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तेहरान में आए तो जान से मार देंगे! ईरान का खुनी संग्राम जारी, 48 घंटे में फैसला, 2 दिन में फांसी, अब IAEA चीफ को बताया मोसाद एजेंट

Iran called IAEA chief spy: तेहरान के अज्ञात जेलों में इन दिनों तेजी से मौतें हो रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, 13 जून को युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 6 लोगों को “इजरायल के लिए जासूसी” के आरोप में मौत के घाट उतारा जा चुका है। ये सभी ट्रायल केवल 48 घंटों में पूरे किए गए।

Harsh Srivastava
Published on: 30 Jun 2025 7:48 PM IST
तेहरान में आए तो जान से मार देंगे! ईरान का खुनी संग्राम जारी, 48 घंटे में फैसला, 2 दिन में फांसी, अब IAEA चीफ को बताया मोसाद एजेंट
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Iran called IAEA chief spy: 13 जून 2025 — तारीख जो ईरान की आने वाली पीढ़ियां कभी नहीं भूलेंगी। इस दिन इजरायल ने एक ऐसा हमला बोला जिसने केवल ईरान की जमीन को ही नहीं, बल्कि उसकी आत्मा को भी झकझोर कर रख दिया। 12 दिनों तक चले इस भयानक संघर्ष में 627 ईरानी नागरिकों की मौत हो गई और करीब 4,870 लोग घायल हुए। अस्पतालों में जगह नहीं बची, मस्जिदें और बाजार खून से लथपथ थे, और राजधानी तेहरान से लेकर बंदर अब्बास तक हर शहर में मातम पसरा हुआ था। लेकिन असली कहर तब शुरू हुआ, जब युद्ध थमा। तब तक ईरान की सुरक्षा एजेंसियों को एक नई सनक ने घेर लिया — इजरायली जासूसों की तलाश की सनक। मोसाद के एजेंटों की कल्पना में ईरान ने अपने ही नागरिकों को दुश्मन मानना शुरू कर दिया।

जासूस या बेकसूर? 48 घंटे में फांसी की सजा, पूरे ईरान में डर का राज

तेहरान के अज्ञात जेलों में इन दिनों तेजी से मौतें हो रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, 13 जून को युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 6 लोगों को “इजरायल के लिए जासूसी” के आरोप में मौत के घाट उतारा जा चुका है। ये सभी ट्रायल केवल 48 घंटों में पूरे किए गए। न कोई अपील, न कोई दलील, न कोई दया। ईरान की क्रांतिकारी अदालतें फास्ट ट्रैक मोड में हैं। उन पर सिर्फ एक सवाल पूछा जाता है — क्या आपने मोसाद से संपर्क किया? जवाब चाहे कुछ भी हो, नतीजा एक ही होता है — फांसी। कहा जा रहा है कि ईरान के खुफिया तंत्र ने उन सभी विश्वविद्यालयों, मीडिया संस्थानों और यहां तक कि तकनीकी कंपनियों की लिस्ट तैयार की है, जिनके विदेशी संपर्क हैं। वहां छापेमारी चल रही है और कई कर्मचारियों को "संदेह" के आधार पर उठा लिया गया है।

IAEA पर भी ईरान का गुस्सा, 'जासूस' करार देकर लगाया प्रतिबंध

इसी खुफिया जुनून की चपेट में अब अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और उसके प्रमुख राफेल ग्रॉसी भी आ गए हैं। ईरान का आरोप है कि IAEA ने उसके परमाणु कार्यक्रम की संवेदनशील जानकारी इजरायल को दे दी है। तेहरान के कुख्यात अख़बार 'कायहान' ने अपने मुखपृष्ठ पर ग्रॉसी को “मोसाद एजेंट” बताते हुए लिखा कि अगर वह ईरान की धरती पर कदम रखे, तो उसे गिरफ़्तार करके सरेआम मौत की सजा दी जानी चाहिए। इसी के जवाब में ईरान ने IAEA के कैमरे अपने परमाणु ठिकानों से हटा दिए हैं और ग्रॉसी की देश में एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम न केवल पश्चिमी देशों को चौंकाने वाला है, बल्कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह 'ब्लैक बॉक्स' में डाल देने जैसा है।

यूरोप भड़का, ईरान को दी चेतावनी — 'IAEA के साथ दुश्मनी बर्दाश्त नहीं'

ईरान के इस कदम पर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी बुरी तरह भड़क गए हैं। तीनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए ईरान को चेतावनी दी है कि IAEA के प्रमुख को धमकी देना परमाणु निरीक्षण की पूरी व्यवस्था को खतरे में डाल सकता है। "हम राफेल ग्रॉसी और IAEA के साथ खड़े हैं। ईरान को तुरंत इस तरह के व्यवहार से बाज आना चाहिए," बयान में कहा गया। पर तेहरान पर इन बयानों का कोई असर नहीं दिख रहा। वहां की सरकार का कहना है कि अब वह किसी भी 'विदेशी हस्तक्षेप' को बर्दाश्त नहीं करेगी। खासकर तब, जब उसकी धरती पर "मोसाद की छाया" मौजूद हो।

अंदर ही अंदर जल रहा है ईरान, और बाहर से उठ रही है तीसरे युद्ध की गंध

ईरान इस वक्त एक ऐसी मानसिक स्थिति में है जहां वह हर परछाई में दुश्मन देख रहा है। इजरायली हमले की आंच तो धीरे-धीरे बुझ रही है, लेकिन उसके पीछे जो राख बची है — उसमें सुलग रहा है बदले का ज्वालामुखी। जेलों में बंद लोग, सुरक्षा एजेंसियों की बूटों की आवाज, और फांसी का फंदा... ईरान अब उन दिनों की तरफ लौटता दिख रहा है जब क्रांति के नाम पर सैकड़ों को रातों-रात गुमनाम कब्रों में दफना दिया जाता था। अगर यही हालात रहे, तो जल्द ही दुनिया को यह मानना पड़ेगा कि 13 जून का हमला महज एक सैन्य संघर्ष नहीं था — बल्कि यह एक ऐसी चिंगारी थी जिसने ईरान को अंदर से तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

क्या अब ईरान फिर से उभरेगा? या यह शुरुआत है एक अंतहीन अंधकार की?

एक तरफ ईरान इजरायल से बदला लेने की बात कर रहा है, दूसरी तरफ वह अपने ही नागरिकों पर ‘जासूस’ का ठप्पा लगाकर सरेआम फांसी दे रहा है। IAEA जैसे वैश्विक संगठनों से रिश्ते तोड़कर ईरान ने खुद को एक नए टकराव की दिशा में धकेल दिया है। और अब सवाल यह है कि क्या दुनिया इसे सिर्फ देखती रहेगी? या फिर यह सब एक बड़े विस्फोट से पहले की ख़ामोशी है? क्योंकि जब जासूसों की तलाश जुनून बन जाए, तो सच्चाई सबसे पहले मारी जाती है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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