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कांप उठा बिहार! अंधविश्वास में पागल गांव वालों ने एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाया

Bihar Purnia village family burned alive: बिहार के पूर्णिया जिले के टेटागामा गांव में जो हुआ, उसे सुनकर दिल दहल उठता है। तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक और अंधविश्वास के नाम पर एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई।

Harsh Srivastava
Published on: 7 July 2025 6:28 PM IST (Updated on: 7 July 2025 7:14 PM IST)
कांप उठा बिहार! अंधविश्वास में पागल गांव वालों ने एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाया
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Bihar Purnia village family burned alive: एक पूरे परिवार की सामूहिक हत्या और फिर उनके शवों को जलाकर राख कर देना – ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, हकीकत है। और सबसे खौफनाक पहलू यह है कि इस नरसंहार में पूरा गांव शामिल बताया जा रहा है। बिहार के पूर्णिया जिले के टेटागामा गांव में जो हुआ, उसे सुनकर दिल दहल उठता है। तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक और अंधविश्वास के नाम पर एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। यही नहीं, हत्यारों ने शवों को जला कर सबूत भी मिटाने की कोशिश की। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज के उस काले चेहरे को भी उजागर करती है, जो आज भी 21वीं सदी में अंधविश्वास की आग में इंसानियत को भस्म कर रहा है।

पूरा गांव बना 'कातिल'

मृतक बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, मां मो कातो, बहू रानी देवी और बेटा मनजीत कुमार – ये पांचों अब इस दुनिया में नहीं हैं। किसने मारा? क्यों मारा? जवाब चौंकाने वाला है – "पूरा गांव शामिल था।" परिजनों ने आरोप लगाया है कि गांव के कुछ लोगों ने इन पर "टोना-टोटका और बुरी आत्माओं का साया" होने का आरोप लगाया था। और फिर पंचायत जैसा फैसला लेते हुए इनकी हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, उरांव जाति के ही लोगों ने इस तांत्रिक शक के चलते पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। ऐसा भी बताया जा रहा है कि गांव में वर्षों से चले आ रहे अंधविश्वास के नाम पर पहले भी झगड़े होते रहे हैं।

शवों को जलाया, राख में बदल दिया गया सच!

सबसे डरावनी बात यह है कि हत्या के बाद शवों को जला दिया गया, ताकि कोई सबूत न बचे। घटना सामने तब आई, जब मृतकों के एक रिश्तेदार ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने डॉग स्क्वायड और एफएसएल की टीम को बुलाया, जिसके बाद गांव के अलग-अलग हिस्सों से चार शवों के अवशेष बरामद हुए। हालांकि, अभी एक शव की तलाश जारी है। एसपी स्वीटी सहरावत खुद मौके पर पहुंचीं और बताया कि अब तक तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, और पूरे गांव से पूछताछ की जा रही है।

गांव की खामोशी बन रही जांच में दीवार

गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है, कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं। मानो पूरा गांव किसी गहरे भय या अपराधबोध में डूबा हो। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ ग्रामीण अब भी साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। जांच में जो बातें सामने आई हैं, वो बेहद झकझोर देने वाली हैं। बताया जा रहा है कि गांव में एक तांत्रिक महिला का प्रभाव है, जिसने दावा किया था कि बाबूलाल का परिवार "बुरी आत्माओं को बुला रहा है", जिससे गांव में बीमारी और मौतें बढ़ रही हैं। बस फिर क्या था, संपूर्ण गांव ने "शुद्धिकरण" के नाम पर नरसंहार का फैसला ले लिया।

न्याय मिलेगा या फिर खामोशी की चादर में दफन हो जाएगा ये मामला?

पूर्णिया पुलिस भले ही स्पेशल टीम और हिरासत की बात कर रही हो, लेकिन सवाल ये है कि जब पूरा गांव एक राय से हत्या करता है, तो क्या कोई गवाह बचेगा? क्या सबूतों की राख से इंसाफ निकलेगा? ये मामला न सिर्फ बिहार पुलिस के लिए, बल्कि मानवाधिकार संगठनों और पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्या 5 निर्दोषों की बलि चढ़ने के बाद भी कानून अपना काम करेगा, या एक बार फिर अंधविश्वास का तांडव बेदाग बच निकल जाएगा? इस सवाल का जवाब आने वाला वक्त देगा, लेकिन फिलहाल टेटागामा गांव देशभर में उस कलंक की तरह उभर चुका है, जहां इंसानियत को तंत्र-मंत्र के नाम पर जिन्दा जला दिया गया।

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Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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