तीसरा विश्व युद्ध टल गया! बीबी को फोन पर लो... ट्रंप के एक फोन कॉल ने रोक दी परमाणु तबाही, इजरायल-ईरान की जंग का सच आया सामने

Trump phone call to Netanyahu: वो पल अमेरिकी अधिकारियों के लिए भी किसी बम से कम नहीं था। शनिवार रात से लेकर रविवार सुबह तक दुनिया को लग रहा था कि अब कुछ बचा नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप अपने सैन्य अधिकारियों के साथ गुप्त बैठक में बैठे थे।

Harsh Srivastava
Published on: 24 Jun 2025 2:52 PM IST
तीसरा विश्व युद्ध टल गया! बीबी को फोन पर लो... ट्रंप के एक फोन कॉल ने रोक दी परमाणु तबाही, इजरायल-ईरान की जंग का सच आया सामने
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Trump phone call to Netanyahu: दुनिया को कभी नहीं पता चलता कि तीसरा विश्व युद्ध कितना करीब आ चुका था... अगर उस रविवार ट्रंप ने अचानक व्हाइट हाउस में वो पांच शब्द न कहे होते — 'बीबी को फोन पर लो...'। एक ऐसा वाक्य जिसने लाखों लोगों की मौत रोक दी। इससे पहले कि दुनिया जान पाती, अमेरिकी बी-2 बॉम्बर्स ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु केंद्रों फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर 'बंकर बस्टर' बम बरसा चुके थे। पूरे मध्य-पूर्व में तबाही मच चुकी थी। तेहरान से तेल अवीव तक मिसाइलें उड़ रही थीं। सऊदी अरब, इराक, कतर, जॉर्डन... हर देश के आसमान में धुएं और धमाकों का गूंजता शोर था। और तभी... ट्रंप ने खेल पलट दिया।

"हम शांति स्थापित करने जा रहे हैं..."

वो पल अमेरिकी अधिकारियों के लिए भी किसी बम से कम नहीं था। शनिवार रात से लेकर रविवार सुबह तक दुनिया को लग रहा था कि अब कुछ बचा नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप अपने सैन्य अधिकारियों के साथ गुप्त बैठक में बैठे थे। बाहर से मिसाइल अलर्ट की आवाजें आ रही थीं और अंदर व्हाइट हाउस की बंकरनुमा मीटिंग रूम में एक अलग ही खामोशी पसरी थी। अचानक ट्रंप ने कहा, "बीबी को फोन पर लो..."। व्हाइट हाउस के भीतर मौजूद अधिकारी चौंक गए। ट्रंप का इशारा सीधे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तरफ था, जिसे दुनिया प्यार से 'बीबी' कहती है। इजरायल, जो इस युद्ध में सबसे आगे था और जिसने ईरान पर हमलों की शुरुआत की थी।

'बीबी' और ट्रंप की वो कॉल जिसने रोक दी तबाही

ट्रंप और नेतन्याहू के बीच हुई उस कॉल का पूरा ब्यौरा शायद कभी सार्वजनिक न हो पाए, लेकिन रॉयटर्स ने उस बातचीत का कुछ हिस्सा लीक कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू पहले तैयार नहीं थे। इजरायल की आर्मी ईरान के ऊपर से आखिरी बार हमले की इजाजत मांग रही थी। लेकिन ट्रंप ने नेतन्याहू से कहा, "अगर तुम अभी नहीं रुके तो पूरी दुनिया खून से लथपथ हो जाएगी, बीबी।" आखिरकार नेतन्याहू राज़ी हो गए। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती...

