खुल गया राज! तालिबान से इसीलिए हार रहे पाकिस्तानी, TTP की इस चाल से Pak के 58 सैनिक ढेर

पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के बीच जंग में पाक सेना को भारी नुकसान हुआ है। गुरिल्ला युद्ध की रणनीति से TTP ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि अफगान तालिबान की मदद से आतंकियों की ताकत लगातार बढ़ रही है।

Harsh Srivastava
Published on: 15 Oct 2025 3:32 PM IST
खुल गया राज! तालिबान से इसीलिए हार रहे पाकिस्तानी, TTP की इस चाल से Pak के 58 सैनिक ढेर
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Pakistan-Taliban conflict update: वर्ष 2025 में पाकिस्तान अपनी पश्चिमी सीमा पर एक भयानक और थकाऊ युद्ध लड़ रहा है! तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) यानी पाकिस्तानी तालिबान का उभार अफगान तालिबान की मदद से तेज हो गया है। भले ही TTP के लड़ाकों की संख्या कम है और उनके हथियार पुराने हैं, लेकिन वे 'गुरिल्ला युद्ध' की चालाकी से पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। अक्टूबर 2025 में अफगान-सीमा पर हुई भीषण झड़पों में पाकिस्तान के 58 सैनिक मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने 200 से अधिक लड़ाकों के मरने का दावा किया। पाकिस्तान में साल 2024 के पूरे साल से ज़्यादा हमले 2025 में अब तक हो चुके हैं, जिससे देश की सुरक्षा नीति हिल गई है।

गुरिल्ला युद्ध की 'ट्रिक': छोटे हमले, बड़ा डर

गुरिल्ला युद्ध वह तरीका है, जिसमें छोटी टुकड़ियाँ बड़ी सेना के खिलाफ लड़ती हैं। इसका मुख्य नियम है सीधे टकराव से बचना और आश्चर्यजनक हमला करके तुरंत छिप जाना। TTP के लड़ाके पहाड़ों, जंगलों या गाँवों का फायदा उठाते हैं। वे पुराने हथियार जैसे राइफलें, आईईडी (सड़क पर बम) और अब ड्रोन भी इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका मकसद है दुश्मन को थकाना, डराना और कमजोर बनाना। यह वही रणनीति है जो वियतनाम और अफगानिस्तान की जंगों में बड़ी ताकतों के खिलाफ इस्तेमाल हुई थी।

TTP की 'घातक' रणनीति

TTP के पास पाकिस्तानी सेना के लाखों सैनिकों के मुकाबले केवल 8,000 से ज्यादा लड़ाके हैं, फिर भी वे अपनी चालाकी से प्रभावी जीत हासिल कर रहे हैं।TTP की मुख्य चाल आश्चर्यजनक हमले (एम्बुश) हैं। 8 अक्टूबर 2025 को दक्षिण वजीरिस्तान में ऐसे ही हमले में 11 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जिनमें दो अफसर शामिल थे। लड़ाके हमला करके तुरंत अफगानिस्तान की खुली सीमा पार करके भाग जाते हैं। खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान जैसे दुर्गम पहाड़ी इलाके TTP के लिए किसी गढ़ से कम नहीं हैं। यहाँ पाकिस्तानी सेना के टैंक और हेलीकॉप्टर मुश्किल से पहुँच पाते हैं, जिसका फायदा उठाकर TTP छिपकर आईईडी बिछाती है और स्नाइपर राइफल से निशाना साधती है। जुलाई 2025 में बाजौर जिले में पाकिस्तान की 'ऑपरेशन सरबकाफ' चला, लेकिन TTP ने कुछ ही समय में फिर से इलाके पर कब्जा जमा लिया।

अफगान तालिबान की 'सीमा पार' मदद

TTP की ताकत का एक बड़ा कारण अफगान तालिबान का समर्थन है। अफगान तालिबान TTP को ट्रेनिंग कैंप, पैसे और हथियार दे रहे हैं। अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने पर जो हथियार छूट गए थे, जैसे नाइट विजन गॉगल्स और स्नाइपर राइफल्स, अब TTP के पास हैं। खुली सीमा के कारण TTP के लड़ाके हमला करके आसानी से अफगानिस्तान भाग जाते हैं। सितंबर 2025 में सीमा पर छापेमारी में 19 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।

पाकिस्तानी सेना क्यों है नाकाम?

पाकिस्तानी सेना अत्याधुनिक हथियारों वाली होने के बावजूद गुरिल्ला युद्ध में फंस जाती है। सेना 'कन्वेंशनल युद्ध' (सीधी जंग) के लिए बनी है, जहाँ गुरिल्ला युद्ध में इलाके को लंबे समय तक नियंत्रित रख पाना मुश्किल हो जाता है। देश की आर्थिक दिक्कतें और आंतरिक राजनीतिक कलह के कारण सेना के लिए कोई बड़ा और लंबा ऑपरेशन चलाना मुश्किल है। टीटीपी का यह उभार पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा है। यह युद्ध साबित करता है कि संख्या और आधुनिक हथियार हमेशा सब कुछ नहीं होते, बल्कि चालाकी और जमीन का साथ गुरिल्ला युद्ध में ज्यादा ताकतवर साबित होता है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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