अब ये देश फिर से खतरनाक हो गया है! "अब हम रुसी सैनिकों को मारने के लिए तैयार है", जर्मनी की चेतावनी से बौखलाया रूस

Germany Warned Russia: जर्मनी ने रूस को दी कड़ी चेतावनी—"हम रूसी सैनिकों को मारने के लिए तैयार हैं"। टाइफॉन मिसाइल की मांग और सैन्य तैयारियों के साथ जर्मनी फिर से बना रूस के लिए खतरा। क्या यूरोप एक और युद्ध की ओर बढ़ रहा है?

Harsh Srivastava
Published on: 15 July 2025 7:42 PM IST
अब ये देश फिर से खतरनाक हो गया है! अब हम रुसी सैनिकों को मारने के लिए तैयार है, जर्मनी की चेतावनी से बौखलाया रूस
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Germany Warned Russia: जब दुनिया की निगाहें रूस-यूक्रेन युद्ध पर टिकी थीं, तब यूरोप के पश्चिम में चुपचाप एक और बारूद जमा हो रहा था। और अब वह फटने को है। जर्मनी, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांति की मुद्रा में था, अब फिर से "युद्ध के लिए तैयार राष्ट्र" की छवि ओढ़ रहा है। और ये बदलाव केवल शब्दों में नहीं, बल्कि हथियारों, रणनीति और इरादों में दिख रहा है। बर्लिन से आई वो एक बयान, जिसने क्रेमलिन की नींद उड़ा दी,जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने दो टूक कहा “अगर रूस हमला करता है, तो जर्मन सैनिक रूसी सैनिकों को मार देंगे।” यह कोई युद्ध घोषणा नहीं, पर उससे कम भी नहीं है। और यही वजह है कि क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी खुलकर कह दिया, "जर्मनी अब फिर से खतरनाक हो गया है!"

मॉस्को तक पहुंचने वाली मिसाइलें?,जर्मनी ने अमेरिका से मांगा टाइफॉन सिस्टम

इस बयानबाज़ी के साथ ही अब हथियारों की राजनीति खुलकर सामने आ चुकी है। जर्मनी ने सीधे अमेरिका से टाइफॉन मिसाइल सिस्टम की मांग की है। यह कोई साधारण हथियार नहीं,इसकी मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक है और यह टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलों तथा SM-6 मल्टीरोल मिसाइलों को दाग सकता है। यानी जर्मनी की ज़मीन से सीधे मॉस्को पर निशाना साधा जा सकता है। क्या ये सिर्फ सुरक्षा के लिए है? या रूस को दबाने की खुली तैयारी? रूस के लिए यह हर लिहाज से "रेड अलर्ट" है। "हम किसी को डराना नहीं चाहते... लेकिन कमजोर भी नहीं!",जर्मनी ने दिखाई सैन्य मांसपेशियां बोरिस पिस्टोरियस का बयान भले ही आक्रामक था, लेकिन उसमें जो रणनीतिक संदेश छुपा है, वह ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा, “हम किसी को डराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह मत समझिए कि हम अपनी रक्षा नहीं कर सकते।” यानी यह सीधा इशारा है कि जर्मनी अब परंपरागत रक्षा नीति से बाहर निकल रहा है। अब जर्मनी सिर्फ एक ‘नाटो सहयोगी’ नहीं, बल्कि "आक्रामक रक्षा रणनीति" वाला राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने भी साफ कर दिया है कि उनका लक्ष्य जर्मनी को यूरोप की सबसे बड़ी सैन्य ताकत बनाना है।

क्रेमलिन की बेचैनी,‘फिर से वही इतिहास दोहराएगा क्या जर्मनी?’

रूस के लिए यह सिर्फ कूटनीतिक संकट नहीं, बल्कि ऐतिहासिक असुरक्षा का विस्फोट है। दिमित्री पेस्कोव का बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि "जर्मनी अब फिर से खतरनाक होता जा रहा है," दरअसल रूस की उस सदियों पुरानी चेतावनी को दोहरा रहा है जो हिटलर युग में देखी गई थी। क्रेमलिन को लगता है कि जर्मनी अब उसी राह पर चल रहा है, जहां से यूरोप को दो बार विश्व युद्ध में धकेला गया था। और इस बार वह हथियार अकेले नहीं, बल्कि नाटो की छत्रछाया और अमेरिकी मिसाइलों के साथ उठाने जा रहा है।

नाटो देशों का नया गेमप्लान,रूस को बनाया जा रहा 'डरावना राक्षस'

क्रेमलिन का कहना है कि नाटो जानबूझकर रूस को 'दुश्मन नंबर-1' बना रहा है ताकि सदस्य देश अपना रक्षा बजट बढ़ा सकें और सैन्य विस्तार को सही ठहरा सकें। पेस्कोव ने कहा, “नाटो अपने GDP का 5% सैन्य खर्च में झोंक रहा है और इसके लिए रूस को मॉन्स्टर की तरह पेश किया जा रहा है।” क्या यह सच है? या फिर जर्मनी अब सचमुच रूस से खतरा महसूस कर रहा है?

गैस, व्यापार और अब बारूद,रूस-जर्मनी के टूटे रिश्ते की पूरी तस्वीर

कभी जर्मनी रूस की गैस का सबसे बड़ा ग्राहक था। दोनों देशों के बीच व्यापार के पुल थे। लेकिन यूक्रेन युद्ध ने सब बदल दिया। जर्मनी अब रूस के खिलाफ खुलकर खड़ा है। फिनलैंड, पोलैंड और बाल्टिक देशों की सुरक्षा के लिए उसने अपने सैनिक तैनात किए हैं, जिससे रूस को लगा कि उसकी चौहद्दी में सैन्य घेरा कस रहा है। अब जब जर्मनी के सैनिक रूसी सैनिकों को मारने की बात कर रहे हैं, तो जाहिर है कि ये कोई राजनयिक मतभेद नहीं,ये भविष्य की जंग की पूर्व सूचना है।

अंत की शुरुआत? यूरोप फिर से जंग के मुहाने पर

रूस पहले से ही यूक्रेन में युद्ध में उलझा है। पश्चिमी देश लगातार हथियार, फंड और समर्थन से यूक्रेन को मज़बूत कर रहे हैं। और अब जर्मनी जैसे देश खुलकर रूसी सैनिकों के खिलाफ बोलने लगे हैं। क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका है? क्या यूरोप की धरती फिर से बारूद का मैदान बनने जा रही है? ये सवाल अब कल्पना नहीं रहे,ये निकट भविष्य की संभावनाएं बन चुके हैं। और जब अगली बार कोई टाइफॉन मिसाइल बर्लिन से दागी जाएगी, तो शायद उसका निशाना सिर्फ मॉस्को नहीं… बल्कि पूरी दुनिया की शांति होगी।

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