ईरान से बात... जब ट्रंप ने लिया कतर का सहारा

इजरायल को मनाना आसान था, लेकिन असली परीक्षा तब शुरू हुई जब ईरान से बात करनी थी। अमेरिका ने तीन दिन पहले ही ईरान के तीन सबसे बड़े परमाणु स्थलों को तबाह कर दिया था। तेहरान में मातम पसरा हुआ था। सड़कों पर लोग ‘मौत बर अमेरिका’ के नारे लगा रहे थे। ईरान की सेना बदला लेने पर उतारू थी। ट्रंप ने यहां भी चाल चली। सीधे कतर के अमीर को फोन लगाया। ट्रंप ने उनसे कहा — "अगर ईरान से संपर्क कर सकते हो तो करो। इस जंग को यहीं खत्म करना होगा।" कतर ने मध्यस्थता का काम संभाला। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और वरिष्ठ राजनयिक स्टीव विटकॉफ ने कतर के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर इस बातचीत को अंजाम तक पहुंचाया। ये वही समय था जब ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें दाग दी थीं। अमेरिकी सेना अलर्ट पर थी।

ईरान की हठधर्मिता और आखिरकार टूटा घमंड

ईरान शुरुआत में युद्धविराम के प्रस्ताव पर भड़क उठा। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इसे 'दुश्मन की चाल' बताया और कहा कि ईरान कभी भी किसी दबाव में नहीं झुकेगा। लेकिन सच्चाई दूसरी थी। सीएनएन की रिपोर्ट बताती है कि ईरान के भीतर सत्ता का एक धड़ा इस जंग से निकलना चाहता था। ईरान में अमेरिकी हमलों से अब तक 600 से ज्यादा मौतें हो चुकी थीं, जिनमें 10 बड़े परमाणु वैज्ञानिक और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल थे। ट्रंप ने दबाव बनाए रखा। मंगलवार की सुबह ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर दिया, "इजराइल और ईरान के बीच पूर्ण युद्धविराम पर सहमति बन गई है।" यह घोषणा खुद अमेरिका के भीतर कई अधिकारियों के लिए चौंकाने वाली थी। क्योंकि सोमवार रात तक अमेरिकी इंटेलिजेंस को लग रहा था कि यह संघर्ष महीनों चल सकता है।

'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर': जिसने पूरे खेल को बदल दिया

इस पूरे युद्ध का टर्निंग प्वाइंट रविवार की रात आया जब अमेरिका ने 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' लॉन्च किया। बी-2 बॉम्बर्स ने सीधे ईरान के फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर 30 हजार पौंड वजनी 'बंकर बस्टर' बम गिराए। इन हमलों में जो नुकसान हुआ, उसने ईरान के सैन्य नेतृत्व की रीढ़ तोड़ दी। 12 दिनों तक चली इस जंग में 950 से ज्यादा ईरानियों की मौत हो चुकी थी (मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक)। इजरायल पर दागी गई ईरानी मिसाइलों में 30 लोग मारे गए। लेकिन असली खौफ था कि अगर यह युद्ध और लंबा खिंचता तो यह पूरी दुनिया को परमाणु युद्ध में झोंक सकता था।

क्या तीसरे विश्व युद्ध से बच गई दुनिया?

कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष अगर कुछ और दिन चलता तो अमेरिका, इजरायल और ईरान के बीच यह खुला परमाणु युद्ध बन सकता था। खासकर जब ईरान ने संकेत दिए थे कि वह इजरायल के खिलाफ 'विशेष हथियार' इस्तेमाल कर सकता है। अब जबकि युद्धविराम लागू हो चुका है, फिर भी मध्य-पूर्व में तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने अपनी 'डीलमेकिंग' से तीसरे विश्व युद्ध को रोक लिया? या यह सिर्फ अस्थायी शांति है, जो कभी भी फिर से टूट सकती है? एक बात तय है — अगर उस दिन ट्रंप ने 'बीबी को फोन पर लो...' न कहा होता तो शायद आज दुनिया किसी और शक्ल में होती। मिडल ईस्ट में शांति की उस डोर को थामे ट्रंप ने फिलहाल आग पर पानी डाल दिया है, लेकिन उसके नीचे राख अभी भी सुलग रही है।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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