिका ही नहीं थी। अब ईरान-इजराइल युद्ध में भी वही हो रहा है। ट्रंप दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वो अमेरिका ही है जो सब कुछ कंट्रोल कर रहा है। पर क्या सच में? अमेरिका तो खुद इस युद्ध में शामिल है। उसने ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर मिसाइलें बरसाईं। क्या ये शांति की पहल थी या खुद जंग को और भड़काने की कोशिश? डोनाल्ड ट्रंप खुद इस आग में घी डाल रहे हैं, फिर पानी के पाइप लेकर भाग रहे हैं। अमेरिका का ये दोहरा चरित्र पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुका है।

इजराइल का भरोसा नहीं, ईरान का इरादा नहीं — युद्ध अभी जारी रहेगा

इजराइल ने अगर हमला किया है तो बदला जरूर लेगा। यही उसकी नीति रही है। दूसरी तरफ ईरान भी खुद को इस्लामिक दुनिया का ‘ठेकेदार’ समझता है। इतनी तबाही और बर्बादी के बाद क्या कोई भी देश इतनी जल्दी हथियार डाल देगा? बिल्कुल नहीं। ईरान की जनता, उसका नेतृत्व और उसकी सेना अब सिर्फ एक ही बात पर केंद्रित है — बदला लेना। अमेरिका की यही राजनीति रही है कि वह पहले आग लगाता है, फिर खुद ही ‘शांति मिशन’ लेकर आ जाता है। ट्रंप उसी अमेरिका का चेहरा हैं, जो हमेशा अपने फायदे के लिए दुनिया के देशों को आपस में लड़वाता है।

डोनाल्ड ट्रंप — हर जंग में ‘बिचौलिया’

डोनाल्ड ट्रंप आज खुद को उस दुकानदार की तरह दिखा रहे हैं जो पहले दुकानों में आग लगाता है और फिर पानी की बाल्टी लेकर दौड़ता है ताकि लोग उसे हीरो समझें। पर अब ये फार्मूला पुराना हो चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर भारत-पाक तनाव तक — हर जगह ट्रंप ने यही स्टंट किया है। अब इजराइल-ईरान के मामले में भी वही ड्रामा चल रहा है। सवाल है — क्या दुनिया इस बार भी ट्रंप के इस ड्रामे पर यकीन करेगी? शायद नहीं। क्योंकि इस बार मामला सिर्फ दो देशों का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की शांति का है। और इस बार अगर आग भड़की तो बुझाने के लिए सिर्फ पानी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की ताकत भी नाकाफी होगी।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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