ओवैसी के 'गढ़' में तेजस्वी हल्लाबोल, बिहार चुनाव में RJD का मास्टरस्ट्रोक, वक्फ बिल पर किया बड़ा ऐलान

तेजस्वी यादव ने वक्फ बिल पर बड़ा बयान देकर सीमांचल में मुस्लिम वोटरों को साधने की रणनीति अपनाई है। यह कदम ओवैसी की चुनौती को कमजोर करने और बिहार चुनाव में आरजेडी के वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।

Harsh Srivastava
Published on: 27 Oct 2025 5:43 PM IST
ओवैसी के गढ़ में तेजस्वी हल्लाबोल, बिहार चुनाव में RJD का मास्टरस्ट्रोक, वक्फ बिल पर किया बड़ा ऐलान
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Tejashwi Yadav on Waqf Bill: बिहार की सियासत में इन दिनों राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के एक बयान की खूब चर्चा है, जिसने राज्य के राजनीतिक पारे को चरम पर पहुंचा दिया है। तेजस्वी यादव ने सीमांचल के किशनगंज में दिए गए अपने हालिया बयान में साफ शब्दों में कहा, "अगर हमें मौका मिला तो वक्फ बोर्ड वाला कानून फाड़ देंगे।" यह एक लाइन जैसे ही सामने आई, एनडीए खेमे में बवंडर मच गया। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई, और विपक्ष ने तुरंत तेजस्वी पर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप जड़ दिया। लेकिन सवाल यह है कि तेजस्वी यादव ने आखिर यह विस्फोटक बयान क्यों दिया? क्या यह सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया थी, या इसके पीछे सोची-समझी चुनावी चाल छिपी है? राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यह बयान केवल वक्फ कानून तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीमांचल के संवेदनशील सियासी समीकरणों को साधने की एक बड़ी कोशिश है, जहां मुस्लिम वोटों की गोलबंदी आरजेडी के लिए जीवनरेखा है।

मुस्लिम वोटों की गोलबंदी की 'मास्टरस्ट्रोक'

तेजस्वी यादव इस समय दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं: पहला, मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (AIMIM) की तरफ जा रहा है; और दूसरा, यादव-मुस्लिम समीकरण (MY) में मुस्लिम समाज की पुरानी पकड़ को फिर से मजबूत करना। सीमांचल और किशनगंज जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी की बढ़ती सक्रियता ने RJD की नींद उड़ा दी है। पिछले कुछ चुनावों में AIMIM ने यहां RJD और कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाई है, जिससे कई सीटों पर महागठबंधन को नुकसान हुआ है। ऐसे में, तेजस्वी का यह आक्रामक बयान दरअसल उन 'साइलेंट मुस्लिम वोटर' को एक्टिव करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जो निराशा के चलते बूथ तक नहीं आ रहे हैं। राजनीति में अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई वर्ग ठंडा पड़ जाता है, तो उसे एकजुट करने और जोश भरने के लिए एक भावनात्मक मुद्दा जरूरी होता है। तेजस्वी की यह टिप्पणी उसी सियासी शोल की तरह है, जिससे सीमांचल के मतदाताओं में जोश लौटे और बूथों पर ज्यादा से ज्यादा वोटिंग हो, ताकि ओवैसी की पकड़ को कमजोर किया जा सके।

RJD की 'विडंबना': सत्ता में हिस्सेदारी का सवाल

RJD की राजनीति की नींव हमेशा से यादव-मुस्लिम समीकरण पर टिकी रही है, मगर मुस्लिम समाज में यह शिकायत लंबे समय से रही है कि उन्हें सत्ता या टिकट में बराबर की हिस्सेदारी नहीं मिलती। सीमांचल को छोड़कर, कई मुस्लिम बहुल सीटों पर RJD ने अक्सर यादव या गैर-मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। सत्ता में आने पर मंत्रालयों की बंटवारी में भी यही पैटर्न दिखाई देता है। यही कारण है कि इस बार मुस्लिम मतदाता पहले जितने मुखर नहीं दिख रहे हैं, जिसे RJD के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। तेजस्वी का वक्फ कानून फाड़ने का बयान इस समुदाय को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि RJD उनके हितों के लिए आक्रामक रूप से खड़ी है।

ओवैसी की 'घेराबंदी' और चुनावी असर

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में लगातार सक्रिय हैं और उनकी सभाओं में भीड़ भी जुट रही है। RJD को डर है कि अगर मुस्लिम वोटों में 5 से 10% का भी खिसकाव हुआ, तो कई सीटों पर न केवल जीत का समीकरण बिगड़ेगा, बल्कि NDA को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल सकता है। ऐसे में, तेजस्वी यादव का वक्फ बिल वाला बयान उनके लिए सियासी अलार्म बेल बजाने जैसा है, जिससे ओवैसी की पकड़ कमजोर की जा सके और मुस्लिम वोट किसी भी सूरत में बिखरें नहीं। यह एक सीधा धार्मिक अपील है, जो मतदाताओं को भावनात्मक रूप से एकजुट करने का काम करती है। हालांकि, सियासत में ऐसे भावनात्मक बयान तात्कालिक जोश तो पैदा कर सकते हैं, लेकिन लंबे समय में इनका असर सीमित रहता है। अब देखना यह है कि तेजस्वी यादव का यह भावनात्मक दांव सीमांचल के मैदान में वोटों में तब्दील होता है, या केवल चुनावी बयानबाजी बनकर रह जाता है। इस बयान ने बिहार की राजनीति में ध्रुवीकरण की लकीर को और गहरा कर दिया है।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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