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दुनिया में होगा महाविनाश! पुतिन का खौफनाक प्लान बेनकाब, एक-एक कर 'डूम्सडे हथियार' कर रहा लांच
रूस ने यूक्रेन युद्ध के बीच अपनी परमाणु ताकत का खौफनाक प्रदर्शन किया है। पुतिन ने एक-एक कर तीन 'डूम्सडे हथियार', बुरेवेस्तनिक मिसाइल, पोसाइडन ड्रोन और खबरोवस्क पनडुब्बी को लॉन्च कर दुनिया को महाविनाश की चेतावनी दे दी है।
Russia doomsday weapons: रूस ने यूक्रेन युद्ध के बीच अपनी सैन्य ताकत का ऐसा प्रदर्शन शुरू किया है, जिसने पूरी दुनिया को सदमे में डाल दिया है। एक के बाद एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाले तीन 'घातक' हथियार, पहले बुरेवेस्तनिक मिसाइल, फिर पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन, और अब खबरोवस्क न्यूक्लियर पनडुब्बी,को सामने लाकर रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने विरोधियों को समुद्र में घात लगाकर तबाह करने की तैयारी में है। ये तीनों हथियार परमाणु ऊर्जा से चलते हैं और इन्हें 'गेम चेंजर' माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि रूस अचानक अपनी परमाणु शक्ति को इतनी तेजी से क्यों अपग्रेड कर रहा है? क्या यह सिर्फ यूक्रेन युद्ध के जवाब में नाटो (NATO) को डराने का एक 'जंगी प्लान' है? आइए, रूस के इस खतरनाक 'ट्रायड ऑफ टेरर' को समझते हैं।
'ट्रायड ऑफ टेरर' का पहला हमलावर: बुरेवेस्तनिक मिसाइल
रूस का पहला 'सुपर वेपन' है बुरेवेस्तनिक (Burevestnik), जिसे नाटो 'SSC-X-9 स्काईफॉल' कहता है। यह एक क्रूज मिसाइल है, जो परमाणु रिएक्टर से चलती है। इसका मतलब है कि इसे ईंधन की चिंता नहीं करनी पड़ती। यह हवा में उड़ते-उड़ते धरती का चक्कर लगा सकती है और अमेरिका के किसी भी कोने तक पहुंच सकती है। यह मिसाइल छोटी है, लेकिन 40 मेगाटन का परमाणु हेड ले जा सकती है। रूस का दावा है कि इसकी गति और उड़ने की क्षमता इसे नाटो की मिसाइल डिफेंस को चकमा देने में सक्षम बनाती है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे 'महान हथियार' कहा है, जो दुश्मन को रेडियोएक्टिव क्लाउड से घेर लेगा। इसे 2025 में सेना में शामिल करने की तैयारी है।
समुद्र का 'कयामत ड्रोन': पोसाइडन
अगला हथियार है पोसाइडन, जिसे दुनिया 'डूम्सडे ड्रोन' कहती है। यह कोई साधारण ड्रोन नहीं, बल्कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाला एक अंडरवॉटर व्हीकल है, जो समुद्र के नीचे घूमता हुआ दुश्मन के तट पर जाकर विस्फोट कर सकता है। पोसाइडन 100 मेगाटन का न्यूक्लियर वारहेड ले जाता है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए बम से हजारों गुना ताकतवर है। यह 1000 मीटर गहराई में जा सकता है और 10,000 किलोमीटर दूर तक सफर कर सकता है। रूस इसे 'डूम्सडे वेपन' कहता है, क्योंकि यह 'टॉरनेडो साइज' की सुनामी पैदा कर सकता है जो अमेरिका के तटीय शहरों को डुबो देगी। यह ड्रोन पनडुब्बी से लॉन्च होता है और AI से कंट्रोल होता है, जिससे दुश्मन को हमले का पता भी नहीं चलेगा।
'साइलेंट किलर': खबरोवस्क पनडुब्बी
पोसाइडन को लॉन्च करने के लिए ही खास तौर पर खबरोवस्क (प्रोजेक्ट 09851) पनडुब्बी को 2 नवंबर 2025 को सेवमाश शिपयार्ड से लॉन्च किया गया। यह दुनिया की पहली पनडुब्बी है जो विशेष रूप से पोसाइडन ड्रोन ले जाने के लिए बनी है। इस न्यूक्लियर पावर्ड पनडुब्बी में 6 से 8 पोसाइडन ड्रोन रखे जा सकते हैं। यह ओपन ओशन में घूमेगी और गुप्त रूप से ड्रोन को रिलीज कर दुश्मन को निशाना बनाएगी। इसे 'साइलेंट किलर' माना जाता है, जो रडार से बचती है और पोसाइडन जैसे घातक हथियार को सुरक्षा देती है। यह 2027 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी।
रूस का जंगी प्लान: एसिमेट्रिक डिटरेंस से नाटो को चुनौती
ये तीनों हथियार रूस की एक बड़ी रणनीतिक पहल का हिस्सा हैं। रूस मानता है कि नाटो की पारंपरिक सेना उससे ज्यादा ताकतवर है, इसलिए वह एसिमेट्रिक वॉरफेयर पर जोर दे रहा है यानी, कम संसाधनों से ज्यादा नुकसान पहुंचाना। रूस जमीन, हवा और समुद्र, तीनों से परमाणु हमला करने की क्षमता को मजबूत कर रहा है। बुरेवेस्तनिक हवा से, और पोसाइडन-खबरोवस्क समुद्र से हमला करने की क्षमता देते हैं। यूक्रेन युद्ध में नाटो की मदद के कारण रूस पर दबाव बढ़ा है। इन हथियारों को सामने लाकर रूस एक 'रेड लाइन' खींच रहा है, यह जता रहा है कि उसके पास ऐसे हथियार हैं जो दुश्मन को तबाह कर देंगे। रूस 2025-2030 तक इस अपग्रेडेशन पर 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेगा। विशेषज्ञ चेताते हैं कि ये 'डूम्सडे मशीन्स' हैं, जिनका इस्तेमाल म्यूचुअल डिस्ट्रक्शन का कारण बन सकता है, लेकिन रूस इन्हें 'डिफेंसिव' बताता है। रूस का प्लान साफ है, समुद्र से दुश्मन पर घात लगाकर न्यूक्लियर स्ट्राइक करना।
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