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Don't Skip Your SIP: SIP इंस्टॉलमेंट को स्किप करने की गलती क्यों नहीं करनी चाहिए? जानिए 5 बड़े कारण
Never Skip Your SIP : SIP एक आदत है, एक फाइनेंशियल अनुशासन है, जिसे तोड़ने का मतलब है अपने भविष्य से समझौता करना।
Never Skip Your SIP (Image Credit-Social Media)
Don't Skip Your SIP: आज के समय में म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश का सबसे आसान और अनुशासित तरीका है - SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान। बहुत से लोग हर महीने छोटी-छोटी रकम निवेश करके अपने बड़े-बड़े सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। लेकिन कई बार अचानक खर्च बढ़ने या आराम की चाह में हम सोचते हैं - "इस महीने SIP स्किप कर लेते हैं, क्या फर्क पड़ेगा?"
असलियत में, यही "छोटा फर्क" आगे चलकर बड़ा नुकसान बन सकता है। SIP एक आदत है, एक फाइनेंशियल अनुशासन है, जिसे तोड़ने का मतलब है अपने भविष्य से समझौता करना। आइए जानते हैं, SIP की एक किस्त न भरने से कौन-से 5 बड़े नुकसान होते हैं।
एक SIP छोड़ने का मतलब ₹5,000 नहीं, बल्कि ₹5 लाख का नुकसान
मान लीजिए आप हर महीने ₹5,000 की SIP करते हैं और 12% वार्षिक रिटर्न के साथ 20 साल तक निवेश करते हैं। आप करीब ₹49.5 लाख का फंड बना सकते हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ एक साल की SIP (₹60,000) स्किप कर देते हैं, तो आपका कुल फंड ₹6 लाख से भी ज्यादा कम हो जाता है।
यह नुकसान केवल उस राशि का नहीं है जो आपने निवेश नहीं की, बल्कि उस ब्याज का भी है जो समय के साथ बढ़ सकता था। यही वजह है कि एक छोटी-सी चूक भविष्य में बड़ी आर्थिक क्षति का कारण बन सकती है।
मार्केट क्रैश में SIP रोकना - सबसे बड़ी भूल
जब बाजार गिरता है, तो अधिकतर लोग घबरा कर SIP रोक देते हैं। जबकि यही वो समय होता है जब SIP से ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं और आपकी एवरेज कॉस्ट घटती है।
बाजार में गिरावट के बाद जब सुधार शुरू होता है, तभी असली कमाई का मौका मिलता है। अगर आपने उस दौरान निवेश जारी रखा होता, तो कम दाम पर खरीदी गई यूनिट्स आगे चलकर बेहतर रिटर्न देतीं। लेकिन SIP रोकने से आपने उस सस्ते निवेश के सुनहरे मौके को खो दिया।
आपके लक्ष्य रुकते नहीं, पर आप रुक जाते हैं
SIP सिर्फ निवेश नहीं, एक वादा है - अपने भविष्य से, अपने सपनों से। चाहे वो रिटायरमेंट हो, बच्चों की पढ़ाई, या खुद का घर - हर SIP किसी न किसी लक्ष्य से जुड़ी होती है। जब आप SIP रोकते हैं, तो या तो आपको बाद में ज्यादा पैसे लगाने होंगे, या अपने लक्ष्य को आगे खिसकाना पड़ेगा। और कई बार तो ये दोनों ही संभव नहीं होते।
महंगाई नहीं रुकती, भले आप SIP रोक दें
हर साल महंगाई आपकी खरीदने की ताकत को कम कर देती है। अगर आपने ₹1 करोड़ का लक्ष्य रखा है और आप निवेश रोकते हैं, तो वो ₹1 करोड़ भविष्य में उतना काम नहीं देगा जितना आपने सोचा था।
महंगाई के साथ दौड़ने के लिए लगातार निवेश जरूरी है। SIP बंद करना ऐसा है जैसे चलती ट्रेडमिल पर दौड़ते-दौड़ते आप अचानक रुक जाएं - गिरना तय है।
एक बार की चूक, आदत को तोड़ सकती है
SIP में सबसे अहम चीज़ होती है - अनुशासन। अगर आप सिर्फ एक बार SIP स्किप करते हैं, तो यह एक आदत बन सकती है। अगली बार भी आप यही सोचेंगे - "बस इस महीने..." और यही सिलसिला चल निकलता है।
निवेश करना केवल रणनीति नहीं, बल्कि एक मानसिक आदत है। और जब ये आदत टूटती है, तो उसे दोबारा बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
अगर पैसे की तंगी हो तो क्या करें?
• SIP बंद मत करें, बस अमाउंट घटा दें - ₹500 महीने भी आपकी आदत को बनाए रखेगा।
• इमरजेंसी हो तो इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करें, SIP का नहीं।
• SIP को ऑटोमेट करें ताकि निवेश बिना किसी रुकावट के चलता रहे।
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