×

ताइवान के खिलाफ चीन खौफनाक साजिश बेनकाब! उपराष्ट्रपति के साथ China करने वाला था कुछ बहुत बड़ा, अब हर जगह हो रही बेइज्जती

China Attacks Taiwan Vice President: चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने एक ऐसा खुलासा किया है, जिससे यूरोप की सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल जब ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम प्राग दौरे पर थीं, तब चीन ने उन्हें डराने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘संदेश’ देने के लिए एक जानलेवा योजना रची थी।

Harsh Srivastava
Published on: 28 Jun 2025 6:23 PM IST
ताइवान के खिलाफ चीन खौफनाक साजिश बेनकाब! उपराष्ट्रपति के साथ China करने वाला था कुछ बहुत बड़ा, अब हर जगह हो रही बेइज्जती
X

China attacks Taiwan Vice President: प्राग की सड़कों पर एक काली कार अचानक स्पीड पकड़ती है। टर्न पर बिना रुके रेड लाइट तोड़ती है। उसके पीछे है एक और काफिला—ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम का। जो हो सकता था, वह इतिहास बदल सकता था लेकिन अब जो सामने आया है, वह पूरे यूरोप को हिला देने वाला है। चीन, जो कभी सिर्फ व्यापार और बयानबाज़ी तक सीमित दिखता था, अब कूटनीति की आड़ में सीधे जानलेवा चालों पर उतर आया है।

चीन की 'कार वॉर' साजिश – लोकतंत्र पर हमला या खुली धमकी?

चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने एक ऐसा खुलासा किया है, जिससे यूरोप की सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल जब ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम प्राग दौरे पर थीं, तब चीन ने उन्हें डराने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘संदेश’ देने के लिए एक जानलेवा योजना रची थी। योजना क्या थी? बहुत साधारण सी प्रतीत होती है—एक कार दुर्घटना। लेकिन यह 'एक्सिडेंट' महज़ इत्तेफाक नहीं होता, बल्कि एक कूटनीतिक हत्यारे का हथियार बन जाता।

चेक मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ पेत्र बार्तोव्स्की ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन ने योजना बनाई थी कि ह्सियाओ की कार से जानबूझकर टक्कर की जाए। न तो उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना मकसद था और न ही सीधे हत्या—बल्कि यह हमला ‘प्रतीकात्मक’ होना था, ताकि दुनियाभर में एक संदेश जाए: “चीन जो कहता है, वही क़ानून है। ताइवान कोई अलग देश नहीं, और जो इससे उलट कहेगा, वो सुरक्षित नहीं रहेगा।”

एक-एक क़दम पर निगरानी, हर बैठक पर नज़र

चेक सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, ह्सियाओ की यात्रा के हर पहलू पर नज़र रखी जा रही थी। उनका रूट, होटल, मीटिंग्स, डेली मूवमेंट—हर चीज़ ट्रैक की जा रही थी। और सिर्फ इतना ही नहीं, एक चीनी राजनयिक द्वारा प्राग की सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हुए ताइवान प्रतिनिधिमंडल का पीछा करना इसकी पुष्टि करता है कि यह सिर्फ निगरानी नहीं, बल्कि साज़िश का हिस्सा था। यह घटना किसी स्पाई थ्रिलर फिल्म जैसी लग सकती है, लेकिन यह हकीकत है। यूरोप के बीचोंबीच लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के नाम पर एक ऐसे देश के प्रतिनिधि की ज़िंदगी को ख़तरे में डाल दिया गया, जो स्वयं लोकतंत्र की नज़ाकत और स्वतंत्रता का प्रतीक है—ताइवान।

चीन की बौखलाहट: ‘वन चाइना पॉलिसी’ का हथियार

रिपोर्ट के सामने आने के बाद बीजिंग पूरी तरह आगबबूला है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने चेक गणराज्य पर “वन चाइना पॉलिसी” के उल्लंघन का आरोप लगाया है और कहा है कि ताइवान के स्वतंत्रता समर्थकों को मंच देना गंभीर राजनीतिक गलती है। दरअसल, बीते कुछ वर्षों में ताइवान को लेकर यूरोप में जो सहानुभूति लहर उठी है, वह चीन को खल रही है। चेक रिपब्लिक, लिथुआनिया, और स्लोवाकिया जैसे देश अब ताइवान के नेताओं से सार्वजनिक मुलाकातें कर रहे हैं। इससे बीजिंग की उस कथित संप्रभुता को चुनौती मिल रही है, जिसे वह ‘वन चाइना’ के नाम पर ज़बरदस्ती लागू कराना चाहता है।

यूरोप जाग रहा है, ताइवान की पुकार सुनाई दे रही है

इस खुलासे से यूरोप में चीन के प्रति संदेह और गहराता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ह्सियाओ पर यह प्रतीकात्मक हमला केवल एक नेता पर नहीं था, यह यूरोपीय लोकतंत्र पर हमला था। यह चेतावनी थी उन सभी देशों को, जो ताइवान से संबंधों को बेहतर करने की हिम्मत दिखा रहे हैं। अब चेक रिपब्लिक में प्रो-ताइवान भावनाएं और तेज़ हो सकती हैं। यूरोपीय यूनियन में यह सवाल ज़ोर पकड़ सकता है कि क्या चीन के साथ संबंध बनाए रखना अब ‘सुरक्षित’ है? और सबसे बड़ा सवाल—अगर आज ताइवान के एक नेता को धमकाने के लिए प्राग की सड़कों पर चीन योजना बना सकता है, तो कल कौन अगला होगा?

लोकतंत्र पर ड्रैगन की छाया

चीन जिस तेज़ी से विश्व मंच पर अपनी पकड़ बढ़ा रहा है, उसमें सबसे बड़ी बाधा उसे ताइवान ही लगता है। लेकिन अब ये लड़ाई सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं रही। यूरोप के भीतर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंचों पर चीन अपने राजनयिक हथियारों से नहीं, बल्कि साज़िशों की गाड़ियों से संदेश भेज रहा है। इस घटना ने ताइवान की उपराष्ट्रपति को तो नहीं, लेकिन यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था को ज़रूर झकझोर दिया है। अब ये सिर्फ एक देश का मामला नहीं रहा—यह सवाल है वैश्विक राजनीति के संतुलन का, लोकतांत्रिक आवाज़ों की सुरक्षा का, और उस ड्रैगन की चालों का जो अब शांति की आड़ में आतंक का पाठ पढ़ा रहा है। तो क्या अगली बार कोई ह्सियाओ अपनी बात कहने के लिए यूरोप आ पाएगी, बिना डर के? या फिर सड़कों पर एक और कार किसी और नेता के लिए प्रतीक बनकर आएगी? यूरोप को अब फैसला करना होगा—चुप रहना है, या चीन को उसकी सीमा याद दिलानी है।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story