TRENDING TAGS :
'PM मोदी' और 'चीनी राष्ट्रपति' की मुलाकात से बड़ी हलचल, 55 मिनट में तय हुई दुनिया की रूपरेखा
Modi-Jinping meeting: PM मोदी और शी जिनपिंग की 55 मिनट की मुलाकात ने भारत-चीन रिश्तों को नई दिशा दी।
PM Modi-Xi Jinping meeting: रविवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बेहद महत्वपूर्ण मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक चीन के तियानजिन शहर में लगभग 55 मिनट तक चली, और इसने दुनिया को साफ-साफ संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच रिश्ते अब एक नई दिशा ले रहे हैं। हाल के वर्षों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बढ़ते तनाव के बाद यह उनकी पहली आमने-सामने की मुलाकात थी।
'हाथी और ड्रैगन' का साथ चलना जरूरी: शी जिनपिंग
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी बात को एक बेहद महत्वपूर्ण रूपक से समझाया। उन्होंने कहा, "हाथी और ड्रैगन का साथ चलना आवश्यक है।" उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया में भारत और चीन के लिए मित्र और अच्छे पड़ोसी बनना बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देश न केवल दो प्राचीन सभ्यताएं हैं, बल्कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भी हैं और ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं। इसलिए, वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए उनका मिलकर काम करना ऐतिहासिक रूप से जरूरी है।
मोदी की प्रतिबद्धता: 'विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने पिछले साल सैन्य वापसी के बाद सीमा पर बनी शांति और स्थिरता का भी उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग से 2.8 अरब लोगों का कल्याण जुड़ा हुआ है। उन्होंने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू होने और कोविड प्रतिबंधों के कारण पांच साल से रुकी हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का भी जिक्र किया।
मतभेद को विवाद में न बदलने का संकल्प
भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और उनके बीच के मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। चीनी मीडिया के अनुसार, शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि विकास के अवसर हैं। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सीमा मुद्दे को समग्र भारत-चीन संबंधों को परिभाषित नहीं करना चाहिए।
तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं!
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका और पश्चिमी देशों को दिया गया एक संदेश था, जो भारत-चीन संबंधों पर करीबी नजर रखते हैं। दोनों नेताओं ने आतंकवाद और निष्पक्ष व्यापार जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह मुलाकात दिखाती है कि दोनों देश अपने संबंधों को स्थिर और सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहते हैं, भले ही उनकी राह में कितनी भी चुनौतियां क्यों न हों।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!