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नेपाल का हाल हुआ बेहाल, 'Gen-Z आंदोलन' ने टूरिज्म की तोड़ी कमर, अर्थव्यवस्था पर मंडराया खतरा
नेपाल में Gen-Z आंदोलन की हिंसा ने पर्यटन और अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका दिया। काठमांडू का थमेल इलाका सुनसान, होटल बुकिंग्स रद्द, व्यवसाय और निवेश प्रभावित।
Nepal tourism impact due to Gen-Z Protest: नेपाल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत माहौल के लिए दुनिया भर में मशहूर है, इन दिनों एक बड़े संकट से गुजर रहा है। हाल ही में हुए Gen-Z आंदोलन की हिंसक घटनाओं ने न सिर्फ देश की राजनीतिक स्थिरता को हिला दिया है, बल्कि इसकी रीढ़ मानी जाने वाली पर्यटन अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका लगा है। राजधानी काठमांडू का हमेशा गुलजार रहने वाला थमेल इलाका आज सुनसान है, दुकानें और रेस्टोरेंट खाली पड़े हैं, और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। क्या इस 'सियासी' कहर का असर नेपाल को एक बड़े आर्थिक संकट की ओर धकेल रहा है?
हिंसा का 'खूनी' असर
पिछले दिनों हुए हिंसक प्रदर्शनों में, प्रदर्शनकारियों ने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को आग के हवाले कर दिया था। इस उपद्रव में 72 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए। इन भयानक तस्वीरों ने पूरी दुनिया में नेपाल के लिए भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में पर्यटकों की संख्या में करीब 30% की भारी गिरावट आई है। होटल और ट्रेकिंग एक्सपीडिशन की बुकिंग्स धड़ाधड़ कैंसिल हो रही हैं।
ट्रेकिंग एक्सपीडिशन का आयोजन करने वाले राम चंद्र गिरी ने बताया कि उनके लगभग 35% ग्राहकों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है। वहीं, बौधनाथ स्तूप के पास एक दुकान और होटल चलाने वाली रेणु बनिया ने कहा कि उनके 60% व्यवसाय पर असर पड़ा है, और अगले महीने की सारी बुकिंग्स कैंसिल हो चुकी हैं।
'पीक सीजन' पर 'ग्रहण'
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है, जो देश की जीडीपी का लगभग 8% हिस्सा है। सितंबर से दिसंबर का महीना नेपाल में पर्यटन का 'पीक सीजन' माना जाता है, जब लाखों पर्यटक यहां आते हैं। लेकिन, इस बार इस सीजन पर 'हिंसा' का ग्रहण लग गया है। भारत, अमेरिका, चीन, यूके, जर्मनी और जापान जैसे कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए नेपाल में गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह जारी की है। नेपाल पर्यटन बोर्ड के सीईओ दीपक राज जोशी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में बुकिंग कैंसिलेशन की दर 8% से 10% तक रही है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि प्रशासनिक इमारतों और कई होटलों को हुए नुकसान ने निवेशकों और पर्यटकों के लिए एक नकारात्मक संदेश दिया है।
'राख' की गंध और 'अनिश्चित' भविष्य
नेपाल में अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और एक नई अंतरिम सरकार के नेतृत्व में देश सुधार की दिशा में बढ़ रहा है। लेकिन काठमांडू की हवा में अभी भी जलते हुए घरों की राख और स्मोक की गंध महसूस की जा सकती है। नेपाल के अधिकारी और व्यवसाय मालिक उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही पर्यटक वापस लौटेंगे, लेकिन 5 मार्च 2026 को होने वाले चुनावों के साथ सरकार की स्थिरता पर अभी भी सवालिया निशान लगा हुआ है। क्या नेपाल इस बड़े आर्थिक झटके से उबर पाएगा? यह आने वाला समय ही बताएगा।
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