मोदी की नकल कर रहे तुर्किए के राष्ट्रपति! कहां तक जाएगी दोनों देशों की पुरानी लड़ाई, नेताओं की कट्टरता में बड़ी समानतायें

India vs Turkey : र्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। अर्दोआन ने सार्वजनिक रूप से कहा, हम पाकिस्तान के लोगों के साथ खड़े हैं...

Snigdha Singh
Published on: 19 May 2025 5:25 PM IST
मोदी की नकल कर रहे तुर्किए के राष्ट्रपति! कहां तक जाएगी दोनों देशों की पुरानी लड़ाई, नेताओं की कट्टरता में बड़ी समानतायें
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PM Modi vs Recep Tayyip Erdoğan: बीते कुछ दिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक सफलताओं वाले रहे, वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए हालिया घटनाक्रम चुनौतियों भरे रहे हैं। तुर्की में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर बड़ी उपलब्धियां दर्ज की गई हैं, जबकि भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच मोदी सरकार को कूटनीतिक दबावों का सामना करना पड़ा है।

अर्दोआन को मिली एक साथ कई रणनीतिक सफलताएं

PKK का विघटन: तुर्की के लंबे समय से सिरदर्द बने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) ने खुद को भंग कर लिया है, जिसे अर्दोआन सरकार की बड़ी जीत माना जा रहा है।

सीरिया पर ट्रंप की रियायत: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटा लिए हैं, जिससे तुर्की के सीरिया नीति को अप्रत्यक्ष समर्थन मिला है।

रूस-यूक्रेन वार्ता की मेज़बानी: अंकारा में हुई शांति वार्ता ने तुर्की को एक शांति-सुविधाकर्ता के रूप में स्थापित किया है।

पोप का दौरा: नई पोप द्वारा तुर्की दौरे की घोषणा भी वैश्विक मंच पर अर्दोआन की छवि को और सशक्त करती है।

लीबिया में तुर्की समर्थक सत्ता मजबूत: अर्दोआन समर्थित लीबियाई प्रधानमंत्री ने सत्ता पर अपनी पकड़ और मज़बूत की है।

भारत में चुनौतियों का दौर, पाकिस्तान के साथ बढ़ता तनाव

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा। छह और सात मई की दरम्यानी रात भारतीय सैन्य कार्रवाई के बाद जवाबी हमलों और ड्रोन गतिविधियों का दौर चला। जब संघर्षविराम की घोषणा हुई, तो अमेरिका की मध्यस्थता ने भारत को एक ‘निर्देशित साझेदार’ के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे मोदी सरकार की कूटनीतिक स्वायत्तता पर सवाल उठे।

इस बीच, तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। अर्दोआन ने सार्वजनिक रूप से कहा, हम पाकिस्तान के लोगों के साथ खड़े हैं और साथ खड़े रहेंगे, जिसके बाद भारतीय सोशल मीडिया पर तुर्की विरोधी प्रतिक्रियाएं तेज़ हो गईं।

अर्दोआन का दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ाने का प्रयास

विशेषज्ञों का मानना है कि अर्दोआन अब पश्चिम एशिया के बाद दक्षिण एशिया में भी प्रभाव स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अर्दोआन को यह समझना होगा कि दक्षिण एशिया पश्चिम एशिया नहीं है। पाकिस्तान के ज़रिए वह खुद को प्रासंगिक बना सकते हैं, लेकिन भारत के प्रभाव को चुनौती देना उनके लिए आसान नहीं होगा।

मोदी बनाम अर्दोआन, कई समानताएं

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, नरेंद्र मोदी और रेचेप तैय्यप अर्दोआन के नेतृत्व में कई समानताएं हैं। दोनों धार्मिक राष्ट्रवाद की राजनीति के चैंपियन माने जाते हैं। दोनों का राजनीतिक उदय स्थानीय प्रशासन से शुरू होकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचा। अर्दोआन ने हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदला, वहीं मोदी ने राम मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। दोनों ही नेता अपने अतीत पर गर्व करते हुए सभ्यता आधारित राजनीति को बढ़ावा देते हैं। तुर्की का नाम 'तुर्किये' करने की अर्दोआन की पहल और भारत में 'इंडिया बनाम भारत' पर बहस भी इस समानता को दर्शाती है।


तुर्किए से पुरानी है नाराजगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद मध्य-पूर्व और यूरोप के कई देशों की यात्राएं कीं, लेकिन अब तक तुर्की का दौरा नहीं किया है। इसके पीछे सबसे अहम कारण रहा है तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन द्वारा बार-बार कश्मीर मुद्दे पर की गई टिप्पणियां, जिसने भारत-तुर्की संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया।

वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी का तुर्की दौरा लगभग तय था, लेकिन उससे ठीक पहले राष्ट्रपति अर्दोआन ने कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ बयान दिया, जिसके बाद यह दौरा स्थगित कर दिया गया। यह वही समय था जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था और अर्दोआन ने इसके खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में बयान दिया था।

अर्दोआन का अंतिम भारत दौरा 30 अप्रैल 2017 को हुआ था। यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के उद्देश्य से हुआ था, लेकिन उस समय भी अर्दोआन ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की वकालत की, जिससे भारतीय सरकार और जनता के बीच नाराज़गी देखी गई। उनकी इस टिप्पणी को भारत ने आंतरिक मामले में हस्तक्षेप माना था।

भविष्य की दिशा क्या होगी?

जहां अर्दोआन वैश्विक मंच पर अधिक आक्रामक और आत्मविश्वास से भरे नज़र आ रहे हैं, वहीं नरेंद्र मोदी को अब दक्षिण एशियाई कूटनीति में नई रणनीतिक सोच की ज़रूरत होगी। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि भारत को तुर्की की गतिविधियों का जवाब राजनयिक, सांस्कृतिक और सामरिक स्तर पर देना चाहिए। जैसे आर्मीनिया, ग्रीस और साइप्रस के साथ गठबंधन मजबूत करना, जिससे अर्दोआन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।

दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक नेताओं के बीच यह प्रत्यक्ष टकराव नहीं, लेकिन वैचारिक और कूटनीतिक प्रतिस्पर्धा का दौर है। अर्दोआन जहां एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय सफलताएं दर्ज कर रहे हैं, वहीं मोदी को विचारधारा और रणनीति दोनों स्तरों पर खुद को फिर से साबित करना होगा खासतौर पर ऐसे समय में जब भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध संवेदनशील मोड़ पर हैं।

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Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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