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अजरबैजान की आयी शामत! पुतिन को दिखा रहा था आंख, 24 घंटे में टूट गया सारा गुरूर
Russia Azerbaijan conflict: कुछ दिन पहले तक अजरबैजान की राजधानी बाकू में एक अलग ही कहानी लिखी जा रही थी। रूस के दो पत्रकारों को अरेस्ट कर जेल में डाल दिया गया, और चार रूसी नागरिकों को ड्रग्स केस में घुटनों के बल कोर्ट लाया गया।
Russia Azerbaijan conflict: रूस और अजरबैजान के बीच उठता धुआं अब बारूद की शक्ल ले चुका है। जो देश कल तक दोस्ती की बातें करते थे, आज उनके बीच जंग जैसी खामोशी और खौफ तारी है। इस बार कोई राजनयिक बयान नहीं, कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं... सीधा जवाब आया रूस की खुफिया एजेंसी FSB के छापे में! 24 घंटे के अंदर रूस ने अजरबैजान को ऐसा सबक सिखाया है कि बाकू तक थर्राया हुआ है। कुछ दिन पहले तक अजरबैजान की राजधानी बाकू में एक अलग ही कहानी लिखी जा रही थी। रूस के दो पत्रकारों को अरेस्ट कर जेल में डाल दिया गया, और चार रूसी नागरिकों को ड्रग्स केस में घुटनों के बल कोर्ट लाया गया। ये वही तस्वीरें थीं जिन पर रूस ने पहले खामोशी ओढ़ ली, लेकिन अब... अब जवाब गोलियों से नहीं, बल्कि अदालती हथकड़ियों से दिया गया है।
येकातेरिनबर्ग में गूंजा बदले का बिगुल
रूस के येकातेरिनबर्ग शहर में एक सन्नाटा फैला हुआ है, लेकिन अदालतों में जो दस्तावेज जमा हैं, उनमें दहाड़ छुपी हुई है। लेनिन्स्की जिला अदालत ने अजरबैजान के नागरिक कमर सफारोव को नजरबंद कर दिया है। ये महज एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि संदेश है कि रूस किसी भी कीमत पर अपमान नहीं सहेगा। 19 जुलाई तक कमर नजरबंदी में रहेगा, लेकिन असली डर बाकू में फैल रहा है – अगला नंबर किसका? FSB और पुलिस ने मिलकर एक चौंकाने वाला ऑपरेशन अंजाम दिया – 50 अजरबैजानी नागरिक हिरासत में, 9 को गिरफ्तार किया गया, और उनमें से दो – जियायुद्दीन और हुसेन सफारोव – की मौत हो गई। उनके शवों पर गहरे जख्म मिले, जिससे अजरबैजान में हड़कंप मच गया। लेकिन रूस ने एक शब्द नहीं कहा, क्योंकि पुतिन का संदेश साफ था – “हमारी जमीन पर तुम्हारी हर हरकत का जवाब मिलेगा... और वो भी ऐसा कि याद रह जाए!”
नस्लीय जंग या राजनीतिक बदला?
अजरबैजान ने खुलकर कहा है कि ये कोई आपराधिक मामला नहीं, बल्कि रूस द्वारा सुनियोजित नस्लीय टारगेटिंग है। बाकू में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं, लेकिन पुतिन की तरफ से कोई बयान नहीं आया – सिर्फ कार्रवाई। यही रूस की कूटनीति है – बोलते कम हैं, लेकिन जब बोलते हैं तो दुनिया हिल जाती है। अजरबैजान के विदेश मंत्रालय ने रूस पर यह भी आरोप लगाया है कि हिरासत में मौतें किसी अदालती गलती नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई हत्याएं हैं। और जब पुतिन पर आरोप लगे, तो समझिए तूफान आने ही वाला है।
आर्मेनिया-तुर्की-यूक्रेन: किसकी दोस्ती पड़ी भारी?
पिछले कुछ महीनों में अजरबैजान ने रूस को बार-बार चिढ़ाने वाले कदम उठाए – पहले आर्मेनिया से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, फिर तुर्की के साथ सैन्य समझौते पर दस्तखत किए और अब यूक्रेन की खुलकर मदद कर रहा है। रूस, जो आर्मेनिया का पारंपरिक समर्थक है, इस नई दोस्ती से भड़का हुआ था। अब लगता है, पुतिन ने अजरबैजान की हर हरकत का हिसाब एक झटके में बराबर कर दिया है। यह कोई राजनयिक बयानबाजी नहीं, बल्कि “रूसी अंदाज में बदला” है – कानूनी गिरफ्तारी, खुफिया ऑपरेशन और खामोश सर्जिकल स्ट्राइक।
बाकू में डर, मॉस्को में तैयारी
अब अजरबैजान को समझ आ गया है कि रूस के साथ मजाक करना कोई हल्की बात नहीं। बाकू की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब खुद अपने नागरिकों को चेतावनी दे रही हैं कि रूस के खिलाफ किसी भी बयान या प्रदर्शन से बचें। वहीं रूस ने अपने देश में रह रहे अजरबैजानी प्रवासियों पर पैनी नजर रखना शुरू कर दी है। रूस के जेलों में बंद अजरबैजानी नागरिकों की गवाही आने लगी है – यातनाएं, भूखा रखा जाना, और नस्लीय गालियां। ये कोई अफवाह नहीं, बल्कि वही हकीकत है जो कभी स्टालिन के दौर में आम थी और अब फिर लौटती दिख रही है।
अब क्या होगा? क्या युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं दोनों देश?
रूस और अजरबैजान के बीच जो टकराव चल रहा है, वो किसी सीमांत युद्ध की तरह नहीं दिखता। ये एक "छुपा हुआ हाइब्रिड वॉर" है – जिसमें हथियार नहीं, पासपोर्ट और पहचानपत्र सबसे खतरनाक हथियार बन गए हैं। रूस अब एक-एक कर अजरबैजान के उन लोगों को टारगेट कर रहा है जो कभी उसके दोस्त माने जाते थे। वहीं अजरबैजान भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस को घेरने की तैयारी में जुट गया है। अमेरिका, यूरोप और नाटो से उसे समर्थन की उम्मीद है, लेकिन क्या पुतिन को कोई रोक पाया है?
अंतिम चेतावनी या युद्ध की शुरुआत?
सवाल यही है – क्या ये पुतिन की तरफ से अंतिम चेतावनी थी, या अजरबैजान के लिए शुरू हुआ एक ऐसा खेल, जिसमें हर चाल उसकी बर्बादी की ओर ले जाएगी? जिस तरह रूस ने बिना किसी बड़े ऐलान के अंदरूनी सफाई शुरू कर दी है, वह बताता है कि अब पुतिन हर दुश्मन को उसकी ही भाषा में जवाब देने के मूड में हैं और इस बार… निशाना बना है अजरबैजान।
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