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ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग में हो रहा बप्पा का आगमन, गणेश पूजा में नियमों की न करें अनदेखी, जानें पूज-विधि
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi in Hindi :इस बार कई संयोग के साथ मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी । इस दिन इन बातों का जरूर रखें ध्यान, गणेश जी की पूजा से जुड़े नियमों के पालन में नहीं करें गलती...
Ganesh Chaturthi Grah nakshtra: गणपति बप्पा को आने में कुछ दिन शेष रह गए है।गणेशोत्सव की तैयारी भी जोरो पर है। धर्मानुसार पहले भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि गणपति की पूजा करने से कार्य में बाधा नहीं आती है और शुभ और लाभ मिलता है। इस साल गणेश चतुर्थी पर्व इस साल 27 सितंबर 2025 को होगा इसी दिन से गणेशोत्सव शुरु होगा।। इस दिन बुधवार है जो गणपति की पूजा के लिए सबसे उत्तम है। गणेश चतुर्थी की पूजा में नियम जरूरी है इसके बिना पूजा अधूरी रह जाती है।
मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी कहते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना कर उनकी पूजा से आरंभ होता है और लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है।
गणेश उत्सव के नियम
गणेशजी को प्रसन्न करना है तो गणेशजी का घर में मंगल प्रवेश होना चाहिए। गणेशजी के आगमन के पहले घर और द्वार को सजाया जाता है । जहां उन्हें स्थापित किया जाएगा उस जगह की सफाई करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं। फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखकर उस पर पीला, लाल या केसरिया वस्त्र बिछाएं।
मतलब यह कि स्थापित करने वाली जगह को पहले से ही सजाकर रखें, जहां पर पूजा और आरती का सामान भी पहले से ही रखा हो। बाजार जाने से पहले नवीन वस्त्र धारण करें, सिर पर टोपी या साफा बांधें, रुमाल भी रखें। पीतल या तांबे की थाली साथ में ले जाएं नहीं तो लकड़ी का पाट ले जाएं, जिस पर गणेशजी विराजमान होकर घर में पधारेंगे। इसके साथ ही घंटी और मंजीरा भी ले जाएं। बाजार जाकर जो भी गणेशजी पसंद आए उसका मोलभाव न करें उसे आगमन के लिए निमंत्रित करके दक्षिणा दे दें। गणेशजी की प्रतिमा को धूम-धाम से घर के द्वारा पर लाएं। वार पर ही उनकी आरती उतारें। मंगल गीत गाएं या शुभ मंत्र बोलें।
गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग
इस साल गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग बना हुआ है, जो पर्व की महत्ता कई गुना बढ़ा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक गणेश चतुर्थी पर प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि , रवि योग और इंद्र-ब्रह्म योग बना हुआ है। इसके अलावा कर्क में ग्रहों के राजकुमार बुध और विलासिता के कारक शुक्र के होने से लक्ष्मी नारायण योग बना हुआ है। वहीं इस तिथि पर बुधवार का महासंयोग होने से यह दिन कुछ राशि वालों के लिए बेहद कल्याणकारी साबित हो सकता है। इन जातकों को व्यापार में मनचाहा लाभ मिल सकता है। गणपति उत्सव तुला, मकर कुंभ राशियों के लिए शुभ रहेगा।
गणेश उत्सव में न करें कोई गलती
गणपति की मूर्ति खरीदते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि वह खंडित न हो। गणपति की पूजा के लिए बैठी हुई प्रतिमा शुभ मानी जाती है। इसी प्रकार गणपति की दायीं तरफ मुड़ी सूंड वाली प्रतिमा अत्यंत ही शुभ मानी गई है। मान्यता है कि बप्पा की ऐसी मूर्ति सुख-सौभाग्य प्रदान करते हुए सभी मनाेकामनाओं को पूरा करने वाली होती है।
घर में कभी भी गणपति की दो मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। इसी प्रकार गणपति की मूर्ति को ईशान कोण में कुछ इस तरह से रखना चाहिए कि पूजा करते समय उनकी पीठ भूलकर भी नहीं दिखाई पड़े।
गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी उनकी सवारी माने जाने वाले चूहों को न तो सताना चाहिए और न ही मारना चाहिए।
गणपति की पूजा में आशीर्वाद पाने के लिए लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए।कभी भूलकर भी काले या नीले रंग के वस्त्र पहनकर नहीं करनी चाहिए।
गणेश जी की पूजा में हमेशा उनकी मनपसंद चीजों का ही भोग लगाना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि भोग में भूलकर भी तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी की पूजा और व्रत हमेशा तन और मन से पवित्र होकर करना चाहिए। इस पावन तिथि पर न तो किसी के लिए मन में बुरे ख्याल लाएं और न ही किसी से झूठ बोलें।
गणेश चतुर्थी के व्रत करने वाले को ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए ।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को सिर्फ सात्विक फलाहार करना चाहिए और इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन बातों का ध्यान रखकर गणेश जी का आगमन करें , हमेशा आशीर्वाद बना रहेगा।
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