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ऑफ़लाइन पेमेंट ही असली बदलाव: DFS सचिव ने फिनटेक कंपनियों से की नई पहल की अपील

Offline Payment is the Real Change: डिजिटल पेमेंट चाहे कितने भी लोकप्रिय क्यों न हों, लेकिन इंटरनेट की कमी और स्मार्टफोन की अनुपलब्धता वाले क्षेत्रों में इन्हें अपनाना मुश्किल है।

Sonal Girhepunje
Published on: 7 July 2025 7:44 PM IST
Offline Payment is the Real Change
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Offline Payment is the Real Change (Image Credit-Social Media)

Offline Payment is the Real Change: 7 जुलाई 2025 को आयोजित CII Summit on Financial Inclusion and FinTech में DFS (Department of Financial Services) के सचिव एम. नागराजु ने फिनटेक कंपनियों से ऑफ़लाइन पेमेंट सॉल्यूशन्स तैयार करने का आह्वान किया। उनका कहना था कि डिजिटल पेमेंट चाहे कितने भी लोकप्रिय क्यों न हों, लेकिन इंटरनेट की कमी और स्मार्टफोन की अनुपलब्धता वाले क्षेत्रों में इन्हें अपनाना मुश्किल है। इसलिए ऐसे समाधान जरूरी हैं जो बिना नेटवर्क कनेक्शन काम करें और उन लाखों लोगों तक पहुंचें जिन्हें डिजिटल बैंकिंग की सुविधा अभी भी उपलब्ध नहीं ।

वित्तीय समावेशन की वैश्विक और राष्ट्रीय अहमियत

नागराजु ने जोर देकर कहा कि वित्तीय समावेशन न केवल आर्थिक वृद्धि के लिए, बल्कि गरीबी उन्मूलन के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में से 7 ऐसे बताए, जिनका संबंध सीधे वित्तीय समावेशन से जुड़ा है ।

उन्होंने यह भी उदाहरण देकर बताया कि 2014 से पहले भारत में केवल लगभग 35% वयस्क नागरिकों के पास बैंक खाते थे। लेकिन तब से प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) की शुरुआत के बाद यह संख्या लगभग 99% तक पहुंच गई है । यह बदलाव बताता है कि सही नीतियों और योजनाओं के जरिए करोड़ों लोगों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ा जा सकता है।

ऑफ़लाइन पेमेंट समाधान क्यों जरूरी हैं?

1. इंटरनेट और स्मार्टफोन तक सीमित पहुंच:

ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में लोग अक्सर इंटरनेट या स्मार्टफोन के बिना जिंदगी बिताते हैं। ऐसे क्षेत्र में ऑफ़लाइन पेमेंट सिस्टम जैसे कि यूएसबी/ब्लूटूथ आधारित QR, शॉर्ट मैसेज सर्विस (SMS) बेस्ड लेन-देन, या ब्लूटूथ/एनएफसी आधारित टोकन बेहद कारगर हो सकते हैं।

2. डिजिटल पेमेंट में बाधा का सामना:

नेटवर्क की धीमी गति, बैटरी की समस्या या सिग्नल ब्लॉक होने जैसी दिक्कतों से ऑनलाइन पेमेंट असफल हो जाते हैं। ऑफ़लाइन तरीके इन बाधाओं को पार कर सकते हैं।

3. वित्तीय समावेशन का सकारात्मक दायरा बढ़ाना:

जब अधिक से अधिक लोग डिजिटल भुगतान के दायरे में आएंगे, तब न केवल उनका जीवन आसान होगा बल्कि छोटे व्यवसायों और माइक्रो-उद्योगों को भी लाभ मिलेगा।

फिनटेक कंपनियों के लिए अवसर

• नवाचार में गुंजाइश:

ऑफ़लाइन तकनीकी समाधान जैसे स्टोर-एंड-फॉरवर्ड QR, डिवाइस टू डिवाइस कम्युनिकेशन, या सिम्पल एसएमएस इंस्टेंट ट्रांजेक्शन पर फोकस करके फिनटेक कंपनियां नए उत्पाद लॉन्च कर सकती हैं।

• बाजार विस्तार:

इन समाधानों के जरिये फिनटेक कंपनियाँ गांवों, पहाड़ी इलाकों और दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंच सकती हैं। इससे उनके ग्राहक आधार के साथ वित्तीय कारोबार में भी वृद्धि होगी।

• सामाजिक प्रभाव:

डिजिटल फाइनेंस का लाभ उठाकर, वे गरीबी उन्मूलन, स्वयं-निर्भरता, और सामाजिक सुधार जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

सारांश

DFS सचिव नागराजु की अपील यह स्पष्ट करती है कि डिजिटल इंडिया तभी पूरा होगा, जब ऑफ़लाइन पेमेंट विकल्प भी मजबूत हों। अभी भारत के 99% वयस्क बैंक खाते खोल चुके हैं, लेकिन बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन तक उनकी पहुंच सीमित है। ऑफलाइन तकनीक इस गैप को पाटकर न केवल फिनटेक कंपनियों के लिए लाभदायक साबित होगी, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों तक बैंकिंग सेवाएँ पहुंचाकर वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ा कदम होगी। इससे न सिर्फ आर्थिक विकास होगा, बल्कि गरीबी और असमानता की लड़ाई भी तेज़ होगी।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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