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Gaza में फिर बरसी तबाही! शांति की आड़ में कत्लेआम, इजराइली बमबारी में बच्चों के उड़े चीथड़े, गाज़ा में एक ही रात में बिछ गई 33 लाशें

Israel again attacks on Gaza: जब इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिका में "शांति वार्ता" की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त गाजा में इजराइली लड़ाकू विमानों ने दो मकानों को निशाना बनाकर 33 फिलिस्तीनियों को मौत की नींद सुला दिया—इनमें कई बच्चे भी शामिल थे।

Harsh Srivastava
Published on: 6 July 2025 4:55 PM IST
Gaza में फिर बरसी तबाही! शांति की आड़ में कत्लेआम, इजराइली बमबारी में बच्चों के उड़े चीथड़े, गाज़ा में एक ही रात में बिछ गई 33 लाशें
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Israel again attacks on Gaza: गाजा एक बार फिर जल उठा है। मलबे में दबे बच्चों की लाशें, चीखती मांओं की गोदें, और आसमान से बरसते बम… ये कोई हॉलीवुड फिल्म नहीं, बल्कि उस फिलिस्तीनी हकीकत की तस्वीर है, जिसे दुनिया अब आदतन अनदेखा कर रही है। इजराइल और हमास के बीच चल रहे दो साल लंबे संघर्ष ने गाजा को एक भूतहा शहर में तब्दील कर दिया है। लेकिन रविवार की सुबह जो हुआ, उसने हर सीमा को पार कर दिया। जब इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिका में "शांति वार्ता" की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त गाजा में इजराइली लड़ाकू विमानों ने दो मकानों को निशाना बनाकर 33 फिलिस्तीनियों को मौत की नींद सुला दिया—इनमें कई बच्चे भी शामिल थे।

‘शांति’ की आड़ में मौत का पैगाम?

दुनिया को यह भ्रम था कि इजराइल युद्धविराम की दिशा में बढ़ रहा है। ट्रंप की ओर से प्रस्तावित 60 दिन के संघर्षविराम पर बातचीत चल रही थी, और नेतन्याहू व्हाइट हाउस के लिए पैकिंग कर रहे थे। लेकिन इसी दौरान, गाजा के आकाश में गड़गड़ाते फाइटर जेट्स फिर उभरे। गाजा शहर के बीचोंबीच स्थित दो घरों पर इजराइली मिसाइलों की बौछार हुई। डॉक्टर अबू सेलमिया, जो शिफा अस्पताल के निदेशक हैं, उन्होंने बताया कि “हमारे पास सिर्फ 20 शव आए हैं, जिनमें से 7 तो बच्चे थे। दर्जनों लोग घायल हैं, और कई अब भी मलबे में दबे हैं।” क्या यही है युद्धविराम का पहला कदम?

130 ठिकानों पर कहर, सिर्फ 24 घंटों में

इजराइली सेना की ओर से बयान आया कि बीते 24 घंटों में गाजा में 130 ठिकानों को निशाना बनाया गया है। सेना का दावा है कि इन ठिकानों में हमास के ‘कमांड एंड कंट्रोल’ केंद्र, हथियार डिपो और सुरंगें शामिल थीं। लेकिन अस्पतालों से आई तस्वीरें और आंकड़े बताते हैं कि मारे गए लोगों में सबसे अधिक संख्या आम नागरिकों की थी। शनिवार को भी 47 लोगों की मौत हुई थी, जब लोग खाने के लिए कतार में खड़े थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बमबारी उस वक्त हुई जब विस्थापितों की एक भीड़ भोजन वितरण केंद्र पर खड़ी थी। अब सवाल ये है—अगर हमला आतंकियों पर था, तो कतार में खड़े मासूम भूखे लोग क्यों मरे?

मुवासी में ‘तंबू शिविर’ बना मौत का मकबरा

गाजा के मुवासी इलाके में भी रविवार को बम गिरे। यह वही जगह है जहां इजराइल ने खुद फिलिस्तीनियों को "सेफ जोन" बताकर तंबू लगाने को कहा था।लेकिन उसी मुवासी में जब बम गिरे तो कम से कम 13 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। नासिर अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, “हम समझ नहीं पा रहे कि सेफ जोन का मतलब क्या है? जहां हमें खुद भेजा गया, वहीं हमारी मौत क्यों हो रही है?” क्या ये सिर्फ युद्ध है, या अब यह एक 'मूक नरसंहार' बनता जा रहा है?

बंद होती आंखों के बीच नेतन्याहू के हाथ में "शांति का प्रस्ताव"

वहीं दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप ने एक नया शांति प्रस्ताव दिया है जिसमें हमास के बंधकों की आंशिक रिहाई के बदले में मानवीय आपूर्ति बढ़ाने की बात है। प्रस्ताव के मुताबिक, अगले 60 दिन का युद्धविराम रखा जाएगा और 21 महीने के भीतर एक स्थायी समाधान की कोशिश की जाएगी। लेकिन सवाल ये है—जब युद्धविराम पर वार्ता हो रही है, तो इजराइल ने रविवार को क्यों 130 ठिकानों पर हमला किया? क्या यह वार्ता के लिए दबाव बनाने की सैन्य रणनीति थी या सिर्फ एक और सैन्य प्रदर्शन?

बच्चों की चीखों में दब गया ‘डिप्लोमेसी’ का शोर

गाजा में जो हो रहा है, वो अब सिर्फ हमास और इजराइल के बीच का टकराव नहीं रह गया है। ये एक ऐसे युद्ध का चेहरा बन गया है जिसमें मासूम चेहरे सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। दो सालों में हजारों लोग मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की है। गगनचुंबी इमारतें खाक हो चुकी हैं, अस्पताल अब कब्रगाहों जैसे लगते हैं और रिफ्यूजी कैंप अब 'टारगेट ज़ोन' बन चुके हैं। इजराइल कहता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है, लेकिन फिलिस्तीनियों के लिए हर बम एक नई पीढ़ी को मिटा रहा है।

तो क्या युद्धविराम एक और छलावा है?

ट्रंप और नेतन्याहू जब व्हाइट हाउस की खूबसूरत दीवारों के भीतर "शांति का खाका" बना रहे होंगे, गाजा में शायद कोई और बच्चा भूख से बिलखता हुआ अपनी मां की लाश पर बैठा होगा। शांति की कोशिशें जरूरी हैं, लेकिन अगर हर प्रयास के साथ बम गिरते रहें, तो सवाल उठना लाज़मी है—क्या यह सिर्फ युद्ध है, या सुनियोजित खामोश सफाया? गाजा से आती हर चीख अब यही पूछ रही है—"क्या किसी की जिंदगी की कीमत एक बंधक सौदे से भी कम हो गई है?" और जब तक ये सवाल अनसुना रहेगा, गाजा की गलियों में मौत का सन्नाटा गूंजता रहेगा।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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