Ukraine War: यूक्रेन के युद्धक्षेत्र में ध्यान और करुणा से हो रहा है घावों का उपचार

Art of Living Ukraine: जानकारी के अनुसार, जब पहली बार यूक्रेन के सैनिकों को आर्ट ऑफ लिविंग ट्रॉमा-राहत कार्यक्रम में बुलाया गया, तो स्थिति बेहद दर्दनाक थी।

Jyotsna Singh
Published on: 5 Sept 2025 11:07 AM IST
Art of Living Ukraine
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Art of Living Ukraine (Image Credit-Social Media)

Ukraine Wra: विनाश की इबारत लिखने वाला युद्ध का असर सिर्फ़ किसी देश की आर्थिक, सामाजिक और इमारतों पर ही नहीं होता बल्कि यह इंसान की आत्मा तक को भीतर तक तोड़ देता है। यूक्रेन इसका जीता-जागता उदाहरण है। बमों और हमलों से तबाह हुए शहर सिर्फ़ बाहरी विनाश की तस्वीरें हैं, असली चोट उन दिलों और दिमाग़ों पर है जिन्हें लगातार डर, हिंसा और खालीपन ने घेर रखा है। इसी अंधकार में उम्मीद की एक किरण जलाने का काम कर रहा है आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में यूक्रेन पहुंचा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन हथियारों के साथ नहीं बल्कि सांस, ध्यान और करुणा के साथ लोगों के आत्मबल को पुष्ट कर रहा है।

लोगों को सता रहा युद्ध से हुए खालीपन का असहनीय अनुभव

यूक्रेन की सेना और आम लोग युद्ध में सिर्फ़ गोलियों से नहीं लड़ रहे बल्कि उनके भीतर तनाव, क्रोध, असहायता और खालीपन के गहरे डर कुल मिलाकर एक अदृश्य संघर्ष के साथ जीने को मजबूर हो रहे हैं। एक यूक्रेनी कमांडर ने साफ़ कहा कि, जब बम गिरते हैं, हममें से कई तुरंत उठ खड़े होते हैं, लेकिन उस सिक्के का दूसरा पहलू कोई नहीं देखता वह खालीपन जिसमें हम हर दिन जीते हैं।'

आर्ट ऑफ लिविंग भर रहा खालीपन


संस्था की एक प्रशिक्षक द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, जब पहली बार सैनिकों को आर्ट ऑफ लिविंग ट्रॉमा-राहत कार्यक्रम में बुलाया गया, तो स्थिति बेहद दर्दनाक थी। घायल शरीर, डरी हुई आंखें और थके हुए चेहरे। लेकिन धीरे-धीरे कुछ बदलने लगा। साधारण-सी लगने वाली सांसों की तकनीक ने उन्हें भीतर से संभालना शुरू कर दिया। घायल सैनिकों ने ध्यान और श्वास अभ्यास किए, उनके चेहरे पर एक अलग ही सुकून लौट आया। मानो भीतर से कोई बोझ उतर गया हो।'

क्या कहते हैं आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक

सुदीप शर्मा (भारत, आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक)

का कहना है कि 'जब हमने सैनिकों के साथ श्वास तकनीक और ध्यान सत्र शुरू किए, तो कई सैनिकों के चेहरे पर पहली बार सुकून दिखा। उनकी पीड़ा और तनाव धीरे-धीरे कम होने लगा। हमें महसूस हुआ कि योग और ध्यान केवल शरीर ही नहीं बल्कि आत्मा को भी राहत देते हैं।'

ओल्गा पेत्रोवा (यूक्रेन, आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक)

का कहना है कि 'इन सैनिकों ने युद्ध में शारीरिक दर्द, मानसिक आघात और भावनात्मक टूटन बहुत कुछ सहा है। पर जब उन्होंने 'सुदर्शन क्रिया' सीखी, तो उनमें जीवन के प्रति एक नई ऊर्जा जागी। उन्होंने कहा कि अब उन्हें नींद आ रही है और तनाव कम हुआ है।'

क्या कहते हैं यूक्रेन के घायल सैनिक

मायकोला इवानेंको (घायल सैनिक, यूक्रेन)

'मैं महीनों से रात को सो नहीं पा रहा था। हर पल गोलियों और धमाकों की आवाजें याद आती थीं। लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के सेशंस के बाद पहली बार चैन की नींद आई। मुझे लगा कि मैं फिर से सामान्य इंसान बन रहा हूं।'

अंद्रेई शेवचेंको (घायल सैनिक, यूक्रेन)

'मेरे शरीर के घाव धीरे-धीरे भर रहे थे, पर मेरा मन घायल था। योग और ध्यान ने मेरे भीतर शांति पैदा की। अब मैं भविष्य को लेकर आशावान हूं। यह मेरे लिए किसी दवा से कम नहीं।'

यूरी मेलनिक (घायल सैनिक, यूक्रेन)

'शुरुआत में मुझे लगा कि यह सब मेरे लिए नहीं है। पर जब मैंने गहरी सांस लेकर ध्यान किया, तो दर्द और गुस्सा कम होने लगा। अब मैं महसूस करता हूं कि मेरे पास जीने का कारण है।'

नेतृत्व में भी आया बदलाव

सिर्फ़ सैनिक ही नहीं, बल्कि सैन्य नेतृत्व ने भी इन कार्यक्रमों का असर महसूस किया। अधिकारियों ने माना कि इन तकनीकों ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में शांत रहकर सही निर्णय लेने की ताकत दी। उन्होंने इसे मिशनों की सफलता और जीवन की रक्षा का अहम कारण बताया।

सेवा नहीं, बल्कि इंसानियत का कर्तव्य निभा रही ये संस्था


2022 से अब तक आर्ट ऑफ लिविंग ने 8,000 से अधिक सैनिकों, विस्थापित नागरिकों और बच्चों तक पहुंच बनाई है। प्रशिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर उन इलाक़ों तक जाते हैं जहां सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। उनके लिए यह सिर्फ़ सेवा नहीं, बल्कि इंसानियत का कर्तव्य है।

इस संस्था के स्वयंसेवकों का कहना हैं कि उनका सहारा बनना, जो सबसे कठिन समय से गुजर रहे हैं, हमारे लिए सौभाग्य की बात है।'

भले ही यूक्रेन में यह काम नया है, लेकिन दुनिया के कई युद्धग्रस्त क्षेत्रों में आर्ट ऑफ लिविंग पहले भी यही भूमिका निभा चुका है। चाहे वह कोसोवो हो, इराक या कोलंबिया। इन जगहों पर भी ट्रॉमा-राहत कार्यक्रमों ने हजारों लोगों को नई उम्मीद दी हैं।

उम्मीद की लौ जला रहा श्री श्री रवि शंकर का संदेश

'शांति का मतलब सिर्फ़ संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि करुणा की उपस्थिति है।' श्री श्री रवि शंकर का यह करुणामई संदेश आज यूक्रेन के सबसे संघर्ष के समय में लोगों के बीच उम्मीद की लौ जला रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने लाखों जीवन उजाड़े, लेकिन इसी युद्धभूमि में आर्ट ऑफ लिविंग ने शांति और आशा और करुणा का बीज बोकर यह संदेश दिया है कि, हथियार कभी स्थायी समाधान नहीं बन सकते। असली ताक़त करुणा, समझ और भीतर की शांति में है।

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