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एक झटके में भारत बना दुनिया में 'ताकतवर'! जमीन नहीं, अब आसमान से बरसेगी आग; युद्ध की आहट से कांपेगा 'दुश्मन'
Indian Air Force Super 30: भारत अपनी रणनीति को नए सिरे से गढ़ रहा है। एयरफोर्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी को केंद्र में रखकर भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने...
Indian Air Force: पिछले दो दशकों में दुनिया के रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। जहां पहले पारंपरिक युद्ध (कन्वेंशनल वॉरफेयर) में थलसेना की भूमिका प्रमुख मानी जाती थी, अब उस जगह को एयरफोर्स, नेवी और ड्रोन टेक्नोलॉजी ने तेजी से ले लिया है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान संघर्ष ने यह साबित कर दिया है कि हवाई ताकत और उन्नत मिसाइल प्रणाली अब युद्ध की दिशा तय करती है।
भारत ने भी इस बदले हुए वैश्विक परिदृश्य को समझते हुए अपने सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में सेना की सीमित भूमिका रही, जबकि एयरफोर्स और मिसाइल ऑपरेशंस की भूमिका प्रमुख रही।
ड्रोन और एयर पावर: भविष्य के युद्ध का निर्धारक
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण हो गई है कि अब कोई भी देश इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता। युद्ध की रणनीति में बदलाव के चलते अब हर देश को अपनी सेनाओं को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करना अनिवार्य हो गया है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान युद्धों ने यह साफ कर दिया है कि जो देश तकनीकी रूप से पीछे रहेंगे, वे मैदान में टिक नहीं पाएंगे।
भारत की रणनीति: आकाश से मार, जमीन पर दबदबा
भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। सरकार ने सेना, नौसेना और वायुसेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए बड़े स्तर पर निवेश शुरू किया है। फाइटर जेट्स, आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस सिस्टम, वॉरशिप और एयरक्राफ्ट कैरियर पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
वायुसेना की ताकत बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इंडियन एयरफोर्स के पास 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 31-32 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कमी पर गंभीर चिंता जताई है। सरकार ने इसे प्राथमिकता में रखते हुए कई परियोजनाओं को गति दी है।
Su-30MKI का 'सुपर-30' अवतार
भारत की वायुसेना की रीढ़ माने जाने वाले Su-30MKI फाइटर जेट्स को अपग्रेड करने का मास्टरप्लान तैयार किया गया है, जिसे 'सुपर-30 प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है। रूस के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया है, जिसके तहत शुरुआती चरण में 84 जेट को उन्नत तकनीक से लैस किया जाएगा।
इन जेट्स में गैलियम नाइट्राइड-आधारित AESA रडार (विरुपाक्ष) लगाया जाएगा, जो 300-400 किमी दूर तक के लक्ष्य को भांप सकता है। साथ ही कॉकपिट को पूरी तरह डिजिटल किया जाएगा और उन्नत 'अस्त्र MK-2' और 'गांडीव' जैसी मिसाइलों को भी शामिल किया जाएगा।
F-16 को मिलेगा जवाब, चीन-पाक पर भी दबाव
2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान Su-30MKI को पाकिस्तानी F-16 का सामना करते हुए सीमाओं का सामना करना पड़ा था। अपग्रेडेशन के बाद Su-30MKI इन चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पाकिस्तान को हतोत्साहित करेगा और चीन को भी सीमा पर दुस्साहस से रोकेगा।
तेजस और AMCA: स्वदेशी शक्ति की ओर कदम
भारत ने स्वदेशी रक्षा प्रणाली की ओर भी तेजी से कदम बढ़ाया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने तेजस मल्टीरोल फाइटर जेट के उत्पादन को रफ्तार दी है। इसके अलावा, भारत का अगला लक्ष्य 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट – AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) विकसित करना है, जिसपर DRDO और HAL मिलकर काम कर रहे हैं। अनुमान है कि अगले दस वर्षों में यह प्रोजेक्ट साकार हो जाएगा।
युद्ध की परिभाषा बदल रही है, भारत तैयार हो रहा है
अब जबकि युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, भारत अपनी रणनीति को नए सिरे से गढ़ रहा है। एयरफोर्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी को केंद्र में रखकर भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। आने वाले वर्षों में भारत की सैन्य शक्ति न केवल आत्मनिर्भर होगी, बल्कि आधुनिक तकनीक से लैस भी।
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