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खुल गई अमेरिका की पोल! दुनिया का सबसे खतरनाक फाइटर जेट केरल में बीमार! भारत ने छुआ तक नहीं, अब टुकड़ों में लौटेगा घर
F-35 grounded in Kerala: F-35 है जिसे पश्चिमी दुनिया 'अजेय' मानती है। लेकिन अब ये 'अजेय' विमान तिरुवनंतपुरम के एयरबेस पर खड़ा सिर्फ एक ‘वज़नी कबाड़’ बन गया है — और चौंकाने वाली बात ये है कि भारत जैसे देश को इसे छूने तक की इजाज़त नहीं मिली।
F-35 grounded in Kerala: केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर पिछले 20 दिनों से एक सन्नाटा पसरा है — पर ये सन्नाटा किसी आम जहाज का नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे आधुनिक और खतरनाक फाइटर जेट F-35 का है। जी हां, वही F-35 जो अमेरिका और ब्रिटेन की गर्वीली सैन्य तकनीक का प्रतीक है, वही फाइटर जेट जो रडार से गायब हो सकता है, पलक झपकते ही हवा से जमीन और समुद्र तक कहर बरपा सकता है, वही जेट… जो अब भारत में लाचार, खड़ा है… बीमार! यह वही F-35 है जिसे पश्चिमी दुनिया 'अजेय' मानती है। लेकिन अब ये 'अजेय' विमान तिरुवनंतपुरम के एयरबेस पर खड़ा सिर्फ एक ‘वज़नी कबाड़’ बन गया है — और चौंकाने वाली बात ये है कि भारत जैसे देश को इसे छूने तक की इजाज़त नहीं मिली।
मिस्त्री भारत का हो, तो टेक्नोलॉजी लीक का डर?
इस फाइटर जेट की इमरजेंसी लैंडिंग हुई — तकनीकी खराबी के चलते। दुनिया के सबसे आधुनिक एयरक्राफ्ट के लिए भारत जैसे देश में तकनीकी सहायता लेना सामान्य प्रक्रिया हो सकती थी, लेकिन यहां मामला उल्टा है। भारत के पास दर्जनों तकनीकी ब्रेन और विशेषज्ञ इंजीनियर हैं जो मिग-29 से लेकर राफेल तक की जटिल मशीनों को मिनटों में खोल-समझ और सुधार सकते हैं। लेकिन F-35 के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन की चिंता एकदम अलग है — उन्हें डर है कि भारत को इस विमान की मरम्मत की इजाज़त देना मतलब “अपनी गोपनीयता की कब्र खोदना” होगा। एक साधारण सी बात समझिए — अगर आप अपनी कार लेकर लखनऊ जा रहे हों और रास्ते में वह खराब हो जाए, तो क्या नोएडा से मैकेनिक बुलाएंगे? या पास के किसी लोकल मिस्त्री से ही ठीक करवाएंगे? लेकिन सोचिए अगर कोई बोले कि इस कार में ऐसी तकनीक है कि उसे कोई छू तक नहीं सकता, वरना राज़ खुल जाएगा — तो क्या आप हैरान नहीं होंगे? ठीक यही कहानी है F-35 की।
अमेरिका-UK का टेक्नोलॉजी कंट्रोल का खेल
F-35 एक ऐसा स्टील्थ फाइटर जेट है जिसमें ऐसी टेक्नोलॉजी भरी गई है जो भविष्य की जंगों का रुख पलट सकती है — सेंसर्स फ्यूज़न, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, अदृश्य रहने वाली कंपोजिट कोटिंग और सबसे बड़ी बात — सॉफ्टवेयर कोड्स! ये कोड्स इतनी संवेदनशील हैं कि अमेरिका किसी भी गैर-अमेरिकी देश को उनकी झलक तक नहीं दिखाता। ब्रिटेन, जो इस प्रोजेक्ट में अमेरिका के साथ साझेदार है, वही नीति अपनाता है। और अब चूंकि भारत इस विमान को खोल भी नहीं सकता, तो चर्चा है कि F-35 को टुकड़ों में काटकर वापस ले जाया जाएगा! यानी जिस विमान को उड़ते देखना दुनिया का सपना था, अब उसी को काट-काटकर एयरफ्रेट के जरिए वापस भेजा जाएगा।
क्यों डरते हैं अमेरिका और ब्रिटेन?
सीधा जवाब है – “कोड सिक्योरिटी।” F-35 एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो एन्क्रिप्टेड प्रोटोकॉल और सॉफ्टवेयर लॉजिक पर चलता है। इसे खोलने या मरम्मत करने का मतलब होता है – सिस्टम को एक्सेस देना। और अमेरिका का मानना है कि भारत जैसे तकनीकी रूप से सक्षम देश को यह एक्सेस देने का मतलब है – आधा F-35 बनाना सिखा देना! और यह बात अमेरिका किसी भी कीमत पर नहीं चाहता।
F-35 की "सप्लाई चेन डिक्टेटरशिप"
इस विमान को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक खास सिस्टम बनाया है – सप्लाई चेन कंट्रोल लॉजिक। इसके अनुसार, किसी भी देश में यह विमान खराब होता है तो सिर्फ वही टीमें उसे ठीक कर सकती हैं जिन्हें अमेरिका ने अधिकृत किया हो। कोई लोकल मिस्त्री, कोई राष्ट्रीय वर्कशॉप – नहीं! यानी अगर भारत की जमीन पर भी F-35 बीमार पड़े, तो इलाज अमेरिका ही करेगा, वरना ‘बंद कर, टुकड़ों में समेट और वापस ले चल’! ये वही टेक्नोलॉजी डिक्टेटरशिप है जिससे भारत जैसे देश अब धीरे-धीरे दूरी बना रहे हैं। क्योंकि जब आप तकनीक खरीदते हैं, लेकिन उसे छू भी नहीं सकते, तो आप ग्राहक नहीं, सिर्फ किराएदार हैं।
भारत में जगी स्वदेशी चेतना?
F-35 की ये पूरी घटना भारत के लिए एक बड़ा सबक है। जिस देश ने ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस फाइटर, और अब अपने खुद के जेट इंजन विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं, उसके सामने ये घटना तकनीकी गुलामी की एक मिसाल बनकर खड़ी है। शायद यही वजह है कि अब भारत की रक्षा नीति में आत्मनिर्भरता सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच चुकी है। F-35 जैसे विमान भले अभी भारत नहीं बनाता, लेकिन इस अपमान के बाद एक बात तो तय है — अगली पीढ़ी में भारत सिर्फ खरीददार नहीं, निर्माता भी होगा। केरल में खड़ा ये F-35 अब सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि वैश्विक सामरिक रिश्तों का आइना बन गया है। इसमें दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति का ‘डर’ दिखता है, और भारत जैसे देशों के लिए ‘सबक’।
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