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UP News: पावर कॉरपोरेशन के 44,094 करोड़ खर्च के बाद भी बिजली व्यवस्था प्रदेश में बेहाल, प्रबंधन पर इस्तीफे का दबाव
UP News: केंद्र सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत प्रदेश में बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए 44,094 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन हालात में अपेक्षित सुधार नहीं दिखा।
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UP News: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) फिर विवादों के घेरे में आ गया है। केंद्र सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत प्रदेश में बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए 44,094 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन हालात में अपेक्षित सुधार नहीं दिखा। खुद कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक में स्वीकार किया कि व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है।
कॉरपोरेशन प्रबंधन पर सीधा हमला
इस खुलासे के बाद ऊर्जा विभाग में हड़कंप मच गया है और उपभोक्ता परिषद समेत कई कर्मचारी संगठनों ने पावर कॉरपोरेशन के शीर्ष प्रबंधन पर सीधा हमला बोला है। परिषद के पदाधिकारियों का आरोप है कि यह केवल तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि कुप्रबंधन व योजनाबद्ध लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा जब इतने बड़े पैमाने पर धन खर्च किया गया हो और उसके बाद भी बिजली कटौती, लो वोल्टेज और ट्रिपिंग जैसी समस्याएं बड़ी तादाद में बनी है। इसका सीधा मतलब है योजना के क्रियान्वयन में गंभीर खामियां हैं।
बिजली व्यवस्था की बड़ी विफलता
इस विवाद के बीच बिजली व्यवस्था की विफलता को निजीकरण का आधार बनाने की कोशिश सरकार द्वारा हो रही है। उपभोक्ता परिषद और कई जानकारों के अनुसार जानबूझकर योजनाओं को विफल साबित कर नैरेटिव खड़ा किया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र बिजली व्यवस्था नहीं संभाल सकता व इसका समाधान केवल निजी कंपनियों के हाथों में देना है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि यदि बिजली निजीकरण किया गया तो यह करोड़ों उपभोक्ताओं और हजारों कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ होगा।
कर्मचारी संगठनों ने दी चेतावनी
देश के कई कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि बिजली विभाग के किसी हिस्से का निजीकरण किया गया, तो प्रदेशव्यापी जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। प्रबंधन की विफलता को लेकर अब चेयरमैन और अन्य शीर्ष अधिकारियों से इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि जब इतने बड़े पैमाने पर धन खर्च कर भी सुधार नहीं हो पाया, तो जिम्मेदार अफसरों को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ना चाहिए। बिजली व्यवस्था का विवाद आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है।
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