अब Pak का बचना नामुनकिन! चारों तरफ से बुरी तरह फंसा पाक, रेड जोन पर भी बढ़ा खतरा

Pakistan Crisis: पाकिस्तान आंतरिक अशांति और सीमा विवाद के दोहरे संकट में फंसा हुआ है। TTP के हमले और रेड जोन पर बढ़ते खतरे से राजधानी इस्लामाबाद की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण हो गई है।

Harsh Srivastava
Published on: 17 Oct 2025 4:21 PM IST
अब Pak का बचना नामुनकिन! चारों तरफ से बुरी तरह फंसा पाक, रेड जोन पर भी बढ़ा खतरा
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Pakistan Crisis: पाकिस्तान इस वक्त आंतरिक अशांति और सीमाई संघर्ष के दोहरे संकट से जूझ रहा है। एक तरफ बलूचिस्तान और सिंध में विरोध की आग जल रही है, तो दूसरी तरफ खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने सरकार की नाक में दम कर रखा है। देश की राजधानी इस्लामाबाद का सर्वोच्च सुरक्षा वाला क्षेत्र 'रेड जोन'—जो देश की सर्वोच्च कार्यकारी, न्यायिक और विधायी इमारतों का केंद्र है भी अब सीधे निशाने पर आ गया है। सबसे गहरा संकट देश के पश्चिमी सीमांत क्षेत्र, विशेषकर ऐतिहासिक खैबर दर्रे के आसपास पनप रहा है, जो अब पाकिस्तान की घरेलू सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। खैबर दर्रा, जो ऐतिहासिक रूप से व्यापार और आक्रमणों का कॉरिडोर रहा है, हाल के वर्षों में TTP के बढ़ते हमलों के कारण असुरक्षा और अस्थिरता का पर्याय बन गया है। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान TTP को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करने दे रहा है, हालांकि अफगान तालिबान इन आरोपों से इनकार करता रहा है।

सीमा पर घातक झड़पें: अफगान तालिबान ने दी पटखनी

कभी एक-दूसरे को 'बिरादर' (भाई) कहने वाले पाकिस्तान और अफगानिस्तान आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच सीमा पर भीषण रूप से लड़ रहे हैं। पाकिस्तान ने 15 अक्टूबर की सुबह अफगानिस्तान पर बड़े एयरस्ट्राइक किए थे, जिसमें कंधार प्रांत स्थित स्पिन-बोल्दक में 40 लोगों की मौत हुई और 170 लोग घायल हुए। हालांकि, लड़ाई में पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई झड़पों में अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दिया। कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों की वर्दी को बंदूक की नोक पर हवा में लहराते दिख रहे हैं, जो पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ा अपमान है। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल में फिलहाल अस्थायी संघर्षविराम हो गया है, लेकिन सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

TTP प्रमुख का 'वीडियो वार': पाकिस्तान का झूठ बेनकाब

पाकिस्तान के लिए चिंता का एक और बड़ा विषय TTP प्रमुख मौलाना नूर वली महसूद का जिंदा सामने आना है। पाकिस्तानी मीडिया ने 9 अक्टूबर को दावा किया था कि काबुल में एक एयरस्ट्राइक में नूर वली महसूद को मार दिया गया है। लेकिन नूर वली महसूद ने एक वीडियो जारी कर इस दावे को झूठा साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की 'गैरतमंद ज़मीन' पर मौजूद है और सही सलामत है। महसूद का खैबर में होना पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इसका मतलब है कि TTP स्थानीय तौर पर मज़बूत हो रहा है और खैबर तथा उसके आसपास के इलाकों में और हमले किए जा सकते हैं। खैबर दर्रे को क्षेत्रीय व्यापार का पुल बनाने के लिए शुरू किए गए KPEC जैसे प्रोजेक्ट्स पर अब खतरा मंडराने लगा है।

रेड जोन पर दोहरा खतरा: प्रदर्शन और आतंकी हमले

जब भी खैबर पख्तूनख्वा या बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति बिगड़ती है, उसका असर इस्लामाबाद के 'रेड जोन' तक पहुँचता है। रेड जोन पर दो तरह के खतरे मंडरा रहे हैं:

कट्टरपंथी विरोध प्रदर्शन: कट्टरपंथी धार्मिक-राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) जैसे समूह अक्सर रेड जोन को निशाना बनाते हैं। इसी हफ्ते, TLP ने लाहौर से रेड जोन में स्थित अमेरिकी दूतावास तक मार्च रैली शुरू की, जिसे रोकने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। झड़प में एक ऑफिसर, एक राहगीर और TLP से जुड़े तीन प्रदर्शनकारी मारे गए।

आतंकवादी खतरा: पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर बढ़ती हिंसा का खतरा राजधानी तक भी फैलने की आशंका बनी रहती है। सीमा पर चल रही लड़ाई में पाकिस्तानी सेना का फोकस बंटा है, जिसका सीधा असर इस्लामाबाद की सुरक्षा रणनीति पर पड़ रहा है।

इन खतरों को देखते हुए पाकिस्तान की राजधानी को सील कर दिया गया है, रास्तों पर कंटेनर लगा दिए गए हैं और रेड जोन के चारों तरफ दंगा रोधी बल तैनात कर दिया गया है। जब तक पाकिस्तान खैबर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में TTP के हमलों और घुसपैठ को नियंत्रित नहीं करता, इस्लामाबाद और रेड जोन पर यह खतरा बना रहेगा।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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