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बिल में घुसा पाकिस्तान? J-35 स्टील्थ फाइटर डील से किया इंकार, आखिर किसके डर से पाक हटा पीछे?

Pakistan j35 fighter jet deal cancelled: पहले कहा गया कि पाकिस्तानी पायलट बीजिंग में जे-35 स्टील्थ फाइटर जेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं, फिर दावा किया गया कि 40 स्टील्थ जेट्स की डील हो चुकी है। लेकिन अब, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ खुद कह रहे हैं—“कुछ नहीं हो रहा... ये सब मीडिया की अफवाहें हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 7 July 2025 5:18 PM IST
बिल में घुसा पाकिस्तान? J-35 स्टील्थ फाइटर डील से किया इंकार, आखिर किसके डर से पाक हटा पीछे?
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Pakistan j35 fighter jet deal cancelled: जिस चीनी फाइटर जेट की ताकत का ढिंढोरा पाकिस्तान ने दुनिया भर में पीटा था, उसी से अब वो भागता नजर आ रहा है। पहले कहा गया कि पाकिस्तानी पायलट बीजिंग में जे-35 स्टील्थ फाइटर जेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं, फिर दावा किया गया कि 40 स्टील्थ जेट्स की डील हो चुकी है। लेकिन अब, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ खुद कह रहे हैं—“कुछ नहीं हो रहा... ये सब मीडिया की अफवाहें हैं।” आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान चीनी हथियारों से यू-टर्न मार गया? सवाल सिर्फ एक फाइटर जेट का नहीं है, बल्कि इसके पीछे छुपा है अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सबसे खतरनाक समीकरण—चीन की शर्तें, अमेरिका की चेतावनी और पाकिस्तान की दोहरी चालें। इस पूरे घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब हथियारों के युद्ध में कंगाल और असहाय होता जा रहा है, जिसकी नकेल कभी वॉशिंगटन खींचता है तो कभी बीजिंग कसता है।

अमेरिका से डांट पड़ी या चीन की निगरानी से डरा पाकिस्तान?

फील्ड मार्शल असीम मुनीर की अमेरिका यात्रा और डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैकडोर मुलाकात के बाद से ही पाकिस्तान का चीन प्रेम ठंडा पड़ने लगा। अमेरिका ने दो टूक कह दिया कि अगर पाकिस्तान ने जे-35 जैसे हाईटेक चीनी हथियारों की खरीद की, तो उसके साथ हर रक्षा समझौते पर पुनर्विचार होगा। एफ-16 की सर्विसिंग से लेकर नई मिसाइल डिलीवरी तक, सब रोक दी जाएंगी।

वहीं चीन ने भी एक ऐसी शर्त रख दी, जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी। बीजिंग चाहता था कि अमेरिका की तर्ज पर पाकिस्तान में J-35 की हर गतिविधि की निगरानी खुद चीनी अधिकारी करें। यानी पाकिस्तान की ज़मीन पर चीन का सैन्य "निगरानी तंत्र"! ये बात न सिर्फ अमेरिका को चुभती, बल्कि पाकिस्तान की संप्रभुता पर भी सवाल खड़े करती। क्योंकि पाकिस्तान के पास पहले से ही अमेरिका के F-16 मौजूद हैं, जिनकी निगरानी पहले से ही पेंटागन के हाथों में है। ऐसे में चीन का भी वैसा ही निगरानी मॉडल लागू करना दो महाशक्तियों को पाकिस्तान की छाती पर बिठाने जैसा होता।

मुफ्त में नहीं मिलेगा 'चाइना का चमत्कार'

कहा जा रहा है कि J-35 की डील में चीन ने पाकिस्तान को भारी छूट का लालच दिया था। आधे दाम में 40 फाइटर जेट, साथ में PL-17 मिसाइलों का बंपर पैकेज! लेकिन सौदे की असली कीमत छुपी हुई थी—पूरे विमान बेड़े की 'बिग ब्रदर' निगरानी और ऑपरेशनल डिटेल्स की रिपोर्टिंग सीधे बीजिंग को।पाकिस्तान के सैन्य विशेषज्ञों ने तुरंत चेतावनी दी कि चीन की इस शर्त का मतलब है—F-16 और JF-17 जैसे सभी मौजूदा संसाधनों का भी एक्सपोजर। इससे अमेरिका को चिढ़ हो सकती है और नतीजा होगा... IMF से मिले कर्ज पर भी प्रतिबंध और FATF की काली सूची में दोबारा नाम!

तो क्या अब पाकिस्तान सिर्फ अमेरिका की गोद में बैठेगा?

ख्वाजा आसिफ के बयान से यह भी स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान ने अमेरिका से एक नई डील की मांग की है—अत्याधुनिक F-16 और हवा से हवा में मार करने वाली AIM-120C मिसाइलों का एक नया खेप! यानी पाकिस्तान अब फिर से वही पुरानी रणनीति अपना रहा है—चीन से ‘लालच’ दिखा कर अमेरिका से ‘मदद’ मांगना। लेकिन इस बार अमेरिका ज्यादा सतर्क है। वॉशिंगटन को पूरी तरह से शक है कि पाकिस्तान अब दोहरी गेम खेल रहा है—बीजिंग से टेक्नोलॉजी चुराकर उसे अपने लड़ाकू बेड़े में मिलाना चाहता है, और वॉशिंगटन से मदद लेकर सैन्य संतुलन भी बनाए रखना चाहता है।

दुनिया के सामने उजागर हुआ पाकिस्तान का दोगलापन

इस पूरे फाइटर जेट ड्रामे से एक बात तो साफ हो गई है—पाकिस्तान की सैन्य नीति अब स्वतंत्र नहीं रही। IMF की कर्जदार अर्थव्यवस्था, अमेरिका की छाया और चीन की शर्तों ने उसे एक ‘बोलने वाला रोबोट’ बना दिया है, जिसके बटन अब वॉशिंगटन और बीजिंग के हाथों में हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर पाकिस्तान J-35 जैसी स्टील्थ तकनीक अपनाता है, तो उसे पूरी तरह से चीन के सैन्य नियंत्रण में जाना पड़ेगा। वहीं अगर अमेरिका की लाइन पर चलता है, तो चीन से सभी मौजूदा प्रोजेक्ट्स (जैसे JF-17 ब्लॉक 3) भी खतरे में पड़ सकते हैं। यानी ना इधर का, ना उधर का—दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार बाज़ार में पाकिस्तान अब “नो-मैन्स लैंड” बन चुका है।

क्या अब JF-17 ही पाकिस्तान का भविष्य है?

अब सवाल ये है कि अगर J-35 डील रद्द हो गई, तो पाकिस्तान अपने वायुसेना को कैसे मॉडर्न बनाएगा? ज़्यादातर रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब पाकिस्तान JF-17 ब्लॉक 3 प्रोग्राम को ही बढ़ावा देगा। लेकिन उसमें भी चीन की मदद है, और अब उस पर भी अमेरिका की नजर गड़ी हुई है।

पाकिस्तान अब खुद फैसले लेने की स्थिति में नहीं

J-35 डील से यू-टर्न लेकर पाकिस्तान ने साबित कर दिया है कि वो अब खुद फैसले लेने की स्थिति में नहीं है। एक तरफ चीन की निगरानी की बेड़ियां हैं, दूसरी तरफ अमेरिका की धमकियों की चाबुक। और कहीं बीच में, पाकिस्तानी वायुसेना की उड़ान—जो अब न अमेरिकी बन पाई, न चीनी... सिर्फ मीडिया की खबरों में उड़ती अफवाह बनकर रह गई।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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