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बौखलाया इजराइल! ईरान के खुफिया अधिकारियों को मिली नेतन्याहू सीक्रेट फाइल, क्या खुल जाएगा खुफिया हथियारों का कच्चा चिट्ठा?
Israel Iran Secret File: ईरान के खुफिया मंत्री इस्माइल खातिब ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि उनके मंत्रालय ने इजराइल से जुड़ी हजारों ‘सीक्रेट’ परमाणु जानकारियों को जब्त कर लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि ये दस्तावेज ईरान के अंदर लाए जा चुके हैं और दुनिया के सामने जल्द ही पेश किए जाएंगे।
Israel Iran Secret File
Israel Iran Secret File: तेहरान की गलियों से उठी वह सनसनी अब तेल अवीव की सुरक्षा तक पहुंच गई है... परमाणु हथियारों की दौड़ में दो चिर-प्रतिद्वंद्वियों के बीच एक बार फिर आग सुलग उठी है। सवाल यह है कि क्या दुनिया एक और महाविनाश की दहलीज पर खड़ी है? मध्य पूर्व के गर्म रेगिस्तानी इलाकों में इन दिनों सिर्फ तापमान नहीं, तनाव भी चरम पर है। ईरान और इजराइल के बीच दशकों से चला आ रहा शीत युद्ध अब फिर एक बार अपने सबसे विस्फोटक मोड़ पर है। इस बार लड़ाई मिसाइलों या हवाई हमलों से नहीं, बल्कि ‘खुफिया कागजों’ से लड़ी जा रही है वो दस्तावेज जो दुनिया को हिला सकते हैं। ईरान के खुफिया मंत्री इस्माइल खातिब ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि उनके मंत्रालय ने इजराइल से जुड़ी हजारों ‘सीक्रेट’ परमाणु जानकारियों को जब्त कर लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि ये दस्तावेज ईरान के अंदर लाए जा चुके हैं और दुनिया के सामने जल्द ही पेश किए जाएंगे। ये खबर जैसे ही सामने आई, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सामरिक विश्लेषकों की निगाहें तुरंत तेहरान और तेल अवीव के बीच की रेखा पर टिक गईं क्योंकि जहां एक ओर यह दावा इजराइल की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सीधी चुनौती है, वहीं दूसरी ओर यह बयान पूरी दुनिया के लिए परमाणु युद्ध का इशारा भी हो सकता है।
बिना सबूत के ‘बम’!
बेशक यह दावा सनसनीखेज़ है, लेकिन चिंता की बात ये है कि इसके समर्थन में अब तक कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं। न ही ईरानी स्टेट टेलीविजन और न ही खातिब की प्रेस ब्रीफिंग में कोई ऐसी तस्वीर, वीडियो या दस्तावेज़ सामने आए हैं जो इस दावे को पुष्ट कर सकें। इजराइल की ओर से भी अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा एक रणनीतिक जवाबी हमला हो सकता है। दरअसल, 2018 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पूरी दुनिया के सामने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि उनकी खुफिया एजेंसियों ने तेहरान से आधा टन से ज्यादा परमाणु दस्तावेज़ चुराए थे। अब पांच साल बाद ईरान शायद यह दिखाना चाहता है कि उसके पास भी जवाब देने की ताकत है।
ईरान की 'टाइमिंग' क्या कहती है?
यह दावा ऐसे समय पर आया है जब ईरान खुद अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव में है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की आगामी बैठक में पश्चिमी देश ईरान को ‘गैर-सहयोगी’ घोषित करने की तैयारी में हैं। अगर ऐसा हुआ, तो मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक जा सकता है और ईरान पर पहले जैसे कठोर प्रतिबंध फिर से लागू हो सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर हुई पांच दौर की बातचीत भी अब अधर में लटक गई है। ईरान ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के नए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा। इससे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों का ईरान पर सामरिक और आर्थिक दबाव और बढ़ जाएगा।
क्या यह ‘परमाणु’ जंग की शुरुआत है?
सबसे डरावनी बात यह है कि ईरान इस समय 60% तक यूरेनियम संवर्धन कर चुका है जो 90% हथियार-स्तरीय संवर्धन से केवल एक कदम दूर है। अगर बातचीत विफल रहती है और IAEA से दूरी बढ़ती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह हथियारों की दिशा में मोड़ सकता है। ऐसी स्थिति में इजराइल की ओर से प्रिवेंटिव (पूर्व-खतरनाक) हवाई हमला या अमेरिका द्वारा किसी सामरिक दबाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यही वह बिंदु है जहां से ‘दूसरा इराक’ या ‘नया सीरिया’ बन सकता है लेकिन इस बार खतरा और भी बड़ा है, क्योंकि खेल अब परमाणु हथियारों का है।
इजराइल की खामोशी या रणनीति?
इजराइल ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। परंतु यह चुप्पी उसकी पुरानी नीति का हिस्सा हो सकती है "न पुष्टि, न खंडन"। इजराइल अपनी सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को लेकर बेहद सतर्क रहता है और सार्वजनिक रूप से ऐसे दावों को गंभीरता से लेना भी उसके लिए सामरिक नुकसानदेह हो सकता है। इसके साथ ही यह भी संभावना है कि इजराइल खुफिया चैनलों से इस दावे की पुष्टि करने की कोशिश कर रहा हो, या फिर खुद इस ‘जवाबी दावा’ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई की योजना बना रहा हो।
क्या दुनिया तैयार है?
इस वक्त वैश्विक हालात बेहद नाजुक हैं। एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध, दूसरी ओर चीन-ताइवान तनाव, और अब ईरान-इजराइल की परमाणु रस्साकशी — यह सब दर्शाता है कि दुनिया एक ऐसी ज्वालामुखी पर बैठी है जो कभी भी फट सकती है। अगर ईरान का दावा सच निकला, तो यह इजराइल के लिए सिर्फ खुफिया असफलता नहीं, बल्कि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव पर सवाल होगा। और अगर यह दावा सिर्फ एक राजनीतिक चाल है, तो भी इसके वैश्विक नतीजे खतरनाक हो सकते हैं। क्योंकि जब दो परमाणु महत्वाकांक्षाएं एक ही मैदान में उतरती हैं... तो दांव सिर्फ दस्तावेज़ नहीं होते दांव पर होती है पूरी मानवता।
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