India Turkey Tension: ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक: तुर्किए की Celebi कंपनी पर मोदी सरकार का निर्णायक एक्शन

India Turkey Tension: भारत सरकार ने हाल ही में तुर्किए की कंपनी Celebi Airport Services India की सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द कर दी है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली राजनीतिक संदेश है भारत अब उन देशों या कंपनियों को बख्शने के मूड में नहीं है जो उसके राष्ट्रीय हितों या सुरक्षा से टकराते हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 16 May 2025 1:19 PM IST (Updated on: 16 May 2025 1:36 PM IST)
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India Turkey Tension

India Turkey Tension: साल 2025 की पहली तिमाही। दुनिया की निगाहें दक्षिण एशिया पर टिकी थीं। पाकिस्तान की सरजमीं पर चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ आतंक के गढ़ों को जड़ से हिलाया, बल्कि यह साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ शब्दों की कूटनीति नहीं, बल्कि सर्जिकल प्रहारों की रणनीति पर भरोसा करता है। यह ऑपरेशन, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में मौजूद आतंकी ठिकानों पर केंद्रित था, उस क्षण का प्रतीक बन गया जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी परंपरागत नीतियों को पीछे छोड़, निर्णायक कार्रवाई का रास्ता चुना। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जो असली मोर्चा अब खुला है, वह है कूटनीतिक जवाबी कार्रवाई का और इस बार निशाने पर है तुर्किए। वो देश जिसने भारत की सैन्य कार्रवाई के ठीक बाद पाकिस्तान का खुला समर्थन किया, और यहां तक कि पाकिस्तान को सैन्य मदद पहुंचाने के आरोपों में भी घिर गया।


Celebi प्रकरण: कूटनीति का पहला वार

भारत सरकार ने हाल ही में तुर्किए की कंपनी Celebi Airport Services India की सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द कर दी है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली राजनीतिक संदेश है भारत अब उन देशों या कंपनियों को बख्शने के मूड में नहीं है जो उसके राष्ट्रीय हितों या सुरक्षा से टकराते हैं। Celebi Aviation Holding, जो तुर्किए की एक बड़ी ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी है, भारत में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोचीन, बेंगलुरु जैसे 9 बड़े एयरपोर्ट्स पर काम कर रही थी। यह कंपनी हवाई जहाजों की रैंप सर्विस, लोड कंट्रोल, कार्गो मैनेजमेंट, ब्रिज ऑपरेशन और सुरक्षा-संवेदनशील गतिविधियों में शामिल थी। इतना ही नहीं, कंपनी के मालिकाना हक में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के परिवार की हिस्सेदारी की खबरें भी सामने आई हैं। अब जब भारत ने इस कंपनी की सुरक्षा मंजूरी खत्म कर दी है, तो यह सीधा संकेत है कि भारत अब हवाई अड्डों की सुरक्षा पर किसी भी विदेशी छाया को स्वीकार करने को तैयार नहीं खासकर उस देश की, जो भारत-विरोधी ब्लॉक का हिस्सा बनता जा रहा है।


तुर्किए की 'नरमी में छुपी कड़वाहट' और भारत की सख्त मुद्रा

तुर्किए ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के पक्ष में बयान देकर भारत के खिलाफ कूटनीतिक तौर पर मोर्चा खोल दिया। मीडिया रिपोर्ट्स में यहां तक कहा गया कि तुर्किए ने पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन मुहैया कराए, जिससे LOC पर निगरानी और आक्रमण क्षमताओं में इजाफा हो सकता है। भारत ने इस घटना को हल्के में नहीं लिया। Celebi पर कार्रवाई सिर्फ शुरुआत मानी जा रही है। एक तरफ भारत ने G20 से तुर्किए को हाशिए पर रखा, वहीं अब कारोबारी मोर्चे पर भी साफ कर दिया कि जो भारत के साथ नहीं, वह भारत के बाजार में नहीं।

विदेश नीति की नई परिभाषा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की विदेश नीति पिछले कुछ वर्षों में निर्णायक होती गई है। यह अब ‘नॉन-अलाइन्ड’ के पुराने सांचे में नहीं ढलती, बल्कि यह ‘स्टैंड फॉर योरसेल्फ’ के सिद्धांत पर चलती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम चलाई और अब उन सहयोगियों को भी ‘टारगेट’ किया जा रहा है जो छद्म रूप से भारत के विरोधियों का समर्थन करते हैं। Celebi पर कार्रवाई इसी कूटनीतिक सोच का उदाहरण है। यह एक संदेश है भारत के खिलाफ खड़े देशों को सिर्फ जवाब नहीं, झटका मिलेगा।


क्या ये सिर्फ एक कंपनी पर कार्रवाई है? या बड़ी रणनीति का हिस्सा?

सवाल बड़ा है: क्या Celebi पर यह कदम सिर्फ एक कंपनी के खिलाफ है, या यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है जो ‘सॉफ्ट टारगेट्स’ के ज़रिए विरोधी देशों की आर्थिक और कूटनीतिक नींव को हिला दे? यह कदम भारत के उस व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा भी माना जा सकता है जिसमें वह डिप्लोमैटिक स्ट्राइक को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इससे पहले Huawei, TikTok, और कुछ चीनी कंपनियों के खिलाफ भी ऐसे ही कदम उठाए गए थे। Celebi का मामला उस सिलसिले का विस्तार है अब तुर्किए के खिलाफ।

सुरक्षा से समझौता अब असंभव

एक अहम पहलू यह है कि Celebi जैसे विदेशी ऑपरेटर्स भारत के हवाई अड्डों पर संवेदनशील जिम्मेदारियां संभाल रहे थे। इसमें लोडिंग पैटर्न से लेकर फ्लाइट मूवमेंट तक की जानकारियों की एक्सेस शामिल थी। अब सवाल उठता है क्या यह जानकारी विदेशों में जा रही थी? क्या भारत की रणनीतिक जानकारी असुरक्षित हाथों में थी? भारत सरकार अब एयरपोर्ट्स और अन्य सुरक्षा से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में विदेशी हिस्सेदारी की व्यापक समीक्षा कर रही है। आने वाले समय में और भी कंपनियों की जांच हो सकती है।


क्या अब तुर्किए-भारत संबंध 'फ्रीज' की ओर बढ़ रहे हैं?

जहां भारत और तुर्किए के बीच द्विपक्षीय व्यापार -$10 बिलियन से अधिक है, वहीं यह भी सच है कि राजनीतिक स्तर पर संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। एर्दोआन पहले भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर चुके हैं। अब जब भारत ने तुर्किए की कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया है, तो साफ है कि दोनों देशों के संबंध जल्द सुधरने वाले नहीं।


सरहद पार कार्रवाई अब कूटनीति के दरवाजे भी खटखटा रही है

ऑपरेशन सिंदूर अब सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं रहा यह भारत की रणनीतिक सोच का प्रतीक बन चुका है। यह दिखाता है कि भारत अब खतरे को सिर्फ गोलियों से नहीं, निर्णयों से जवाब देता है चाहे वो एयरस्ट्राइक हो या कॉन्ट्रैक्ट कैंसलेशन। Celebi पर कार्रवाई इस नए भारत का प्रतीक है जो सुरक्षा के हर स्तर पर सजग है, और विरोधियों को हर मंच पर चुनौती देने के लिए तैयार है। अब दुश्मनों के खिलाफ जंग सिर्फ सरहद पर नहीं, व्यापार और कूटनीति के गलियारों में भी लड़ी जाएगीऔर जीती भी जाएगी।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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