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ताबड़तोड़ हमले से दहला Kyiv, NATO की बैठक से ठीक पहले रूस ने कीव पर बरसाया कहर, 12 साल का बच्चा भी हुआ घायल
Russia attacks Kyiv: NATO बैठक से ठीक पहले रूस ने कीव पर भयानक ड्रोन और मिसाइल हमला किया, जिसमें 12 साल का बच्चा भी घायल हुआ। इस हमले ने यूक्रेन युद्ध को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।
Russia attacks Kyiv: सोमवार की रात यूक्रेन की राजधानी कीव उस वक्त दहल उठी, जब आसमान में तेज़ रफ्तार से उड़ते रूसी ड्रोन और मिसाइलों की बारिश होने लगी। न केवल धमाकों की आवाज़ें दूर-दूर तक गूंजीं, बल्कि इस हमले ने एक बार फिर यूक्रेन की एयर डिफेंस की सीमाएं भी उजागर कर दीं। लेकिन इस बार ये कोई आम हमला नहीं था। ये हमला ठीक उस समय हुआ जब ब्रिटेन और जर्मनी मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अध्यक्षता में एक बड़ी NATO बैठक आयोजित कर रहे थे , जहां यूक्रेन को और हथियार देने की योजना पर चर्चा होनी थी। इस हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। वोलोदिमिर जेलेंस्की की आंखों में डर था, लेकिन जुबान पर अब भी जंग का जज्बा। उन्होंने बताया कि इस हमले में 2 लोगों की मौत हुई है और 15 लोग घायल हुए हैं, जिनमें एक मासूम 12 साल का बच्चा भी शामिल है। ये महज़ आंकड़े नहीं थे, बल्कि रूस के उस गुस्से की गूंज थी, जो अब धीरे-धीरे परमाणु युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है।
डिजिटल बैठक से पहले डिजिटल तबाही?
यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप की ये बैठक पूरी तरह वर्चुअल है, लेकिन रूस ने इससे पहले ही अपने वर्चुअल युद्ध की झलक दिखा दी। ब्रिटिश रक्षा मंत्री जॉन हीली, जर्मन समकक्ष बोरिस पिस्तोरियस, अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और नाटो के यूरोपीय कमांडर एलेक्सस ग्रिंकविच , सभी इस बैठक में शामिल हैं। मकसद था रूस को रोकने का रोडमैप बनाना, लेकिन रूस ने दिखा दिया कि उसका अगला हमला सिर्फ मीटिंग्स से नहीं रुकेगा। ड्रोन, जो कभी केवल निगरानी के लिए इस्तेमाल होते थे, अब रूस की सबसे खतरनाक नॉन-ह्यूमन सेना बन चुके हैं। यूक्रेनी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, रूस ने हाल के महीनों में अपने घरेलू ड्रोन उत्पादन को 3 गुना तक बढ़ा लिया है , और यह हमला उसी ताकत का नतीजा था।
ट्रंप का अल्टीमेटम: 50 दिन की मोहलत या तबाही?
बीते हफ्ते ट्रंप ने रूस को अल्टीमेटम दिया था , या तो युद्धविराम के लिए तैयार हो जाओ या अमेरिका के आख़िरी प्रतिबंधों का सामना करो। ट्रंप के इस बयान के बाद ऐसा माना जा रहा था कि पुतिन बैकफुट पर आ सकते हैं, लेकिन इस हमले ने बता दिया कि रूस फिलहाल पीछे हटने के मूड में बिल्कुल नहीं है। और सबसे दिलचस्प बात ये है कि आने वाले सितंबर में ट्रंप और पुतिन दोनों बीजिंग में दूसरी विश्व युद्ध की समाप्ति की वर्षगांठ के आयोजन में शरीक हो सकते हैं। क्रेमलिन ने दोनों नेताओं के बीच संभावित मुलाकात की बात से इनकार नहीं किया है। क्या यही वो मोमेंट होगा जहां यूक्रेन युद्ध को एक मोड़ मिल सकता है? या फिर ये मीटिंग सिर्फ एक और डिप्लोमैटिक ड्रामा बनकर रह जाएगी?
रूस की रणनीति में अचानक आया तेज़ बदलाव
पिछले कुछ महीनों में रूस का रुख कहीं ज्यादा आक्रामक हो गया है। जहां पहले वह सीमावर्ती इलाकों को टारगेट करता था, अब कीव जैसे मुख्य शहर भी उसकी हिट लिस्ट में हैं। और इस बार का हमला सिर्फ एक जवाब नहीं था, यह एक संदेश था , एक भयानक चेतावनी। विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन अब कॉन्ट्रोल थ्रू केऑस की नीति पर चल रहे हैं , यानी अराजकता के ज़रिए अपना प्रभुत्व बनाना। और ऐसे में यूक्रेन की तरफ से जितनी अधिक पश्चिमी सहायता आएगी, उतना ही रूसी हमलों की तीव्रता बढ़ेगी।
तीसरे विश्व युद्ध की गूंज या आखिरी मौका?
एक तरफ NATO अपने सहयोगी देशों के साथ नई सैन्य सहायता की योजना बना रहा है, दूसरी तरफ रूस अब किसी भी चेतावनी से परे जाकर तबाही की राह पर बढ़ चुका है। ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल, और साइबर अटैक , ये सब अब रूस की सैन्य भाषा के नए शब्द बन चुके हैं। यूक्रेन के ऊपर मंडरा रहा यह युद्ध अब दो देशों के बीच नहीं रह गया है। ये अमेरिका बनाम रूस, पश्चिम बनाम पूर्व और लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद का संघर्ष बनता जा रहा है। और अगर इसी रफ्तार से चीजें आगे बढ़ती रहीं, तो बहुत मुमकिन है कि अगली मिसाइल कहीं कीव नहीं बल्कि बर्लिन या लंदन की तरफ हो।
नतीजा क्या निकलेगा? कोई नहीं जानता
इस वक्त दुनिया की सांसें अटकी हुई हैं। क्या ट्रंप और पुतिन की मीटिंग शांति का रास्ता खोलेगी या महायुद्ध का दरवाज़ा? क्या NATO रूस को रोक पाएगा या रूस ही NATO की परख करेगा? इतना तय है कि रूस ने अब युद्ध को एक नया मोड़ दे दिया है , और यह मोड़ सीधा इतिहास की सबसे खतरनाक गली की तरफ जाता दिख रहा है।
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